सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१७०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मिटाई मिश्र ३६२६ पृ०२८७। स० HO मिश्र-वि० [सं०] १. मिला या मिलाया हुआ। मिश्रित । सयुक्त। मिश्रिी-सज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'मिश्री' । उ०–ताके लिये मेवा जैसे, मिश्र धातु। २. श्रेष्ठ । वडा । ३ ।जसम कई भिन्न भिन्न मिश्रि डारि के लडुआ किए ।-दो सौ वावन०, भा० १, प्रकार को रकमा ( जमे, रुपया, पाना, पाई, मन, सेर छटांक ) की सख्या हो । जसे, मश्र भाग, मिश्र गुणा । ( गणित )। मिश्रित-वि० [सं०] १. एक मे मिलाया हुअा। मिश्रण किया मिश्र-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ हाथिया की चार जातियो मे से एक हुया । २ मिला हुआ। जात । २. सानपात । ३ रक्त । लहू । ४ मूली । ५. ज्योतिष मिश्रिता-सञ्ज्ञा स्त्री० [ ] मदा आदि मप्त प्रकार की मक्रातियो मे के अनुसार उग्र आदि सात प्रकार के गणा मे से प्रातम या से एक प्रकार की सक्राति । वह मूर्यस क्रमरण जो कृत्तिका और सातवॉ गण जा वृत्तिा और विगाखा नक्षत्र के याग मे होता विशाखा नक्षत्र के समय हो । है। ६. सरयूपारीण, कान्यकुज, सारस्वत, मैथिल और शाक- मिश्री'-मश पुं० [ स० मिश्रिन्] १. मिलानेवाना। मिश्रण करने- द्वीपीय, ब्राहाणा के एक वर्ग का उपाधि । ७. श्रेष्ठ व्यक्ति। वाला। २ एक नाग का नाम । समानित जन । जैसे, प्रार्य मिश्र (को०)। ८ ताल ( सगोत मे) मिश्री'—सज्ञा स्त्री० [हिं० ] दे० 'मिमरी' । ६. मूल और व्याज ( धन के साथ प्रयुक्त ) । मिश्रीकरण-सज्ञा पुं० [ स० ] मिलाने की क्रिया । मिश्रण करना । मिश्रक-सञ्ज्ञा पुं० [ ] १.खारी नमक । २. वैद्यक मे एक प्रकार का वग या राँगा जिसे खुरा रागा भी कहते हैं । ३ देवतायो मिश्रोतुत्थ-सञ्ज्ञा पु० [ सं० ] खपारेया । खर्पर । सग बसरी। मिश्रेया-सझा सी० [ स०] १. मधुरिका। मोरी । २ एक प्रकार का उद्यान । नदन वन । ४ एक तीर्थ का नाम । ५. जस्ता। का साग । ३ शतपुष्पा । तालपर्ण । ६. मूली। मिश्रक-वि० १. मिलानवाला । मिश्रण करनेवाला । २. मूलक । मिश्रोदन-सज्ञा पु० [सं० ] खिचटी। मिप-सज्ञा पु० [सं०] १ छल । कपट । २ बहाना। हीला। मिश्रकस्नेह-सज्ञा पु० [ स०] वैद्यक मे एक प्रकार की औषध जो मिस । उ०-सीखने सी वह लगी भय मिप भृकुटि सचार । त्रिफला, दशमूल और दती का जड आदि से बनाई जाती है -शकु०, पृ० ८ । ३ ईर्ष्या । डाह । ४ स्पर्धा । होड । ५ और जिमका व्यवहार गुल्म आदि रोगो मे होता है । दर्शन । ६ सेचन । सीचना। मिश्रकावण-सशा पु० [सं० ] दवतानो का उद्यान । नदन । इद्रवन । मिपि-सज्ञा ली० [सं०] १. जटामासी। २ सौपा। ३ सौंफ । मिश्रकेशी-सच्चा सी० [सं० ] एक अप्सरा का नाम जो मेनका की ४. अजमोदा । ५. खस । उशीर । सखी थी। मिपिका–सञ्चा स्त्री॰ [ स०] १. मोया । २. सीफ। ३. जटामासी। बालछड । मिश्रज-सज्ञा पुं० [सं०] १ वह जो दो भिन्न जातियो के मिश्रण से बना या उत्पन्न हुआ हो । खच्चर । मिपी-सञ्ज्ञा स्त्री० [ ] ३. 'मिपि । मिश्रजाति-वि० [ म० ] जो दो जातियो के मिश्रण से उत्पन्न हुआ मिष्ट'-सचा पु० [ ] १. मीठा रस । २ मिष्टान्न । मिठाई (को॰) । हो। वर्णमकर । दोगला । ३. स्वादिष्ट भोजन (को०) । मिष्ट-वि० १. मीठा । मधुर । २. सिक्त । तर (को०) । ३ मेंका, भूना मिश्रण-सञ्ज्ञा पु० [स०] 1 स० मिश्रणीय, मिश्रित ] १. दो या या पकाया हुआ। अधिक पदार्थों को एक मे मिलाने की क्रिया । मेल । मिलावट | मिष्टकर्ता-सञ्ज्ञा पु० [स० मिष्टकर्तृ ] मिष्टान्न तैयार करनेवाला, २ जोड लगाने की क्रिया । जोडना ( गणित )। हलवाई (को०] । मिश्रणीय-वि० [ ] जो मिश्रण करने योग्य हो । मिलाने योग्य । मिष्टतपुर-वि० [ स० मिष्ट हिं+(प्रत्य० न्वाथि०)] मीठा । मिश्रता-सज्ञा स्त्री० [सं०] मिश्रित होने का भाव । मिलने या मिलाने मधुर । उ०-चाढ कदम्म वुल्ले सुप्रभु मधुरित मिटत वानि । का भाव । -पृ० रा०,२ । ३७६ । मिश्रधान्य-सझा पु० [स० ] एक मे मिलाए हुए कई प्रकार के मिष्टनिव-सज्ञा पुं० [सं० मिष्टानम्व ] मोठो नीम । धान्य। मिष्टनिंबु-सञ्ज्ञा पुं॰ [ सं० मिष्टानम्वु ] मोठा नावू । जमीरी नीबू । मिष्टपाक - सशा पु० [स० ] मुरव्या । मिश्रपुष्पा-सशा स्त्री॰ [ स० ] मेथी । मिष्टपाचक-सजा पु० [सं० । वह जो बहुत अच्छा भोजन बनाता मिश्रवन-सज्ञा पुं॰ [ ] भटा। हो। जिसका बनाया भाजन बहुत स्वादिष्ट हाता हा । मिश्रवणे '-सा पु० [ स०] १. काला अगरु । २. गन्ना । पौंढा। मिष्टभापी-संज्ञा पुं॰ [ मं० मिष्टभापन् ] वह जो मीठा बालता हो । मिश्रवर्ण–वि० मिले जुले रगो का । अनफ रगो का [को०) । मधुरभापी। मिश्रवर्णफला-सशा सो [ ] भटा (को०] । मिष्टवाताद-सा पु० [सं०] मीठा वादाम । मिश्रव्यवहार-सज्ञा पुं० [सं० ] ग रात की एक क्रिया । मिष्टाइ-तशा स्रो० [सं० मष्ट ] २० मिठाई। उ०—मिष्टार मिनशब्द-सशा पु० [सं० ] खच्चर । विवह विचित्र । मष्टा रूप पावत्र ।-पृ० रा०, ६१७५६ । go मु० HO