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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१००

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गही ३८५६ . ७. भुटा गमूह। ८.या।६ गाय । १० । हनन । १" पर दया नाम जिमम किन और IT गुर मात्रा होती है। जैन, माय, नगा, नदा ५.याय । १२ मू गपनि । मान जायदाद (0) 1 यत वही मना । विशान मना (को०) । मही'-गजा 1 [म० मथिस, हि० महमा मट्टा । यार। 30- 0-(T) तुलसी गुदित दून भयो मानहुं अमिय ला मागत मी ।-नगा ( पद० ) ( ब ) छारि पना मारा रत्न अमोनक यान को किरन गहा । ऐगी तू र चतुर विव1 पय नजि पियन मही।- गूर (शब्द०)। (ग) व दही मापन मी न नही प्रम माझ। गो चोरो करत । फिरतु भार प्रा नाम - लल्लू ( शन्द०)। महाअलाए-म पुं० [ म० महीतल ] भूमि । त्वा । 30-यालु अहेरी जीपन छोड जान थान महाप्रल मार ।---प्राणा, पृ० १३८ । महीक्षित् - Pा पुं॰ [ भ.] गजा। महाखडी-मशा ना. [६० ] गिालीगगे का . श्रीजार जिगकी धार कुद होती है और जिम्मे नादा का दम्ता नगा रहता है। इसमे वर्तन प्रादि खुरचकर गाफ । जात है और उनपर जिला की जाती है। महीज- राधा पुं० [H० ] १ अदरक । थादी । २ मगान ग्रह ।। नरकामुर (को०)। महीजा- मशा स्त्री॰ [ ] महीसुता । मीता [को०)। महीतल-० [सं०] पृथ्वी । गमार । महीदास-ससा पु० [सं०] तय ब्राह्मण के रचयिता ऋषि ना नाम । यह प्तरा नामक दामी के पुत्र 4 । महोदुर्गममा पु० [ मे० ] मिट्टी का किला (को०। । महीदेव-सक्षा पुं० [ 10 ] ग्राह्मण । महीधरसमा पु० [10] १. पर्वत । २ बौद्धो । अगा | दयपुत्र का नाम । ३. पनाग | 30-धर्म करत यान पर्व वढायत । तति हित रवि सोविर गायन । गतति उपजत ही निशि वानर । माधत तन मन मुक्ति महीधर ।-केगा (e)। ४. वग्गिा न 'पा नाम जिनमें नौवर पार प्रम में लगु और गुर माने है । यभा, मदा पुगग वारये, नहीं पुगग गारिग, गाय चिन सीन मानिये गगे। ५. एणु 1) येदभाष्य IIT रचयिता निमा भायम पर माप्य नाम रा। गहिय--inju [10] मोधर । पर्वत। 30-ममम पटो गमुफ्त महीन ग अगता परम दिन, पराम: भापान, १०१५ । २. विगु रा नाम ..): मा माया गावानर र (20) 1 गहोघा-न [10] १. म । २. एर राम महीन'---120 माझीन (40 चौग)] मिरों माटामा अंग या महो। 115 | -:म । ॐग, ग.नामा, 11, 777 371 of 171111-1 11 via a tatai 1! 217.711 171 | itis मीन Ter मान 17, RI11 । मगार प्रानन यानीपत 14.। धान ये गाज का BT 171 17:ris गारा न.11 नीलान बनारसनातन र मान माही I मुग | मनोकामा |-- मनारद । (शद)। गुहा--महान का यह नाजिर में ITI मार श्रोत गटाने का मानना?11THIनाग, गुनी पम था। ३ जो वा नभ या ऊचा या तज | 4 | विशप-मब म यह र प्राय" पाता है। महीन-11 . [ H० ] गजा । महीना-- पु [ म० माम या गा , fr. tra गा] A. IT का परमाग्ग जो वप र चार प्रग सरसा:। विशेष—यह साधारणतया नामाना है। महीन गन अधिक प्रार पून भारत। । प्रा. भाग- वपम ८ प्रसार पे मरीन प्रकाना-दी मरवा अग्रेजी। दपी या स्निी मीन चार मारा-मोर माम बाद मान, नक्षत्र माग और मात्रा मा (का पंलि दमा 'मान')। प्रयी | मारना माग १ जो गुगन तिाया में प्रारम नीता। समाज महीना मार माया एप भय, जिसमें सलमाना नही ता कि प्रया माना जा पाल प्रचलन वा चा:म, गौर र मार लिए जीटा जाता है, उन 11, सोर यद यह गान एा महीपा ', सीमा महौता या मनमा कार ( " 'म')} . प्रानरे वर्ग मारा पोरा मगर बागमन र रमा। गाम प्रतिनीय निकायम र माग भगाना गाम मोर राम-न-fr 312 T 717 711 771, "iihi 17 मारवर्षग समनन ! माय."। महीनो नाम प्रसार :- गायन j: 147 मा

मारामा