पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/१८४

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मुंडासारद ३६४३ २. माय म मुगभार मुला-मुंह थाना मुके घर छाले पना पौर महग मुंडामावद-गग पुं० [हिं० मुंडामा+द (प्रन्य०) ] यह जो कपडे ने पगटी बनाने का काम करता हा । दस्तारनद । मुंटिया -शा सी० [हिं० मूंड (= सिर) का भी० ] मृट । सिर । मुंडिया-ज्ञा पुं० [ [हिं० मूंडना+इया (प्रत्य॰)] यह जो मिर मुंटाकर माधू या जोगो प्रादि का मिय हो गया हो। मन्यासी । उ०—जिनके जोग जोग यह कयो, ने मुटिया वर्म कामी ।—र (शब्द०)। मुंडेर-मजा ली० [हिं० मुंदेरा ] १. मुटेरा । - सेत ते चारो ओर मीमा पर अथवा क्यारियो मे या उभग तमा अग। मेट। . डोला। कि००-धंधना ।-बोधना । मुंडेग-सज्ञा पुं० [हिं० मूंड (= सिr , + ग (प्रत्य०) ] १ दोबार का यह ऊपरी भाग जो मनसे ऊपर की या के चारो ओर कुछ कुछ उठा हग होता है । २ किमी प्रसार म बांधा हुगा पुरता। +0 कि० प्र०-६धना-बांधना। मुंडेरी-मया सी० [हिं०] छोटी मुडेरी। मुंढिया- सशा स्री० [हि० मोढ़ा+इया ( प्रत्य० ) ] वंठने या छोटा मोढा। मुंदना-फ्रि० अ० [सं० मुद्रण ] १ खुली हुई वस्तु का हक जाना । वद होना । जैसे, प्रांम्व मुदना । उ०-भोर भए जने पुमोदनी मुंदति कस भय गोहे।-नद० ग्र०, पृ० ३३१। २ लुम होना । छिपना । जने, दिन मुदना, मूर्य मुदना । ३ दि धादि का पूर्ण होना । देद, बिल शादि का बर होना । सयो क्रि०-जाना । मुंदग- राग पुं० [हिं० मुंदरी ] १ एक प्रकार पा पुजन जो जोगी लोग पान मे पनो है । २. एक प्रचार गया भूपण जो कान गे पहना जाता है। गुदरी-मा सशा [सं० मुद्रा ] १ उंगली में पहनने का वादा एन्ला । 30- नाय हाघ गाये घरेउ प्रभु मुदरी गुर मेलि ।-तुलनी० ग्र०, १? । २ प्रगूठा । यगुः । मुँह-माण . [ म. मुग्य] १ प्राणी ना वह अग जिमने पर योनगा भौर भोजन मरता है। मुम्ववियर । 31-पतयो दैन्य मारि मुह मेलत लियो उगनिन पूजा -विद्यापति, पृ०७३२ । विशेष ---प्राय मभी प्राणिया का मुर सिर में होता है और उनसे पाने का काम से मन निरानने- वाले प्राणी उगमे योलग पा भी जाम रेने। पमिशनजीको के मुर में जीभ, मौत और जब तर, पोर उने पौनया बंद करने के लिये प्रासपी पौर गाउ हो। पच्चिो या पुर पौर जीयो के गु- में सात नही होने | पोरे पोरे जीर पो भी होते हाजन मुह गेट मा शरीर के रिगी पो माग विशेष-प्राव गग्मी प्रादि के रोग म पाग पारिमिशिष्ट पारध सान गेया होता है। गुर का फा= (१) (घो...) जो लगाम या गटान महमो (२) गिगा बात का कोई निसान न हो। भूठा । (३) जो रिली बात को गुप्त न ता । हर बाा गवगे कह देनेवाला । मु का = (१) ( पोज ) जो निंबान ने यापार 1 चले । गाम मे गोत को युष न गमभने- वाला । (२) ne | तेज । (३) उद्दटतापूग वान ररनेगाना। मुं: फिलाना = गुह का गेला या बद किया जाना । मुंह की चात छीनना = जो बात गोई दूमग करा पाहता हो, यही गह देना। मुंह की मपानी न उठा साना = बहुत अधिक राना । मुंह कीपना = सोनगे रोकना । उस परना । मुंध सरार परना = (१) जगन का बार विगन्ना । (२) जान में गदी बाते रहना । मुंह सुनना = उदयतापूर्वक बातें 17 की पान परना। जन-ग्रामात तुम मुहबा गुन गया, किमो दिन धीजा सानोगे । सुनपाना=रिगी यो उदऽतापूर्वक बाते पारने के लिये पाध्य करना । मुंद पुरफ होना = २० 'मुह गृगना' । मुंह ग्योलकर रह जाना = पुष कहते फारने जा या गकोच के पारश गुप हो जाना । सहम- कर रह जाना । मुंह ग्योतना = (१) करना । बोलना । उ०- काग नार बाय देन हैं और हमने न पोन मुर पारा । -चोरो०, पृ० ५३ । (२) गालियां देना । गराय चारों वरना । (दिमी को ) मुंध दाना=(१)तिमी यो वन उदर बनाना । बाग फरने मे पृट करना। गोप परना। मे,- अापने का नौकर या बहन का गाई। (२) अपा। पाता पौर प्रिय बनाना । ८ चढना = (१) नोनन होगा। गागा जाना । (२) गुह में व्यर्थ की वाले या दुर्गगन गिना। ३०-गा पनाए बात उन रा। नव मना पिन नमन गुंग ना !- T०, पृ० १८ | मुंद पलाना = (१) नाना। Tot (5) 313711 77111() 77 311 दुगत पान। (१) पापा, पाडे या Tizirl (TITA at marami धानि, पनामा TRI म बिगाहा गरण मना । ॐद मकर पोर देना नंगा दना। गर्गला गरोपी दे ! पुराना = [.. मुभाई] = (s) 777 9797 i foto ti, CiT OTT में गा12-ir far मुभी निमा गा। (२)लिया यर 31 1 मुहरहर होना = दुपा मा म पर गरना या at Tami jätti = 'tr 477 57*** Is 4* i SIM TT*11, मेोता है। ८-२२