स म० ४ HO 40 माक्षिक ३८७४ माधी माक्षिक-वि०(मधु को) मक्खियो से मबधित या मक्खियो का । २ सोनामक्खी। माक्षिकज-सज्ञा पु० [ ] मोम । माखों '-मज्ञा स्त्री० [हिं० मक्खी] शहद की मक्खी। (पश्चिम )। माक्षिकधातु-मशा पुं० [सं० ] स्वर्णमाक्षिक । सोनामक्खी (को०] । माखो १-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० मुख ? या देश० ] लोगो मे फैलनेवाली माक्षिकफल-संज्ञा पुं॰ [ म० ] एक प्रकार का नारियल (को०] । चर्चा | जनरव । माक्षिकशर्करा 7-समा स्त्री० [स० ] मधु मे निर्मित मिसरी [को०] । मागध-सज्ञा पु० [ ] १ एक प्राचीन जाति जो मनु के अनुसार वैश्य के वीर्य से क्षत्रिय कन्या के गर्भ से उत्पन्न है। इस जाति माक्षिकातः 1-- मशा पुं० [स० माक्षिकान्त ] माधवी नामक मद्य । के लोग वशक्रम से विरुदावली का वर्णन करते हैं और प्राय महुए की शराब। 'भाट' कहलाते हैं । उ०—(क) मागध बंदी सूत गण विरद मालिकाश्रय-सज्ञा पुं० [ स० ] मोम । बदहिं मति धीर ।—तुलसी (शब्द०)। (ग्व) मागध माक्षीक'-मशा पु० [ म०] १ मधु । शहद । २ सोनामक्खी। वशावली बखाना । -रघुराज (शब्द॰) । २ जरासंध का एक ३ रूपामक्सी। नाम जो मगध का नरेश था। उ०—मागध मगध दश ते आयो माक्षीक -वि० दे० 'माक्षिक' । लीन्हे फौज अपार । —सूर ( शब्द०)। ३. जीरा । माख'- वि० [ स०] [वि॰ स्त्री० माखी ] यज्ञ मवधी । यज्ञीय । यज्ञ पिप्पलीमूल । या मख का [को०] । मागध-वि० [ स० मगध ] मगध दश का । माख-सञ्ज्ञा पुं० स० मक्ष ] १ अप्रसन्नता । नाराजगी । नाखुशी। मागधक-सञ्ज्ञा पुं० ] १ मागध । भाट । २ मगध देश क्रोव । रिम । उ०—(क) देखेउं आय जो कछु कपि भाखा । का निवासी। तुम्हरे लाज न रोस न माखा।-तुलसा (शब्द॰) । (ख) लीबे मागधपुर-सज्ञा पुं० [स० मगध की पुरानी राजधानी, राजगृह । को लाख कर अभिलाप कर कहु माख परे कवहूं हंसि ।-वेनी मागधा-सज्ञा स्त्री॰ [ सं०] १ मगध की राजकुमारी । २ पिप्पली । (शब्द०)। अभिमान । घमड। ३ पछतावा । ४ अपने मागधिक-वि० [ मगध देश मवधी। मगध का । दोपको ढकना। मागधिका-मचा स्त्री० [सं०] १ पिप्पली। पीपल । २ मगध की माखन-सज्ञा पु० [हिं०] 'मक्खन'। उ०—(क) माखन ते मन राजकुमारी। कोमल है यह बानि त जानति कौन कठोर है ।-पानदघन मागधी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स०] १ मगध देश की प्राचीन प्राकृत भापा । (शब्द॰) । (ख) ता खिन ते इन आँखिन ते न कढ़ो वह माखन २ जूही । यूथिका । ३ शक्कर । चीनी। ४ छोटी पीपल । चाखनहारो।-पद्माकर (शब्द॰) । (ग) माखन सो मेरे मोहन पिप्पली । ६ सुफेद जीरा (को०) । एक नदी का नाम । को मन काठ सी तेरी कठेठी ये बातै ।केशव (शब्द०)। शोणा नदी (को०) । ८ मगव की राजकन्या (को०) । ६ मागव यो०-माखनचोर = श्रीकृष्ण । जाति को महिला (को०)। मासना-क्रि० अ० [हिं० माख से नामिक ] अप्रसन्न होना । मागरवाला-वि० [हिं० मांगना+वाल (प्रत्य॰)] मांगनेवाला । नाराज होना । क्रोध करना । उ०—(क) अव जनि कोउ माखइ उ०-मागरवाल जू आविया देमे माल्ह मुजाण । भट मानी । वीरबिहीन मही मै जानी । —तुलसी (शब्द॰) । (ख) टू०१८४ । माख लखन कुटिल भई भौहें । रदपुट फरकत नैन रिसौहैं। मागिgrt-सझा पुं० [सं० मार्ग, प्रा० मग्ग, माग ] दे० 'मग' । तुलमी (शब्द०)। (ग) पत्र सुनत रतनावती मुडन कीन्छौ उ०-उक्कवी मिर हथ्थडा, चाहती रस लुघ । ऊंची चढि केश । सुनत माखि मारन चहौ रतनावतिहिं नरेश । -रघुराज चातृगि जिउँ, मागि निहालइ मुध । - ढोल०, दू० १६ । (शब्द०)। (घ) कळू न थिरता लहै छनक रीमै छन माघ -सज्ञा पुं॰ [स०] १ ग्यारहवां चाद्र मास जो पूम के बाद और मास ।-व्याम (शब्द०)। फागुन से पहले पडता है। उ०-माघ मकर गत रवि जव माखनी-वि० [हिं० माखन+ई ] मक्खन के रग का। सफेद । होई । नीरथपतिहिं आव सब कोई । —तुलसी (शब्द॰) । २ उ० - बटन रोज बहु लाल, ताम्र माखनी रग के कोमल । सस्कृत के एक प्रसिद्ध कवि का नाम । ३ उपर्युक्त कवि का -ग्राम्या, पृ०७६ । बनाया हुआ एक प्रसिद्ध काव्यग्रथ जिसमे कृष्ण द्वारा णिगुपाल माखा-तशा पु० [हिं० मासी ] मक्खी का पुलिंग। नर मक्खी। का वध वर्णन किया गया है। ज०-वा माखी के माखा नाही गरभ रहा विन पानी। माघ---सञ्ज्ञा पु० [सं० मान्य ] कुद का फूल । उ० – मुसुकान कढहिं पट०,३५६ । रद माघ से फाल्गुन मो जोधा महत ।-गोपाल (शब्द॰) । मासी-मज्ञा स्त्री० [सं० माक्षिक ] १ मक्खी। उ०—(क) माघवती-मज्ञा सी० [स० ] पूर्व दिशा । दूध की माष उजागर वीर मो हाय मैं आँखिन देखत माघी' '-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० माध+ ई ] माघ माम की पूर्णिमा जो मधा खाई। ठाकुर (गन्द०)। (ख) चदन पास न बैठे माखौ ।- नक्षत्र से युक्त होती है। कहते है कि कलियुग का प्रारभ इसी जायमी (मन्द०)। (ग) भामिनि भयउ दूध कर माखी। तिथि को हुआ था। तुलगी (शब्द०)। माधी-वि० माघ का । जैसे, माघी मिर्च । ७ ढोला०, 1
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/११५
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