पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/५०४

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३७४३ मजीठ मजलूम मजलूम-वि० [अ० मजलूम ] जिसपर जुल्म हुप्रा हो । सताया मजाकिया-वि० [अ० मज़ाकिया ] परिहासपूर्ण । दे० 'मजाकन्' । हुमा । अत्याचारपीड़िता मजाजा-संज्ञा पुं० [फा मजाज ] १. गर्व । अभिमान । (डि.) । मजव-संज्ञा पु० [अ० मज़हब] धार्मिक संप्रदाय । पंथ । मत | २. दे० मिजाज'। मजहबी–वि० [अ० मज़हबी ] किसी धार्मिक मत या संप्रदाय से मजाज-संज्ञा पुं० [अ० मजाज़ ] अधिकार । हक । इख्तियार। संबंध रखनेवाला। २. लक्ष्यार्थ । लाक्षणिक प्रयोग । यौ०-मजहबी आजादी-स्वधर्माचरण की स्वतंत्रता। मजहबी मजाज-वि० दे० 'मजाजी'। लड़ाई = धर्म के नाम पर की जानेवाली लड़ाई या प्रचार । मजाजी-वि० [अ० मजाज़ी] १. कृत्रिम । बनावटी बनौवा । मजह्वीरे-संशा पुं० मेहतर सिक्ख । भंगी सिक्ख । २. माना हुप्रा । कल्पित । उ०-शगल वेहतर है इश्कबाजी मजा-संज्ञा पु० [फा० मज़ह, ] १. स्वाद | लज्जत । जैसे, अब का। क्या हकीकी व क्या मजाजी का । - कविता को०, मामो मे कुछ मजा नहीं रह गया । भा०४, पृ०४ । ३. भौतिक । लौकिक । सांसारिक । उ०- मुहा-मजा चखाना = किसी को उसके किए हुए अपराध का कोई मजाजी कहता हकीकी नाम किसी ने है रक्खा । दंड देना। बदला लेना। किसी चीज का मजा पड़ना -भारतेंदु ग्रं० भा० २, पृ० ५६३ । चसका लगना। प्रादत पड़ना। मजे पर आना= मपनी मजार'-संज्ञा पुं० [अ० मज़ार ] १. समाधि | मकबरा। २. कव्र । सबसे अच्छी दशा में प्राना । जोवन पर पाना । मजार-संज्ञा पु० [स० मार्जार ] बिलाव । उ०-विरह मयूर, २. प्रानंद । सुख । जैसे,—प्रापको तो लड़ाई झगड़े में ही मजा नाग वह नारी । तू मजार करु बेगि गोहारी ।—जायसी न०, मिलता है। पृ० १६३। मुहा०-मजा उड़ाना या लूटना=मानंद लेना। सुख भोगना । मजार-क्रि० वि० [ स० मध्य, प्रा. मज्म+हिं० श्रार उ०-सर को पटका है कभू, सीना कभू कूठा है। रात हम (प्रत्य॰)] दे० 'मझार'। उ०—कठियल दिय सिर धरिय हिज्र की दौलत से मजा लुग है।-कविता को०, भा० ४, प्रणाम कर झिल गय वल निज नगर मजार ।-रधु० रू०, पृ०३८ । मजा किरकिरा करना या होना=अानंद में विघ्न पृ०१२०॥ पड़ना । रंग में भंग होना। उ०-मजा किरफिरा न मजारी-संज्ञा स्त्री० [सं० मार्जारी] बिल्ली। विडाल । उ०- कीजिए।-प्रेमघन०, भा॰ २, पृ० ११० | मजे का= सत्रु सुप्रा के नाऊ वारी। सुनि पाए जस धाव मजारी।- अच्छा । बढ़िया । उत्तम | मजे में या मजे से आनंदपूर्वक । जायसी (शब्द०)। बहुत अच्छी तरह । सुख से । मजाल-संज्ञा स्त्री० [अ०] सामर्थ । शक्ति | ताकत । जैसे,- ३. दिल्लगी। हँसी। मजाक । जैसे,—मजा तो तब हो, जब किसी की मजाल नही जो आपसे बातें कर सके। वह आज भो न पावे। मुहा०—मजा श्रा जाना = परिहास का साधन प्रस्तुत होना। मजाहमत-संज्ञा स्त्री० [अ० मुजाहिमत ] हस्तक्षेप । दखल- दिल्लगी का सामान होना । जैसे,—अगर आप यहाँ गिरें तो अंदाजी । बाधा । रुकावट । उ०-किसकी मजाल है कि मजा आ जाय । मजा चखना= परिणाम भुगतना। करनी हमारे दीनी उमूर मे मजाहमत करे ? -काया०, पृ० ४७ । का फल भुगतना । मजा देखना या लेना=दिल्लगी या तमाशा मजिलg+-संज्ञा स्त्री० [फा० मजिल ] दे० 'मंजिल'। देखना । जैसे,—ाप चुपचाप बैठे बैठे मजा देखा कीजिए। मजिस्टर-संज्ञा पुं० [अ० मजिटस्ट्रेट ] दे० 'मजिस्ट्रट' । मजाक-संज्ञा पुं० [अ० मज़ाक] १. हंसी । ठट्ठा । दिल्लगी। मजिस्ट्रेट-संशा पुं० [पं०] फौजदारी अदालत का अफसर, जो प्रायः जिले का माल विभाग का अधिकारी भी होता है । क्रि० प्र०—करना ।-सूझना । यौ-यानरेरी मजिस्ट्रेट । ज्वाइंट मजिस्ट्रेट । डिप्टी मुहा०-मजाक उड़ाना = परिहास करना। दिल्लगी करना । मजिस्ट्रेट। यौ०-मजा का आदमी = हंसमुख । दिल्लगीबाज । ठठोल। मजिस्ट्रेटी-संज्ञा स्त्री॰ [अं० मजिस्ट्रेट + हिं० ई ( प्रत्य० ) ] १. २. प्रवृत्ति । रुचि । ३. जायका । स्वाद (को॰) । मजिस्ट्रेट का कार्य या पद । २. मजिस्ट्रेट की अदालत | यौ०-मजाकपसंद = दिल्लगीबाज । परिहासप्रिय । विनोदी । उ० मजीठ-संज्ञा स्त्री॰ [ स० मजिष्ठा ] एक प्रकार की लता जो लाल यद्यपि वे हंसमुख, खुशमिजाज, मजाकप्रसंद थे।--अकबरी०, रंग बनाने और औषध के काम में प्रयुक्त होती है । पृ० १७। विशेष—यह समस्त भारत दी पहाड़ी प्रदेशों में पाई जाती है। मजाकन्-क्रि०. वि० [अ० मजाकन् ] मजाक से । हसी दिल्लगी के इसकी सूखी जड़ और डंठलों को पानी में उबालकर एक तौर पर । जैसे, मैने तो यह बात मजाकन कही थी। प्रकार का बढ़िया लाल या गुलनार रंग तैयार किया जाता है ठठोली।