पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२५

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मनसा ३७८२ मनस्ताप सा०, मनमा- १ पन मे उन्पन्न | २ मन का । उ०—धर्म विचारत मनसूब-वि० [अ० मसूब ] १ सवधित । २ मंगेतर । ३ मनो- मन मे होई । मनमा पाप न लागत काई । —म् (गन्द०)। वाछित । इच्छानुकूल । उ०-झूल जो मुखद हिडोलना मनसा -क्रि० वि० मन मे । मन के द्वारा। उ०-मनसा वाचा मनसूब सवा पाय |-गलाल०, पृ०८० । कमंगगा हम मो छाडह ने । राजा को विपदा परी तुम तिनको मनसूबा-सज्ञा पु० [अ० मनसूबह ] १ युक्ति । प्रायोजन । ढग । मुधि लेह । -केशव (शब्द॰) । उ०-(क) अव कीज वमा मनसूवा । है हैरान सीगरे मूवा ।- मनसा'-सजा पु० ० 'ममी'। लाल (शब्द॰) । (ख) लक को विशालता ले उरज उतग भए मनसा- ज्ञा पो॰ [ श० ] एक प्रकार की घास जो बहुत शीघ्रता रग कदि दूनह है तेरे मनसूवे को । - दूलह (शब्द॰) । मे बडनी और पापो के लिये बहुत पुष्टिकारक समझी जाती क्रि० प्र०—करना ।-ठानना ।—होना । है। मकडा । मधाना । खमक्रा । विशेप दे० 'भकहा' । मुहा०-मनसूया दाँधना= युक्ति निकालना । ढग गोचना । मनसार-वि० [हिं० मनसा+ सं० कर (प्रत्य॰)] मनोचाछित उ०-उसने पक्का मनसूबा बांधा था कि यदि लडाई हो तो फल देनेवाला । मनोकामना पूर्ण करनेवाला । उ०-वह शुभ आप धनुप वान लेके हाथी पर फौज के साथ जावे ।-शिव- मनमाकर करुणामय अरु शुभ तरगिनी गोभ मनी ।-केशव प्रमाद (शब्द०)। (गन्द०)। २ इरादा | विचार । उ० - शकटार अपने मनम्वे का ऐसा पक्का मनसादेवी-मशा पा० [हिं० मनसा + देवी ] एक देवी जो माँपो था कि शत्रु से बदला लेने को इच्छा से अपने प्राण नहीं त्याग के कुल को अधिष्ठात्री मानी जाती है। प्राय लोग माँप के किए। -हरिश्चद्र (शब्द॰) । काटने पर इनकी मिन्नत करते है। मनसूर-सञ्ज्ञा पुं० [अ० ] एक प्रसिद्ध मुसलमान माधु जो मूफी मत मनसाना-क्रि० प्र० [हिं० मनसा ] उमग में आना । तरग मे का प्राचार्य माना जाता है। उ०-रोशन दिलो के बीच भक्ति ग्राना। उ०-पाई भेद गरुड मनसाना।-कवीर ज्यो झटा पठा। माखन लिया मनसूर दूर काट दे मठा |- पृ०५८७1 तुलसी० श०, पृ० १४१ । मनसाना-क्रि० स० [हिं० मनसा का प्रे० रूप ] मनसने का काम विशेप-यह नवीं शताब्दी में बैजानगर मे हुसेन हल्लाज के घर दूसरे से कराना । सकल्प का मत्र प्रादि पढ़कर या पढाकर उत्पन्न हुया था । यह 'अनहलक' अर्थात् 'अह ब्रह्मास्मि' कहा दूम से दान आदि कराना। करता था। बगदाद के खलीफा मकतदिर ने इसे इस्लाम मनसाना-क्रि० प्र० [हिं० मानुम+ पाना ] मनुप्यता पाना । का विरोधी समझकर सन् ६१६ ईस्वी मे मूली पर चढा दिया पुरुषत्व मगना । मनुमाई पाना । और इसके शव को भस्म करा दिया था। मनमापचमी-मज्ञा ली० [२० मनसापञ्चमी ] आपाढ की मनसेधू -सज्ञा पु० [ स० मनुष्य ] पुरुप । भादमी । मृगणा पत्रमी । इस दिन मनसा देवी का उत्सव होता है । मनस्क-मज्ञा पु०॥ स० ] मन का अल्पार्थक रूप । ( इसका प्रयोग मनसायना-वि० [हिं० मानुस (= मनुष्य)+ श्रायन (प्रत्य॰)] १ ममस्त पदो मे देखा जाता है)। जैसे, अन्यमनस्क । १ स्थान जहाँ मनबहलाव के लिये कुछ लोग हों। मनस्कात'-वि० [ स० मनस्कान्त ] १ मनोनीत । मन के अनुकूल । महा०-मनसायन करना या रस्त्रना= बातचीत आदि के द्वारा २ प्रिय | प्यारा। इस प्रकार किमी का मन बहलाना जिममे उसे अकेले होने मनस्कात-सञ्ज्ञा पु० मन को अभिलापा । मनोरथ । का कष्ट न जान पड़े। मनस्काम-सज्ञा पु० [ ] मन की अभिलापा । मनोरथ । २ मनोरम स्थान | गुलजार जगह । मनस्कार-सञ्ज्ञा पुं॰ [ #० ] १ पूर्ण ज्ञान । पूर्ण चेतना । २ (सुख मनसिकार-शा पु०। ] हृदय मे धारण कर लेना । मन मे दुख का) पूर्ण ज्ञान । ३ ध्यान । ४ निश्चय [को०)। ग्रहण कर लना (को०)। मनस्तत्व-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० मनस् + तस्व ] मन सबधो बात । मन के मनसिज-मज्ञा पुं० [ स०] १ कामदेव । २ वासना । काम (को०) । विषय मे कोई गूढ ज्ञातव्य तथ्य । उ०-मनस्तत्व के किसी मनसिमद-वि० [सं० मनसिमन्द] प्रेम मे शिथिल या निश्चेष्ट [को०] । सिद्धांत का आविष्कार करनेवाले हो क्या ?-शानदान, मनसिाय-महा पुं० [ नं०] १ कामदेव । २ चद्रमा [को०] । पृ०४३ ॥ मनमूग-वि. [अ० मन्सूख ] १ जो अप्रामाणिक ठहरा दिया गया मनस्तात्विक-सज्ञा पुं॰ [ स० मनस + तात्त्विक ] मनोवेत्ता | मनो- हो। प्रतिवर्तित । जैी,-डिगरी मनगूख कराना । २ परि वैज्ञानिक । उ०-फ्रायड, अडलर, युग भादि मनस्तात्विको ने न्यक्त | त्यागा हुया । जैसे, हमने वहां जाने का इरादा यह सिद्ध कर दिखाया है। मा० समीक्षा, पृ० १५१ । मनग्न कर दिया। मनस्ताप-सज्ञा पुं० [सं०] १ मन पीडा । प्रातरिक दुख । उ०- मनग्गी-मा १० [अ० मनसम्बो ] मनगृख होने का भाव या मुझ पथिकिनि को भी प्राश्रय दो, मनस्ताप मेरा हर के ।- क्रिया। वीणा, पृ० ११ । २ अनुताप । पश्चात्ताप । पछतावा । 40 DO