पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१४८

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मालिश ३४२५ मालोपमा मर्दन । मालिश - मला मी० [फा०] मलने | भान या निया । मलाई । मालु '-म 0 1 0 1 2 TERTI TT मजाकिरी है। 0 नागाली। योग्त । माली'.-सज्ञा पुं॰ [ म० मालिन्, प्रा० मालिय] [ी० मालिनि, मालुक न. पु. [ 10 ] एप प्रगार मनमो गाग,"। मालिन , मालन, मालिनी] १ वाग को गीचने मौर पौधा मालकाच्दन- पु. [ 10 ] प्रमतर । करे। की लोक स्थान पर लगानेवाला पुग्प । वह जो पोचो को उगाने मालुद-मरा पुं० [सं०] बौसमर पर च.7 21 और उनकी रक्षा करने की विद्या जानता और मीरा का नाम। व्यवगाय करता हो। उ०-पुलक बाटिका बाग वन गुग्म मुविहग विहार । माली मुमन मनह जन सीचत नोचन मालुधार-राशा ० [सं०] १. पार TT TIT । २. गाठ 1 मेनागरा नाम । ३. महा। चार । —तुलसी (शब्द०)। २ एक छोटी जाति का नाम । इस जाति के लोग वागो में एर लानान। मालुधानी-सहा सी० [ मं० फन के वृक्ष लगाने, उनकी कलमे काटने, फूलो को सुनने और मालुम-० [अ० मालूम ] शान । मातृम । 30--गिगि गरि उनकी मालाएं बनाते और फूल तथा माला बेनत है। इस उधार कियो, मठ मेवट गीत पनि गति नहीं। जिनाr जाति के लोग शूद्र वर्ण के अतर्गत गाने जाते हैं। इनके दियो मेवरी गग को फपि थापा गा मा ।- हाथ का छूया जन्न ब्राह्मण क्षतियादि पीते है। तुलगी (शब्द०) माली-वि० [सं० मानिन् ] [ ग्लो० मालिनी ] १ जो माला पारण मालू-मा सी० [-10 ] एक प्रातर को बैन जो वागा मनामा लिये लगाई जाती है। किए हो । माला पहने हुए। २ युक्त । परिवृत । मालित (को०)। विशेष-प्राय मारे गान्न में यह न जानीगा में पाई जाती माली' -संज्ञा पुं० १. वाल्मीकीय रामायण के अनुगार गुण गक्षग है । माल के जंगलों में यह बहा आधा सोती । का पुन जो माल्यवान और मुमाली फा भाई धा। २ गजी- इसे छांटा या रोका न जाय ना यर न जादो पाता है वगण नामक छंद का दूसरा नाम । और वृक्षा को बहुत अधिक हाने पगाता । गीगाना माली-वि० [फा०, १० माल ] माल से मबंध ग्पनेवाला । मैकडो फुट तक पहुंनती है। गको पाल में गा निघाला प्राधिक । धनगंबंधी। जैसे-पाजान उगकी माली हालत जाता है और उसमे रम्न प्रादि नाए जाते है । गत पराब है। पत्तियां पौर वीज ग्रीषय में काम आत्मोर गीज भूनकार मालीखूलिया-सज्ञा पुं० [ यू० मेलागखोलिया अ० मालखूलिया, पाए भी जाा। मगो पनियों के दानी बनाए जात मालीखूलिया, मि० अ० मेलाफोली ] एक प्रकार का मान- मालूक-ससा पुं० [ 10 ] पानी तुलनी । शा गुलनी। सिक रोग । सन्त । मस्तिष्कविकृति । चित्त ना मशका रहना । मालूधानी- मक्षा ग• [ मे० ] एक प्रकार गोला । विशेप-इस प्रकार के रोगी प्रायः एकात मे ही रहना चारत है मालूम'-० [ ] १. जापा। ज्ञात । उ-रे गाम का और पिमी गे अधिक बातचीत नही नारत । फिली को मको नहीं मानून । गुदा ा नाम - निना नही मालीगौड़-सा पु० [ म० ] २० 'मालव गोट' । मालूम ।-पिता T०, भा० ८, १० ३००।२ प्राट। मालीद-सला पु० [अ० मालियटना ? ] एक धातु का नाम जो प्रसिद्ध । ग्यात। चांदी की भांति उज्वल और चमकदार होती है । मालूग'--मझा पुं० [ 10 ] नारा प्रकार (२०) । विशेप-यह चाँदी में पधिक फटी होती है और बहुत ही तेज मालूर-गृत पुं० [ 10 ] १ येत राप । २ | 30- पांच में गलती है। इसका भटवी भार ६६ होता है। इमरण मातूर पगभी १८ पूर।-पृ० १०, ६०1७६ | २५ मोमियम, टग्स्टेन और यूरेनियम में गगायनिफ गरथ है पौर उनके महश ही इसमे प्रालजित् बनता पौर क्षार के गृग्गो मालय--11 . [] जालागार । मर्म, । मो धारण करता है। यह मरफेट के नए में मिलता है। मालेया-1 [10] वरी जाय। गालोदा-गापु० [फा० मालीदा] १ मीरा । मा। २. मालोपमा- . [ ] " प्रसार मा एन प्रकार का ऊनी पाटा जो बहुत कामल पोर गरम पर उम्भवना मा. 14-माये होला। भिनाय 11-7 . at विशेष-या कपापामार पार ममृतगर पादि म्यानों में बनता में पार, पन प्रमा है। ऊनी चादर को लेकर परम पानी में पूय गलत र जिम घिसिंगा को पार : कार का नाम उगो सा बात गाई और गुलायम हो जाा है। मारीद की का। मनन गर म 23 मार : गिगी निया की काबा मेहरोती। परमापर मेयर र ..." मानु'- '-AT-1 40 पा मगर जाति । ३० 'माल-श गुपमा गुरिद सोहे मंद सम37 11-गार:00