मुरझाना ३६७३ मुरव्वा उरुझे मुरझे जहं बड्डे कबि ।-नंद० ग०, पृ० ३४। मुरदार-वि० १ मग हुअा। मृत्यु को प्राप्त । मृत । २ जो बहुत ही २ कुम्हला जाना। दुर्बल हो। जिसमे कुछ भी दम न हो। ३ मुरझाया हुआ । मुरझाना - कि० अ० [ म० मूर्छन ] १ फूल या पत्ती आदि का कुम्हलाया हुया । जैसे, मुरदा पान । कुम्हलाना। सूखने पर होना । २. सुस्त हो जाना । उदास यौ०-मुरदाखोर = मुरदा खानेवाला। मुरदादिल = जिमका मन होना। उ०—(क) गिरि मुरझाइ दया प्राइ कछू भाय भरे बहुत ही उचाट और नीरस हो । मुरदासग = दे० 'मुरदासख' । ढरे प्रभु ओर मति पानंद सो भीनी है ।-प्रियादास (शब्द॰) । मुरदासन । मरदामिधी। (ख) सखी कुर गिके, यह हिम उपचार तो मुझ कमल का लता मुरदादिली -सञ्ज्ञा स्त्री॰ [फा० मुरदह, दिली ] मन का खिन्न होना । को और भी मुरझा देगा।-हरिश्चद्र ( शब्द०)। (ग) देव उचाट [को०)। मुरझाइ उरमाल कह्यो दीजै सुरझाइ बात पूछी है छेम की। मुरदार'-वि० [फा०] १ अपनी मौत मे मरा हुआ। मृत । २. -देव (शब्द०)। अपवित्र । ३ वेदम । वेजान । जैसे,—हाथ का चमडा मुरदार सयो० क्रि० - जाना । हो गया है। ४ दुवला, कमजोर । मुरड़ा- सज्ञा पु० [हिं० ] गर्व । अभिमान । दर्प । अहकार । मुरदार-सज्ञा पुं० [फा० ] वह जानवर जो अपनी मौत से मरा मुरडकी - सशा सी० [हिं० ] दे॰ 'मरोड' । हो और जिसका माम खाया न जा सकता हो। मुरतगा-सज्ञा पुं॰ [ देश०] भारत के पूर्वी क्षेत्र मे होनवाला एक मुरदारी-सशा पु० [ फा० मुरदार + ई (प्रत्य॰)] अपनी मौत से मरे प्रकार का ऊंचा पेड। हुए जानवर का चमडा । विशेष- इस पेड के हीर की लकड़ी लाल और कडी होती है और मुरदासख-सञ्ज्ञा पुं० [फा० मुरदार सग, मुरदह मग ] एक प्रकार इममे सजावट के सामने वनाए जाते हैं। यह पेड आसाम, का प्रौषध जो फूके हुए सीसे और सिंदूर से बनता है। बगाल और चटगाँव मे अधिकता में पाया जाता है। मुरदासन-सशा पु० [हिं० मुरदासख] दे० 'मुरदासख' । उ०- मुरत - मशा सी० [सं० मूर्ति ] दे० 'मूर्ति' । मिरिच मोचरस मैदा लकरी। मुरदासन मनुसिल मिसमकरी । मुरतहिन - सशा पुं० [अ० ] वह जिसके पास कोई वस्तु रेहन या -सूदन (शब्द०)। गिरो रखी जाय । जिसके पास वधक रखा जाय । रेहनदार । मुरदासिंघी-सज्ञा स्त्री॰ [ हिं० ] दे० 'मुरदासख' । मुरता-सञ्ज्ञा पुं० [ देश० ] एक प्रकार का जगली झाल जो पूर्वी मुरदेस, मुरधर-सना पु० [ स० मुरुघरा ] मारवाड देश का प्राचीन वगाल और प्रासाम मे होता है। इससे प्राय चटाई वा सीतल- नाम । मुरदेश । मुरधरा । मुरभूमि । उ०—(क) मुरधर देश पाटी बनाई जाती है। मे बिलौदा नाम ग्राम एक, तहाँ के निवासी सत दूसरे मुरति-सशा सी० [सं० मूर्ति ] दे० 'मूर्ति' । उ.- नद महर के मुरारिदास । -रघुराज (शब्द०)। (ख) मुरधर खड भूप आंगन मोहन मुरति विना देखहुँ न परे कल भूलि काम घाम सब प्राज्ञाकरी। राम नाम विस्वास भक्तपद राज व्रतवारी। श्राछो वदन निहार ।-नद, ग्र० पृ० ३५४ । -प्रियदास (शब्द०)। मुरती -सज्ञा पुं० [सं० मूर्ति ] शरीर । रूपाकार । आदमी। मुरना@--क्रि० अ० [हिं० मुडना ] २० 'मुडना'। ३० -(क) मूर्ति । उ०–मुजफ्फरपुर जिला का एक 'मुरती' पाया है। एकते एक रणवीर जोधा प्रवल मुरत नहिं नेक अति सवल जी -मला०, पृ०७२। के ।- सूर (शब्द०)। (स) तुरत सुरत कसें दुरत मुरत नैन जुरि नीठ। डौंडी दै गुन रावरे कहै कनौड़ी दीठ ।-बिहारी मुरदा-सज्ञा पुं० [फा०, म० मृतक ] दे० 'मुरदा' ।--दादू०, (शब्द०)। पृ०५.७। मुरदर@-सज्ञा पुं॰ [ सं० ] मुरारि । श्रीकृष्ण । उ०—जिमि मुरदर मुरपरैना-रज्ञा पु० [हिं० yr (= मिर) + पारना (रसना) ] फेरी करके सौदा वेचनेवालो का बुकचा। सिर पर रखकर तकि प्रचुर कब परि धुनकर सरछुर ।-गोपाल (शब्द॰) । बेचने की वस्तुयो का बोझ। उ०-ऊयो बेगि मधुवन जाहु । मुरदा'- सञ्ज्ञा पु० [फा० मुरद मुदंड्, मि० सं० मृतक ] १ वह हम विरहिनी नारि हरि विन कौन कर निवाहु । तही दीज जो मर गया हो। मरा हुआ प्राणी। मृतक । २. ताजिया । ३ मजार । कन । उ०-पाथर पूजत हिंदु मुलाना । मुरदा पूज मुरपरैना नफो तुम कछु खाहु । जो नही ब्रज मे विकानो नगर नारी साहु । सूर वै सव सुनत लैहैं जिय कहा पछिताहु । - सूर भूले तुरकाना ।—कबीर सा०, पृ० ८२० । (शब्द०)। मुहा०-मुरदा उठना = मर जाना। (गाली)। जैसे,—उसका मुरब्बा-मज्ञा पु० [अ० मुख्वह ] चीनी या मिसरी आदि की मुरदा उठे। मुरदा उठाना= मृतक को उठाकर जलाने या चाशनी मे रक्षित किया हुया फलो या मेवो आदि का पाक जो गाडने आदि के लिये ले जाना । अत्येष्टि क्रिया के लिये ले उत्तम साद्य पदार्थों में माना जाता है। जाना । मुरदे से शर्त बांधकर सोना बहुत अधिक सोना । मुरदे का माल = वह माल जिसका काई वारिस न हो। क्रि० प्र०-ढालना ।--पड़ना ।-बनाना। मुरदे की नीट सोना = बेखवर होकर सोना । खुर्राटे भरना । मुरब्बा- -सज्ञा पुं० [अ० मुरब्बन] १. ऐसा चतुष्कोण जिसके चारो
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