पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१४७

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गर्भ मे शकुतला मालादूर्वा मालिवान काव्य मो मोहत वचन महान । वाणी ही सो रसिक जन तिन देता है । २ स्वामी का अधिकार या स्वस्त । मिलकियत । मो सभा मुजान। स्वामित्व । मालादूर्वा-मञ्ज्ञा स्त्री० [ म० ] एक प्रकार की दूब जिसमे बहुत सी मालिकाना-क्रि० वि० मालिक की भांति । मालिक की तरह । जमे, गांठें होती हैं। मालिकाना तौर पर। विशेप-इसे गडदूर्वा, प्रथिदूर्वा, मालाग्रथि भी कहते हैं । वैद्यक मालिकी-सज्ञा स्त्री॰ [फा० मालिक + ई (प्रत्य॰)] १ मालिक होने मे इसका स्वाद मधुर, तिक्त और गुण पित्त तथा कफनाशक का भाव | २ मालिक का स्वत्व । माना गया है। मालित - वि० [सं०] १ जिसे माला या हार पहनाया गया हो। मालाधर-सज्ञा पु० [ म० ] सत्रह अक्षरो के एक वणिक वृत्त का २ जो किमी के द्वारा घिरा वा घेरा गया हो [को॰] । नाम जिसके प्रत्येक चरण मे नगण, सगण, जगण फिर सगण मालिन-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० मालिन् ] १ माली की स्त्री । २ माली और यगण और अत मे एक लघु और फिर गुरु होता है। का काम करनेवाली स्त्री। जैमे,-फिरत हम माथ बधु तुम्हरीहिं चिंता भरे । मालिनी [--सज्ञा स्त्री० [सं० मातिन +ई (प्रत्य०) J१ मानिन । मालाधर-वि० जिसने माला धारण की हो। जो माला पहने हुए २ चपा नगरी का एक नाम | ३ स्कंद को सात मातायो में हो को०] । मे (जिन्हे मातृकाएं कहते है) एक माता का नाम । ४ गौरी । मालाधार-सज्ञा पुं० [सं० ] दिव्यावदान के अनुसार बौद्धो के एक ५ एक नदी का नाम जो हिमालय पर्वत मे है। देवता का नाम । विशेप-पुराणानुसार इसी के तट पर मनका मालाप्रस्थ-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] एक प्राचीन नगरी का नाम । का जन्म हुआ था। मालाफल-सज्ञा पुं० [सं०] रुद्राक्ष । ६ भदाकिनी । गगा । ७ कलियारी | करियारी। ८ दुगलभा । मालामत्र--सज्ञा पुं० [सं० मालमन्त्र ] एक प्रकार का मत्र । जवासा । ६ एक वणिक वृत्त का नाम । मालामणि-सज्ञा पु० [ स० ] रुद्राक्ष । विशेप- इसके प्रत्येक पद मे १५ अक्षर होते है जिनमे पहले छह मालामनु-सञ्चा पु० [सं० ] दे० 'मालामत्र' । वर्ण, दसवां और तेरहवां अक्षर लघु और शेप गुरु होते हैं मालामाल-वि० [फा०] धनवान्य से पूर्ण । मपन्न । (न न भ य य) । जैसे,—'अतुलित बलधाम स्वर्णशैलाभदेह' या मालारिष्टा, मालारिष्ठा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स०] पाची या पाटी नाम की 'दसरथ सुत द्वेपी रुद्र ब्रह्मा न भाम'। इसे कोई कोई मात्रिक भी मानते हैं। लता जिसके पत्तो की गणना मुगधि द्रव्य मे होती है। मालालिका-मज्ञा स्त्री॰ [सं० ] पृक्का । असवरग । १० मदिरा नाम की एक वृत्ति का नाम । ११ महाभारत के अनुसार एक राक्षसी का नाम । १२. मार्कंडेय पुराण के अनु मालाली-सञ्ज्ञा स्त्री० [ स० ] पृक्का । असबरग। मार रोच्य मनु की माता का नाम । १३ विराट के महल मे मालावती-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] एक सकर रागिनी का नाम जो पचम, गुप्त वास करते सयय द्रौपदी का नाम । १४ विभीषण की हम्मीर, नट और कामोद के सयोग से बनती है। कुछ लोग माता का नाम । उ०-उनमे पुष्पोत्कटा मे रावण, कुभकर्ण, इमे मेघ राग की पुत्रवधू भी मानते हैं । मालिनी से विभीपण तथा राका से खर और शूर्पणखा मालिंद्य- सक्षा पुं० [ सं० मालिन्य ] एक प्राचीन पर्वत का नाम । हुए।-प्रा० भा०प०, पृ० ८६ । मालिक'-सञ्ज्ञा पुं० [०] १ माली। २ एक प्रकार की चिडिया । मालिन्य--सज्ञा पु० [सं०] १ मलीनता । मैलापन । १ अपवित्रता। ३ रजक । धोवी । ४ रंगरेज (को०) । २ अधकार । अधरा। मालिक'-पु० [अ०] [सी० माक्षिका] १ ईश्वर । अधिपति । उ०- मालिमडन-सज्ञा पुं॰ [ स० मालिमयडन] पुराणानुसार एक राजा माया जीव ब्रह्म अनुमाना। मानत ही मालिक बौराना।- का नाम। कवीर (शब्द॰) । २ स्वामी । ३ पति । शौहर । मालियत-सज्ञा स्त्री० [अ०] १ कीमत । मूल्य । २ सपत्ति । धन । मालिका-सज्ञा सी० [सं०] १ पक्ति । ३. मूल्यवान् पदार्थ । कीमती चीज । पहनने के एक प्राभूपणं का नाम । ४, पक्के मकान के ऊपर मालिया-मञ्चा पुं॰ [देश० ] मोटे रस्सो मे दी जानेवाली एक प्रकार का खड। रावटी। ५ द्राक्षामद्य । अगूर की शराव । ६ की गांठ जिसका व्यवहार जहाज के पाल वांधने मे होता है। मद्य । ७ पुत्री। ८ चमेली। चद्रमल्लिका। ६ अलसी। (लश०)। १० मालिन । ११ मुरा । १२ राजभवन । प्रामाद (को०)। मालिया-सज्ञा पुं० [अ० मालियह] राजस्व । मालगुजारी। १३. सप्तला । मातला। लगान (को०] । मालिकाना-मज्ञा पु० [फा० मालिकानह, ] १ वह कर, दस्तूरी मालियाना-अव्य० [अ० मालियानह ] राजस्व । लगान । या हक जो मालिक प्रदना या कब्जेदार मालिक ताल्लुकेदार को मालिवान-मचा पुं० [सं० माल्यवान् ] दे० माल्यवान्। २, माला। ३. गले में --