पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४७५

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मंगलदाय मगलालय ३७१४ मानसिक स्थिति । उ०—तुलसी पौर सुर ऐसे सगुणोपासक मंगल विधि-संज्ञा सी० [स० मङ्गलविधि ] शुभसाधन विषयक , कल्याण के लिये किया जानेवाला कृत्य (को०] । भक्त राम और कृष्ण की सौंदर्यभावना में मग्न होकर ऐसी मंगलदशा का अनुभव कर गए हैं जिसके सामने कैवल्य या मंगलशक्ति-संशा जी० [सं० मङ्गलशक्ति ] मंगल या कल्याण करने मुक्ति की कामना का कही पता नहीं लगता।-रस०, वाली शक्ति । उ०-कवि जही मंगलशक्ति की सफलता पृ० ३१॥ दिखाता है, वहाँ कला की दृष्टि से सौंदर्य का प्रभाव डालने मंगलदाय–वि० [सं० मङ्गलदायक मानंद मगल देनेवाला। शुभद । के लिये।-रस०, पृ० ६१ । उ.-प्रथम दरस तेरो भयो, मोहि अाज ही पाय । विनवति मगनशब्द--सज्ञा पुं० स० मङ्गलशब्द ] कल्याणकारक शब्द । हो तू हूजियो, ऋतु को मगलदाय ।-शकुंतला, पृ० १०५। मगलकारक शब्द [को०। मंगलदेवता-पंज्ञा पुं॰ [ स० मङ्गलदेव ] इष्ट देवता। शुभकर मगलसूचक-वि० [सं० मङ्गलसूचक ] कल्याण या शुभ की सूचना देवता को०] | देनेवाला । भाग्योदय का द्योतक [को०] । मगलद्वार-सा पु० [सं० मङ्गलद्वार मुख्य दरवाजा। प्रधान मगलसूत्र--संशा पु० [सं० मङ्गलसूत्र] १. वह तागा जो किसी देवता द्वार (को०] । के प्रसाद रूप में किसी शुभ अवसर पर कलाई में बाधा मंगलध्वनि-सज्ञा पुं॰ [ मङ्गलध्वनि ] मांगलिक अवसर के वाद्य,' जाता है । २. वह सूत्र या सिकड़ी जो सधवा स्त्रियां गले में गीत आदि [को०] । पहनती हैं । अब इसका अधिकतर महाराष्ट्र में प्रचार है। मंगलपन-संज्ञा पुं॰ [ स० मङ्गलपत्र ] कल्याण के निमित्त पहनने मंगलस्नान--संज्ञा पु० [सं० मङ्गलस्नान ] वह स्नान जो मंगल का ताबीज [को०] । की कागना से अथवा किसी शुभ अवसर पर किया जाता है। मंगलपाठक- सज्ञा पुं० [सं० मङ्गलपाठक ] वह जो राजामों की मंगला-संज्ञा स्त्री० [ सं० मङ्गला ] १. पार्वती । २. सफेद दूव । स्तुति प्रादि करता हो । वंदीजन । ३. पतिव्रता स्त्री। ४. एक प्रकार का करंज । ५. हलदी। मंगलपुष्प-संज्ञा पुं० [ स० मङ्गलपुप्प] पूजनादि मंगलकार्यों मे ग्राह्य ६. नीली दूब। पुष्प [को। यौ०-मगला गौरी = पार्वती को एक मूर्ति । मगला भारती । मंगलप्रतिसर-संज्ञा पु० [स० मङ्गलप्रतिसर ] दे॰ 'मगलसूत्र' को०] | मंगला-वि० [हिं० मंगल ( ग्रह ) ] १. दे० 'मंगली' । २. मंगलप्रद–वि० [सं० मङ्गलप्रद ] जिससे मंगल होता हो । मंगल मंगलवार को उत्सन्न । करनेवाला। मंगलाआरती-संज्ञा जी० [हिं० मंगल+भारती ] प्रातःकाल की मंगलप्रदा-संज्ञा स्त्री० [ स० मङ्गलप्रदा] १. हरिद्रा । हलदी । २. प्रथम भारती। उ०-ता पाछे सम भए भोग सराय मंगला- शमी का वृक्ष । भारती किए।-दो सौ नावन०, पृ० ५८ । मंगलप्रस्थ-संज्ञा पु० [सं० मङ्गलप्रस्थ ] पुराणानुसार एक पर्वत मंगलागुरु-संज्ञा स्त्री. [सं० मङ्गलागुरु ] अगर नामक सुगंधि- द्रव्य के चार भेदों में से एक [को०] । का नाम मंगलभेरी-संशा स्त्री० [ स० मङ्गलभेरी ] मागलिक अवसर पर मंगलाचरण-संज्ञा पु० [सं० मङ्गलाचरण ] वह श्लोक या पद बजाने की भेरी या वाद्य [को०] । आदि जो किसी शुभ कार्य के प्रारंभ में मंगल की कामना मगलमय-वि० [सं० मङ्गलमय] शुभस्वरूप । कल्याणरूप । उ०- पढ़ा, लिखा या कहा जाय । मंगलदायक देवस्तुति । मगलमय कल्यानमय अभिमत फलदातार।-मानस, १ । मंगलाचार-नशा पु० [सं० मङ्गलाचार ] मगलगान | शुभ कार्यों मंगलमालिका-संज्ञा स्त्री॰ [ सं० मङ्गलमालिका ] विवाह के समय के पहले होनेवाला मागलिक गायन । गाए जानेवाले गीत [को०] । मंगलाभोग-संज्ञा पुं० [हिं०] प्रातःकाल की प्रथम आरती मंगलवाद-संज्ञा पु० [ स० मङ्गलवाद ] [वि० मंगलवादी ] माशी- ( मगलाघारती) से पूर्व अर्पण किया जानेवाला भोग। दि । प्राणीप। 3०-पाछे मगलाभोग घरि के श्री गुसाईं जी सिंघद्वार पर मंगलवार, मंगलवासर-संज्ञा पु० [स० मङ्गलवार, मङ्गलवासर ] पधारे।-दो सौ बावन०, पृ० २२३ । सात वारो में तीसरा वार जो सोमवार के उपरात और मंगलामुखी-संज्ञा स्त्री० [सं० मङ्गल + मुखी ] वेश्या । रंडी। बुधवार के पहले पड़ता है। भोमवार । मंगलायतन-संज्ञा, पुं० [सं० मङ्गलायतन ] कल्याण का स्थान । मंगलविधायनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० मङ्गल+विधायिनी ] मगल शुभदायक स्थान। का विधान करनेवालो। उ०-यदि बीज भाव की प्रकृति मगलायन-संञ्चा पु० [स० मङ्गलायन ] १. शुभकर मार्ग । सुख मंगलविधायिनी होती है तो उसकी व्यापकता और निविशे- समृद्धि का मार्ग । २. वह जो शुभ मार्ग पर चलता हो । पता के भनुसार सारे प्रेरित भाव तीक्ष्ण पौर कठोर होने पर मंगलारंभ-संज्ञा पुं० [सं० मङ्गबारम्भ ] गणेश । भो सुंदर होते हैं .-रस०, पृ०६५। मगलालय-संचा पु० [स० मङ्गलालय ] परमेश्वर ।