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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२०६

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1 श्र० 1 मुतरज्जिम ३६६५ मुदब्बिर मुतरज्जिम-सचा पुं० [अ०] जो अनुवाद करे । तरजमा करनेवाला । मुताह-मग पुं० [अ० मुतथ] मुसलमानो मे एक प्रकार का अस्थायी अनुवादक। विवाह जो 'निकाह' ने निकृष्ट समझा जाता है। इन प्रकार मुतलक-क्रि० वि० [अ० मुतलक ] जग भी। तनिक भी। रत्ती का विवाह प्राय गीया लोगो मे होता है । भर भी। उ०--जिमका नित नोन सात मुतलक भी ना डरात। मुताही-वि० [हिं० मुनाए + ई (प्रत्य॰)] १ वह जिनके नाथ अछा वजूद पाय औरत से हारा है । मलूक० वानी, मुताह किया गया हो । २. रपेली । (स्त्री)। पृ० २० । मुति'- सझा सी० [ म० मुक्ति ] » 'मुक्ति' । उ०-जोग मग्ग लन्भिय न पग मग्गह मुति पाइय।-पृ० रा०,१२१५३ । मुनलक'-वि० बिलकुल । निरा । निपट । मुतवज्जह-वि० [अ० ] जिमने किसी ओर तवज्जह की हो। जिमने मुतिः २-शा सी० [सं० मुक्ता ] मौक्तिक । मोती। उ०--मुख ध्यान दिया हो । प्रवृत्त । भुवि चद्र लिलाट अमित वर माल माल मुनि । -पृ० रा०, २।४२४॥ मुतवफ्फा-वि० [ मुतवप फा] परलोकवामी। मृत । स्वर्गीय । ( कच०)। मुति@- नवा सी० [ म० मुर्ति, प्रा० मुक्ति ] दे॰ 'मूर्ति' । उ०- मुदरि कनक केया मुति गोरी। दिने दिने चाँद कला मो मुतवल्ली--मशा पु० [अ० ] किमी नाबालिग और उसकी मपत्ति बाढलि जउवन शोभा तोरी-विद्याप.ते, पृ० १७ । का रक्षक । किसी वडी सपत्ति त्रीर उसके प्रत्पवयस्य अधिकारी का कानूनी सरक्षक । वली। मुतिया-नशा पु० [हि० मोती+ या दे० 'मोती' । उ०—मनु नव नीत कमल दल ते भल मुतिया झरही।-नद० प्र०,पृ० २०१। मुतवस्सित-वि० [अ० ] न अधिक न कम । दरमियानी। बीच का। उ.-मुहम्मद मुतवम्मित दरयाव, तीन लोक है उनकी मुतिलाडू-सज्ञा पुं० [हिं० मोती + लड्डू ] मोतीचूर का लड्डू । नाव । दक्खिनी०, पृ० ३०३ । उ०—मुतिलाडू हैं अति मीठे। वे खात न कबहुं उवीठे।- सूर (शब्द०)। मुतवातिर-क्रि० वि० [अ० ] लगातार । निरतर । मुतेहर-मरा पु० [हिं० मोती + हार ] कवण की प्राकृति मुतसद्दी-सञ्ज्ञा पु० [अ०] १. लेखक । मुंशी । २. पेशकार । दीवान । का एक प्रकार का प्राभूपरण जो स्त्रियां कलाई पहनती है। ३. जिम्मेदार। उत्तरदायी । ४, इ तजाम करनेवाला। प्रवध- कर्ता। ५. हिसाव रखनेवाला। जमा खर्च लिखनेवाला। ६ मुत्तफिफ-वि० [अ० मुत्तफिक ] राय से इत्तफाक करनेवाला । मुनीम | गुमाश्ता। सहमत । मुतसिरी -सच्चा स्त्री० [हिं० मोती+म० श्री > हिं० सिरी ] कठ मुत्तला-वि० [अ० ] जिसे इत्तिला दी गई हो । मूचित [को०] । मे पहनने की मोतियो की कठी । उ०-ग्रीव मुतमिरी तोरि क मुत्तसिल'--वि० [अ.] निकट । नजदीफ। ममीप । अंचग मो वाघ्यो।-सूर (शब्द०)। लगा हुया। मुतहम्मिल-वि० [अ०] वरदाश्त करनेवाला । सहिष्णु । सहनशील । मुत्तसिल-क्रि० वि० लगातार । निरतर । मुत हेय्यर- वि० [अ० मुतहच्यिर ] हैरत में पड़ा हुआ । स्तव्ध । मुत्तीर-मज्ञा पुं० [म. मौक्तिक, प्रा० मोत्तिय ] दे० 'मोती' या 'मौक्निक' । उ०—मुत्ती माल मुरग घन । -पृ० रा०, ११६७० । चकित , उ०-ललाइन माहब की आजादी देखते ही साहो जी साहव मुतय्यर हो घबडाकर यो रेंके ।-भारतेंदु ग्र०, भा० मुत्ती-सज्ञा स्त्री॰ [ स० मूत्र ] मूत्र । पेशाव । ३, पृ०८६३ । मुत्य-मज्ञा पुं॰ [ मं० ] मौक्तिक । मोती (को०) । मुताविक'-क्रि० वि० [अ० मुताविक ] अनुमार । वमूजिब । मुथराई-मशा पी० [हिं० भोथराना ] धार आदि का भौथरा होना। उ०ने क्टाछनि पोज मनोज के वानन बीच विधी मुताविक' -वि० अनुकूल । मुघराई।--धनानद, पृ० ११० । मुतालवा-नचा पुं० [अ० मुतालबह ] उतना धन जितना पाना मुथशील-मज्ञा पु० [ स० ] ज्योतिप मे इत्यशाल नामक योग | वाजिव हो । पाप्तव्य धन । वाफी रुपया । मुदमा पु० [ स० ] हर्ष । प्रानद। प्रसन्नता । उ०—भुद मगन मुताला-सशा पु० [अ० मुतालग्रह, ] १ किसी चीज की पूरी मय यत नमाजू ।--तुनमी (शब्द०)। जानकारी के लिये गौर से देखना। समीक्षण। निरीक्षण । २. पाठ को शुरू करने के पूर्व स्वय पढना ताकि शुद्ध पढा जा यो०-मुदकद = यानदकद भगवान विष्णु । उ०- लंबोदर मुदकद देव दामोदर बदो-दोन००,पृ० १६३ । सके । पटना । उ० -देखना हर सुबह तुझ रुखमार का । है मुताला मतलए अनवार का ।-कविता को०, भा० ४, पृ० ३ । मुदगर-मश पु० [+० मुद्गर] १ दे० 'मुद्गर' । २ ६० 'मुादर'। मुवासी-सश स्त्री० [हिं० मूतना + ग्रास (प्रत्य॰)] मूतने की इच्छा। मुदन्विर-वि० [अ०] १ प्र.पागल । व्यवस्या क ने मे निपुण । पेशान करने की ख्वाहिश । दूरदर्नी । ३ बुद्धिमान् । १ राजनीतिनिपुण । नीतिज्ञ [को०] । पास।