पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/५२२

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मदमोचन ३७६२ मदात्यय स० स० स० मदजल। मदमोचन-वि० [सं० मद+मोचन] गर्व दूर करनेवाला । मद हरण मव्याधि-संशा सी० [ ] मदात्यय रोग [को०] । करनेवाला। उ०-लोहितलोचन रावण मदमोचन मही. मदशाक-सञ्ज्ञा पुं० [ ] पोई । पोय । यान |-अपरा, पृ० ५७ । मदशालिता-सा ना. [ स० मद + शालिता ] मदयुक्त या गर्वयुक्त मदयंतिका-पज्ञा स्त्री॰ [स० मदयन्तिका ] मल्लिका । होने का भाव । उ-पर कृपा कर, कर दूर तू, कुटिलता, मदयंती-संज्ञा स्त्री० [सं० मदयन्ती ] मल्लिका । कटुता, मदशालिता -प्रिय०, पृ० २२६ । मदयिलु-वि० [सं० मदयित्नुः ] मादक । उल्लासक (को॰) । मदशौंड, मदशौंडक-10 पु० स० मदशौण्ड, मदशौण्डक ] मदयित्नु-संज्ञा पुं० १. कामदेव । २. मेघ। ३. कलवार। ४. जाती फल । जायफल [को०] | मद्य । ५. मद्यपी (को०)। मदसार-सज्ञा पुः [सं०] शहतूत का पेड़ । मदयून-वि० [अ० मद्यून ] ऋणी । फर्जदार । देनदार [को०) । मदस्थल-सज्ञा पुं० [ ] मदिरालय । शराबखाना (को॰] । मदर-सञ्ज्ञा पुं० [सं० मण्डल ] मंडराना । घेरना। प्राक्रमण । मदस्थान-सज्ञा पु० [सं०] दे० 'मदस्थल'। उ०-ब्रज पर मदर करत है काम | कहियो पथिक जाइ मदहस्तिनी-पानी० [ म०] करज का एक भेद (को०] । श्याम सों राखहिं प्राइ प्रापनो धाम । —सूर (शब्द०)। मदहेतु-ज्ञा पु० [ म० ] धात की । धाय का पेड़ । मदरसा-ज्ञा पु० [अ०] पाठशाला । विद्यालय । मदहोश-वि० [फा० महश ] नशे में चूर । बेसुध । उनपत्त । मदराग-मचा पु० [ स०] १. कामदेव । २. मुर्गा । ३ शराब उ.-तुम्ही बता दो यौवन मद में कौन हुमा मदहोश पीनेवाला व्यक्ति (को०)। नही है, मेरा इसमे दोष नहीं है। हिल्लोल, पृ० ६३ । मदरास-संज्ञा पुं० [हिं०] भारतवर्ष के अतर्गत एक प्रात का नाम मदांव-वि० [सं० मदान्ध ] जिले मस्ती, गवं प्रादि के कारण भले जो अपने प्रधान नगर के नाम से प्रख्यात है। तमिलनाडु । बुरे का कुछ ज्ञान न हो। मदमत्त । मदोन्मत । मद से अधा । विशेष -यह प्रदेश दक्षिण प्रात में पूर्व समुद्र के किनारे पात्र मदांवर-सञ्ज्ञा पुं० [स. मदाम्बर ] १. मदमत्त हाथी । २. इंद्र का से कुमारी अंतरीप तक फैला हुप्रा है। यहाँ द्रविड़ और हाथी । ऐरावत [को०] । तैलंग लोग रहते हैं । इस प्रांत की राजधानी समुद्र के किनारे मदांबु, मदांभस-संशा पु० [स० मदाम्बु, मदाम्भस् ] हाथी का है और उसका भी यही नाम है। मदरासी-वि० [हिं० मदरास+ई (प्रत्य॰) ] मदरास निवासी। मदाकुल-वि० [सं० मस्त । मतवाला [को०] । मदरास का। मदाखिलत-शा श्री० [अ० मदाखिलत ] १. बाघ । रोक । मदरिया--संज्ञा स्त्री० [हिं० मंदरा] एक प्रकार का बाजा । उ०- रुकावट । २. प्रवेश | अधिकार | झाल मदरिया झाफे बाजे।-सत० दरिया, पृ० १०६ । यो-मदाखिलत बेजा। मदर्थ -ग्रव्य. [ स० ] मेरे लिये । उ०-व्यथा जानता हूँ मै तेरी, मदाखिलत वेजा-सञ्चा नी० [अ० मदाखिलत + फा० येजा ] १. किसी ऐसे स्थान में प्रवेश करना जहां वैसा करने का अधि- जी मदर्थ ही जाया-कुणाल, पु०४६ । कार प्राप्त न हो। अनधिकार प्रवेश ! २. किसी ऐसे कार्य मदलेखा-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. एक वणिक वृत्ति का नाम जिसके में हस्तक्षेप करना जिसमें वैसा करने का अधिकार न हो। प्रत्येक चरण मे सात सात वर्ण होते हैं, जिनमे पहले मगण अनुचित हस्तक्षेप । फिर सगण और अत में गुरु होता है । जैसे,—मोसी गोप मदाढ्य-सज्ञा पुं० [सं०] ताल का वृक्ष । ताड़। विशोरी । पैहो ना हरि जोरी। २. हाथी के गंडस्थल से निकले हुए मद की रेखा या चिह्न (को०) । मदातंक-सञ्चा पुं० [सं० मदातङ्क] मदात्यय नामक रोग। मदवा-सवा पु० [स० मद्य ] शराब । उ-सुरत कलारी भई मदात्यय-संज्ञा पुं० [ मं०] एक रोग का नाम जो लगातार मतवारी, मदवा पी गई विन तोले । -कबीर० श०, अत्यंत मद्यपान करने से होता है। १०-विधि से विरुद्ध मद्यपान करने से मदात्यय रोग होता है ।--माधव०, पृ०७३। पृ० ११५। मदवारण-संज्ञा स्त्री० [सं०] मतवाला हाथी [को०] । विशेष-इस रोग में रोगी को चक्कर आता है, नींद नहीं मदवारि-चा पु० [सं०] मदजल [को०] । प्राती, अरुचि होती है, प्यास लगती है, हाथ पैर मे जलन मदविक्षिप्त'-वि० [सं०] मद से पागल । मदमत्त । होती है और वे ढीले पड़ जाते हैं, तंद्रा आती है और अपच मदविक्षिप्त-सञ्ज्ञा पुं० मतवाला हाथी । हो जाता है। कभी कभी ज्वर भी पाता है और रोगी बहुत मदविह्वल-वि० [सं०] १. नशे में मस्त । २. विषयातुर । कामातुर । प्रलाप करता है। मदबूंद-संज्ञा पु० [सं० मवृन्द ] हाथी । मस्त हाथी [को०] । पर्या०-मदातक । मदव्याधि । मद। ७-६४