पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२२३

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मुसना' ३६८२ मुसल्लम उलटा। मुसना-क्रि० अ० [सं० मूपण (%चुराना) ] लूटा जाना । अपहृत मुसरा-मशा पुं० [हि० मूसल ] पेट की वह जद जिाम एक ही होना । मूसा जाना । चुराया जाना । ( धन प्रादि )। मोटा पिंड धरती के अपर दूर तक चला जाय और इवर उधर मुहा०- घर मुसना = घर मे चोरी होना। शाया न हो । जैम, मूत्री, मिल आदि की जट । 'भगग' का मुसना-कि० म० चोरी करना। मूसना । उ०—मुगए गेलिहे धन जागल परिजन लगहि कला पोक चोरा ।- विद्यापति पृ० ६८। मुसरिया २-मरा सी० [40] कांच को चूड़ियां बना या नावा। मुसना-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० मुस+ना (प्रत्य॰)] मूसा। मूपक। मुसरिया '-मशा पी० [हिं० मुग ] नूहे का वच्चा । मुमटी। उ.-कातिक गनपति दुइ चेगना। एक चढे मोर पर एक मुसरिया --सा ग्नी [हिं० मुसर+या (अन्य०) ] ३० 'मुनग' । मुमना ।-विद्यापति, पृ० ५७७ । मुसल-मा पुं० [ म०] १ दे० 'मृग। (२ पर जो मृगत की मुसना -वि० [ स० मूपण ] चोरी करने या मूसनेवाला। तरह जट हो । मृ। जड । ग्रन । मुसन्ना-सज्ञा पुं० [अ० ] १ किसी असल कागज की दूसरी नकल मुसलधार-क्रि० वि० [सं० गुमल + चार ] दे० 'गालचार' । उ०- जो मिलान आदि के लिये रसी जाती है। २ रमीद आदि का भले नाय नाइ माप नले पा प्रदनाय वर गुमाधार बार बार प्राधा और दूसरा भाग जो रसीद देनवाले के पान रह पोरि।-तुलगी (शन्द०)। जाता है। मुसलमान-पुं० [फा०] [ी मुसलमानो ] वह नो मुहम्मद मुसन्निफ- -सशा पुं० [अ० मुसचिफ़ ] [ सी० मुसनिफा ] पुस्तक माहर के बनाए नप्रदाय मे हो । मुहम्मद माहा का पूर्णत बनानेवाला । नथकर्ता या रचयिता । अनुयायो प्रौर इम्लाम धर्म का माननेवाना । मुहम्मदी । ८०- मुसफ्फी-वि० [अ० मुसफ्फी ] पोषन करनेवाला । शोधक [को॰] । हिंदू में क्या पोर है मुसलनान में प्रौर। माहम सबया एक है व्याप रहा मज ठौर । रानिधि (शब्द०)। मुसब्बर-सज्ञा पुं० [अ० ] कुछ विशिष्ट क्रियानो से मुसाया घोर जमाया हुया घीकुार का दूध या रस जिमका व्यवहार मुसलमानी'-० [२०] मुानमान नायी। मुसनमान का । प्रोषधि के रूप में होता है । एलुगा । जैसे, मुसलमानी मजहन । विशेष- इसका उपयोग अधिकतर रेघन के लिये या चोट प्रादि मुसलमानी-शा पी० मुसलमानो को एक रम्म जिगमे घोटे वाला लगने पर मालिश और सेंक पादि करने में होता है। यह प्रायः फी इद्री पर फा चमारा काट डाला जाता है। बिना यह रन्म जजीवार, नेटाल तथा भूमध्यसागर के अासपास के प्रदेशो से हुए वह पाका गुमलमान नही गममा जाता है । मुनत । आता है। वैद्यक में इसे चरपरा, शीतल, दस्तावर, पारे को मुसलाधार-क्रि० वि० [हिं• गुमलधार] दे० 'मुसलधार'। शोधनेवाला तथा शूल, कफ, वात, गृमि और गुल्म को दूर मुसलामुसलो-नशा री० [सं०] परम्पर मूमल फा प्रहार । करनेवाला माना है। मूसलो की लडाईको०)। मुसमर-सज्ञा पुं० [हिं० मुस( = चूहा)+मारना ] एक प्रकार की मुसलायुद्ध-सज्ञा पुं० [40] जिनका घायुव मूगल है-बलराम (फो०] । चिडिया जो खेत मे चूहो को पकडकर खाती है । मुसलिम-पग पुं० [१०] मुसलमान । मुहम्मदी। मुसमरवा -सज्ञा पुं० [हिं० मूम+मारना ] १ मुसमर चिडया । यौ-मुसलिम लीग = मप्रदायवादी मुमनमाना यो एक मस्या । २ एक नीच जाति जो चूहे खाती है । मुगहर । मुमतिम लीगी = वह जो मुसलिन लोग का अनुपायी हो । मुसमु दहु'–वि० ["श०] व्वस्त । नष्ट । वरमाद । उ० –पुरद्वार मुसली'- '-संज्ञा पुं० [सं० मुसलिन् ] दे० १ 'मुगली' । २ शिद का रुक्कि ठाढी बली सर्व दुग्ग मुसमुद किय । —सूदन (गन्द०)। एक नाम (फो०)। मुसमुद'-सज्ञा पुं० नाश । ध्वस । वरवादी। मुसलो--मा सी० [ 4० मुपनो, मुसली ] १ हल्दी की जाति का मुसमुध-सज्ञा पुं० [ दश० ] २० 'मुसमुद' । उ -दिस घुवरी एक पौधा। चक धु घरी मुसमुधरी सु वसुंधरी। -मूदन (शब्द०)। विशेप-इमको जहें प्रौपच के काम मे आती है और बहुत पुटिकारक मुसम्मन-वि० [अ० ] १ अठपहल । अष्टभुज । २ मोटाताजा । मानी जाती है। यह पौधा सीट को जगीन में उगता है। बिलास- चर्वीदार । स्थूल (को०। पुर जिले मे, विशेषत. अमरकटक पहाड पर, यह बहुत होता है । यौ'-मुसम्मन युर्ज = अठकोन बुर्ज । मुसलीका-स्था सी० [स०] गृहगोवा । छिपकिनी [को०] । मुसम्मर-वि० [अ० ] कील या कांटे से जहा हुा । कीलित (को०। मुसलीय-वि० [ ] दे० 'मुसल्य'। मुसम्मा - वि० [अ०] [ सी० मुसम्मात ] जिसका नाम रखा गया हो। नामक । नामी। नामधारी । मुसल्य-वि० [मं०] मूसल के प्रहार से मारने के योग्य। मूराल द्वारा वध्य [को॰] । मुसम्मात'-वि० [अ० मुसम्मा का स्त्री० रूप ] मुसम्मा शब्द का मुसल्लम-वि० [फा०] जिसके खड न किए गए हो। साबूत । स्त्रीलिंग रूप । नाम्नी । नामचारिणी। पूरा। अखड । जैसे,—यह गांव मुसल्लम उन्हीं का है। मुसम्मात-सज्ञा स्त्री॰ स्त्री । औरत । २ माना हुा । निर्विवाद (को॰) । FO