भजन ३७४६ भजलिसी होना । २. अनुरक्त होना । उ०-मानत नहीं लोक मर्यादा मुहा०-मजमून बाँधना=किसी विषय अथवा नवीन विचार हरि के रंग मजी। सूर स्याम को मिलि चूने हरदी ज्यो को गद्य या पद्य मे लिखना। मजमून मिलना या लड़ना=3 रंगरजी।-सूर (शब्द॰) । दो अलग अलग लेखकों या कनियो के वणित विपयों या मजनूँ-संज्ञा पुं० [अ०] १. पागल | सिडी । वावला । दीवाना । भावों का मिल जाना। सौदाई । २. भरव के एक प्रसिद्ध सरदार का लड़का जिसका २. लेख । निबंध। वास्तविक नाम कैस था और जो लला नाम की एक कन्या यौ०-मजमून नवीस = लेखक । निबंधकार । मजमूननवीसी = पर प्रासक्त होकर उसके लिये पागल हो गया था; और लेख या निवध लिखने का काम । मजमूननिगारी= दे० इसी कारण जो 'मजनू' प्रसिद्ध हुप्रा था । लैला के साथ 'मजमूननवासी'। मजनू के प्रेम के बहुत से वथानक प्रसिद्ध हैं। उ०-लैला में मजनू की ही अखि ने माधुयं देखा था।-रस०, पृ० मजमूम-वि० [अ० मजमूम ] निदित । दूपित । पश्लील । खराब [को०] । ८७। ३. पाशिक । प्रेमी। मासक्त। ४. बहुत दुबला पतला आदमी। सुखा हुमा मनुष्य । अति दुर्वल मनुष्य । मजम्मत-मज्ञा स्त्री० [अ०] तिरस्कार । बुराई । बेइज्जती । निंदा । ५. एक प्रकार का वृक्ष जिसकी शाखाएं मुकी होती हैं । इसे उ०-प्राप तो इनकी मजम्मत करना ही चाहै। -प्रेमधन, भा० २, पृ० १५७ । 'बेद मजनू भी कहते हैं । विशेष दे॰ वेद मजनु। मजबह-सञ्ज्ञा पुं० [अ० मजवह ] वधस्थान । वधभूमि । काटने का मजरिया-वि० [फा०] जो जारी हो । प्रवर्तित । (कचहरी)। स्थल [को०)। मजरी-संशा सी० [ देश० ] एक प्रकार का झाड़ जिसके डंठलो से मजबूत-वि० [अ० मजबूत ] १. दृढ़ । पुष्ट । पक्का । २. अटल । टोकरे बनाए जाते हैं। यह सिंघ और पंजाब में अधिकता से अचल । स्थिर । ३. बलवान् । सवल । तगड़ा । हृष्टपुष्ट । होता है। यौ o-मजबूत दिल का= दिलेर । साहसी । दृढ़चित्त । मजरूआ-वि० [अ० मज़रूग्रह ] जोता और बोया हुआ । (खेत) । मजरूव-संशा पु॰ [अ०] सिक्का । पण (को०] । मजबूती-सशा स्री० [अ० मज़बूत+ई (प्रत्य॰)] १. मजबूत का भाव । दृढ़ता। पुष्टता। पक्कापन । २.ताकत । बल | मजरूह-वि० [अ० .] चोट खाया हुमा । पायल । जखमी । ३. हिम्मत । साहस । मजरत-सञ्ज्ञा स्त्री० [भ० मजरंत ] हानि | नुकसान । चोट । उ०- अ.] जिसपर जन किया गया हो। विवश । उनके एजाज मे मजरंत पहुंचाने में इस दर्जे तक शौक रखते लाचार । जैसे,--पापको यह काम करने के लिये कोई मजबूर हो।-प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ० १००। नहीं कर सकता। मजला-सज्ञा स्त्री० [फा० मंजिल ] मजिल । पड़ाव । टिकान । मजबूरन्-क्रि० वि० [अ० ] विवश होकर । ताचारी से | उ०-चले मजल दर मजस पाया वेदर ने मिसल । व्हाँ मजबूरी-संज्ञा स्त्री० [अ० मजबूर + ई (प्रत्य०) ] असमर्थता । हुई सो नक्कल वो सकल तुम सुनो।-दक्खिनी०, पृ० ४५ । लाचारी | बेबसी। मुहा०-मजल मारना= (१) बहुत दूर से पैदल चलकर मजमा-संञ्चा पु॰ [अ० मज्मश्र] बहुत से लोगो का एक स्थान में पाना । (२) कोई बड़ा काम करना । जमाव । भीड़भाड़ । जमघट । मजलिस-संशा स्त्री॰ [ ] बहुत से लोगों के बैठने की जगह । मजमुआ--वि० [अ० मजमूह ] इकट्ठा किया हुआ । जमा वह स्थान जहाँ बहुत से मनुष्य एकत्र हों। २. सभा। किया हुमा । एकत्र किया हुअा। संगृहीत । समाज । जलसा। उ०-मजलिस वैठि गवार कहै पहुँचे मजमुआ-सञ्ज्ञा पु॰ [ ] १. एक ही प्रकार की बहुत सी चीजो हैं हमही।-पलटू०, भा॰ २, पृ०७४ । का समूह । जखीरा । खजाना । २. एक प्रकार का इत्र जो क्रि० प्र०-जमना ।- जुड़ना ।-लगना । कई इत्रो को एक में मिलाकर बनता है। यह प्रायः जमा ३. महफिल । नाच रग का स्थान । यौ०- मजलिसघर = महफिल या नाच रंग का स्पान वा महल । यौ० to-मजमुश्रा जाबता दीवानी = दीवानी कानूनो का संग्रह । उ०-उस मजलिसघर का विवरण जो नदी के तट पर मजमुया जायता फौजदारी फौजदारी कानूनों का संग्रह । बनाया गया था और जिसका नाम तिलस्मी घर रखा गया मजमुश्रादार माल विभाग का कर्मचारी। था । हुमायू, पृ०४३। . मजमून-सज्ञा पुं० [अ० मज़मून ] १. विषय, जिसपर कुछ कहा मजलिसी'-सक्षा पुं० [ म.] नेवता देकर मजलिस में बुलाया या लिखा जाय । उ०-उसकाने और भड़कानेवाले मजमून हुप्रा मनुष्य । निमंत्रित व्यक्ति। की भी कजलियां बना रखते ।-प्रेमघन०, भा० २, मजलिसी-वि० १. मजलिस संबंधी। मजलिस का। २. जो पृ० ३४५ । मजलिस में रहने योग्य हो । सबको प्रसन्न करनेवाला । मजबूर-वि० [ AS स० हुमा होता है।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/५०३
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