1 मुहा० मिलावनो ३१२८ मिश्की मिलाए जाने का भाव । किसी अच्छी या वढिया चीज में किसी विशेप-यह हक जिसे प्राप्त होता है, वह जमींदार को किसी घटिया चीज का मेल । खोट । जैसे,—यह सोना ठीक नहीं है, प्रकार का लगान प्रादि नही देता। इस प्रकार की मिलकियत इसमे कुछ मिलावट है। जमीदारी और काश्तकारी के बीच की होती है और मुरादावाद आदि विशेप-इस शब्द का प्रयोग केवल वस्तुओ के मिश्रण के लिये कुछ पश्चिमी जिलो मे ही पाई जाती है । होता है प्राणियो के सयोग के लिये नही । ४ धन | सपत्ति । उ०—काम ना आता दिसे मुल्को माल, देव मिलावनो-सज्ञा पु० [हिं० मिलाना ] मिलाने का कार्य । ताल । मुझे या रब तूं मिल्के वेजबाल । —दक्खिनी०, पृ० १८५। ५ अधिकार । मिल्कियत । थपक । उ०-थोद थलकि वर चाल, मनो मृदग मिलावनो नद० ग्र०, पृ०३३४ । मिल्कियत-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ० ] १ जमीदारी। २ जागीर | माफी | मलिंद-सज्ञा पुं० [सं० मिलिन्द ] भौंरा । भ्रमर । उ० मदरस ३ धनसपत्ति । जायदाद । ४ वह पदार्थ या धनसपत्ति जिस- मत्त मिलिंद गन, गान मुदित गननाथ ।-मतिराम पर नियमानुसार अपना स्वामित्व हो सकता हो या भावकार (शब्द०)। पहुंच सकता हो। जिसपर मा.लको का सा हक हो। जैसे,- वह सब तो हमारी मिल्कयत ठहरी, हम छोड कैसे मकते हैं। मिलिदक-संज्ञा पुं० [सं० मिलिन्दक ] एक प्रकार का साँप । मिलिक-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ० मिल्क] १ जमीदारी । मिल्कियत । २ मिल्की-सञ्ज्ञा पुं० [अ० ] १ मिल्क का स्वामी या अधिकारी। जागीर । उ –ब्रज की मूमि इंद्र तें मानो मदन मिलिक करि जमीदार । २ जागीरदार | माफोदार । पाई।--सूर (शब्द०)। मिल्कीयत-सञ्चा स्त्री० [अ० मिल्कियत ] दे० 'मिल्कियत' । मिलिटरी'- वि० [अ०] १ सेना या सैनिक सबंधो। फौजी । जैसे,- मिल्लत'-सज्ञा स्त्री॰ [हिं० मिलन+त (प्रत्य॰)] १ मेल जोल । मिलिटरी डिपार्टमेट । २ युद्ध सवधी। सामरिक । जगी । ३ घनिष्ठता। मिलाप । जैसे,—उनम मिल्लत बहुत है । लडाका । योद्धा । जैसे,—यह मिलिटरी आदमी है। o-मिल्लत का = जिसमे मिलनसारी हो। मिलनसार । मिलिटरी-सक्षा स्त्री० [अ० ] सैन्य दल। पलटन । फौज । जैसे, जैसे,-वह बहुत मिल्लत का प्रादमा है । दगे के दिनो में नगर में मिलिटरी का पहरा था । ३ समूह । मडली । जत्था । (क्व०)। मिलित-वि० [ ] मिला हुआ । सगमित । युक्त । मिल्लव'-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ०] मजहब । सप्रदाय । पथ । मत । जैसे,- मिलिशा-सशा स्त्री० [अ० ] ऐसे जवानो का दल जिन्हें किसी सीमा हर मिल्लत के श्रादमी से वह अच्छा व्यवहार करता है । उ०- या स्थान की रक्षा के लिये शिक्षा दी गई हो और जिनसे समय जर मजहवो मिल्लत मेरा, वदी हूँ मैं जर की। जर ही मेरा समय पर रक्षा का काम लिया जाता हो । खडी पल्टन । इसका अल्लाह है जर राम है मेरा । -भारतेंदु ग्र०, भा० २, संघटन स्थायी नहीं होता । जैसे, वजीरिस्तान मिलिशा । पृ० ७६१। मिलिशिया सज्ञा स्त्री॰ [ मिशन- सज्ञा पुं० [अ०] १ वह व्यक्ति या व्यक्तियो का समूह जो अ० मिलिशा ] दे० 'मिलिशा' । किसी विशेष कार्य या उद्दश्य से कहीं भेजा जाय। विशिष्ट कार्य मिलेठी-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० ] दे० 'मुलेठी' । के लिये भेजे हुए प्रादमी या महल । २ उद्देश्य । महान् मिलोना-क्रि० स० [हिं० /मिल+योना (प्रत्य॰)] १ दे० लक्ष्य । ३ वह सस्था, विशेपत ईसाइयो को सस्था, जो 'मिलाना' ।२ गौ का दूध दूहना । सघ टत रूप से ईसाई धर्म के प्रचार का उद्योग और लोगो को मिलोना -मज्ञा पुं॰ [ स०] एक प्रकार की बढिया जमीन जिसमे कुछ ईसाई धम मे दी.क्षत करती है। ऐसी सस्था का केंद्र या वालू भी मिली होती है। क.यालय श्रादि। ५ राजनीतिक उद्देश्य से भेजा हुआ दूत- मिलौअल-मशा सी० [हिं० /मिल + श्रीअल (प्रत्य॰)] १ महल । परस्पर मिलने की क्रिया या भाव । २ भेंटना । गले लगाना। मिशनरी-सक्षा पुं० [अ० ] वह ईसाई पादरी जा किसी मिशन का उ०--किसी से गले मिलौग्रल, किसी से मुक झुककर पादाव । सदस्य होता है और अनेक स्थानो मे ईसाई धर्म का प्रचार -प्रेमघन०, भा॰ २, पृ० १४६ । करने के लिये जाता है। २ ईसाइयो का कोई धर्मपुरोहित । मिलौनी-मज्ञा नी० [हिं० मिलना+ौनी (प्रत्य॰)] १ मुसलमानो मे विवाह की एक रस्म जिसमे वरातियों आदि को कुछ नकद मिशि-मना स्त्री० [सं० ] दे० 'मिशी' । या वस्तुएं भेंट की जाती हैं। मिलाई। दे० 'मिलनी'। २ मिशी-सञ्चा स्त्री० [ स०] १ जटामासी। २ मधुरिका । सोमा । किनी अच्छी चीज मे कोई खराव चीज मिलाना। ३ दे० ३ सौंफ । ४ मेथी। ५ दाभ । बडी डाभी। 'मिलाई। ४ मिलने की क्रिया या भाव । मिलावट । ५ मिलाने के बदले में मिला हुआ धन । मिश्की-वि० [फा० मिश्की ] १ कस्तूरी की सुगध से पूरित । जैसे, मिश्की काकुलें । २ कस्तूरी की तरह काला या स्याह । उ०- मिल्क-सज्ञा पु० [अ०] १ जमींदारी। २ जागीर । मुग्राफी । ३. अव वह मिश्की जुल्फो की बनावट ।-प्रेमघन॰, भा॰ २, जमीन की एक प्रकार की मिलकियत या मालिकाना । हक । पृ० २५८ 1 तण पादरी।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१६९
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