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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२५९

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. मेलना ४०१५ मेवात मेलत तेल फुलेल । —सूर (शब्द०)। ३ धारण कराना । हैं जिससे वह जम जाता है और म्याही देने का वेलन तैयार पहनाना। उ०-सिय जयमाल राम उर मेली ।--तुलसी होकर निकल पाता है । (छापाखाना) । (शब्द०)। ५ रमाना । लगाना। उ० --छाँडा नगर मेलि मेल्हना—क्रि० स० [प्रा० मेल्ल, गुन० मेळवु = (छोडना, रखना ] के धूरी । —जायसी ग्र०, पृ० ५६ । ५ भेजना। उ०--नृप १ छोडना । रखना । डालना। उ०-पग पलका की सुवि मेले पाया नगर, दोड बधाईदार । कही विगत विध विध करे नही मार सबद क्या होइ । कर मुख माहे मेल्हता, दादू लवं आनंद भरे अपार ।--रघु० रु०, पृ० ६२ । न कोइ।-दादू० बानी, पृ० ३६० । २ गना रहना । पडा मेलना:--क्रि० अ० इकठ्ठा होना। एकत्र होना । जुटना। उ० रहना । उ०-मेल्ही रही सूम की थाती। सुंदर दी आगे की वलसागर लछमन सहित कपिसागर रनधीर । जससागर रघुनाथ थाती । -सुंदर० ग्र०, भा० १, पृ० ३५८ । जू मेले सागर तीर ।--(शब्द०)। मेल्हना- सज्ञा स्त्री॰ [ दश० ] एक प्रकार की नाव जिसका मिका मेलमल्लार-सज्ञा पु० [ स० ] एक रागिनी जिनकी स्वरलिपि इस खडा रहता है। प्रकार है-स स स रे म प ध स स ध प म ग रे स । मेल्हना-क्रि० प्र० १ क्लेश या पीडा से वार वार इस करवट मे मेलाधु - सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० मेलान्यु ] दवात । उम करवट होना । छटपटाना। वेचैन होना। २ कोई काम मेला'—सशा पु० [ स० मेलक ] १ वहुत से लोगो का जमावडा । करने मे आनाकानी करके समय विताना भीड भाड | २ देवदर्शन, उत्सव, खेल, तमाशे आदि के लिये मेव--सज्ञा पुं॰ [ देश० ] राजपूताने की अोर बसनेवाली एक लुटेरी बहुत से लोगो का जमावडा । जैसे, माघमेला, हरिहरक्षा जाति । मेवाती। उ०-छवि वन मे दौरन लगे जव ते तव दृग का मेला। मेव । तब ते कढे सनेहिया मन छन ले के छन । रसनिधि यौ०-मेला ठेला । मेला तमाशा । (शब्द०)। मुहा०-मेला भरना = किसी खेल तमाशे या उत्सव मे काफी भीड- विशेप-मेव पहले हिंदू थे और मेवात मे वसते थे। पर मुसलमानी भाड एकट्ठी होना । मेला लगना = जमाव होना । भीड लगना । बादशाहत के जमान मे मुसलमान हो गए । अव ये लोग लूट- मेला-सञ्चा स्त्री० [सं०] १ वहुत से लोगो का जमावडा । २ पाट प्राय छोडते जा रहे है। मिलन । समागम । मिलाप। ३ स्याही। रोशनाई। ४ मेवक-ज्ञा पुं० [फा० मेवह ] मेवा। उ.-भूखो नैन रूप को अंजन । ५ महानीली। चाहत मिलनि मकल रस मेवक । भीखा श०, पृ० ८६ । मेलाठेला-संज्ञा पुं० [हिं० मेला + ठेला (= धक्का) ] भीड भाड और धक्का। जमावडा। जमे,-मेले ठेले मे स्त्रियो का जाना मेवड़ी-सज्ञा स्त्री॰ [देश॰] निर्गुडी। संभालू । मेवा-सशा पु० [फा० मेवह् ] १ खाने का फल । २ किममिम, मेलानदा- सज्ञा स्त्री० [ स० मेलानन्दा ] दवात । वादाम, अखरोट श्रादि सुरवाए हुए वढिया फन। उ०-विविध मेलान-सज्ञा पु० [अ०] मजिल । मधु मेवा भोग रचाय ।—घनानद, पृ० ५६१ । डेरा। उ०—सागरतीर मेलान पुनि करिहे रघुकुल नाह । मेवा-मज्ञा पुं० [ देश० ] सुरत के गन्ने की एक जाति जिसे –केशव (शब्द०)। 'खजुरिया' भी कहते हैं। मेलाना --क्रि० स० [हिं॰ मेल ] १ मेलना का प्रेरणार्थ रूप । -सज्ञा स्त्री० [फा० मेवा+वाटी ] एक पकवान जिसके रेहन या गिरवी रखी हुई वस्तु को रुपया देकर छुडाना । अदर मेवे भरे रहते हैं। उ.-फूटि जाय फन फ्नीराज को मेलायप सज्ञा पुं० [सं०] १ मिलाने, इकठ्ठा करनेवाला । २ समोसा सम फटि जाय कच्छप की पीठ हू मेवाटी सी।- ग्रहों का सयोग । ३ भीड । जमाव । गोपाल (शब्द०)। मेलापन-सज्ञा पुं० [सं० ] मिलना । सयोग । समागम । मेवाड-सज्ञा पु० [ देश०] १ राजपूताने का एक प्रात जिसकी मेली'--सञ्ज्ञा पुं० [हिं० मेल ] वह जिससे मेल जोल हो। वह जिससे प्राचीन राजधानी चित्तौर थी और आजकल उदयपुर है। २ धनिष्ट परिचय हो । मुलाकाती । सगी । साथी। एक राग जो मालकोस राग का पुत्र माना जाता है । मेली--वि० हेल मेल रखनेवाला । जल्दी हिल मिल जानेवाला । जिसकी मेवाही'-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० मेवाड़ + ई (प्रत्य॰)] मेवाड प्रदेश का प्रवृत्ति लोगों को मित्र बनाने की हो। यारवाण । जैसे,—वह वडा मेली पादमी है। मेवाड़ी-वि० मेवाड मे होनेवाला । मेवाड से सबंध रखनेवाला । मेल्टिंग केटल-सज्ञा पुं० [अ० ] सरेस गलाने की देगची । मेवाड का। विशेष--यह एक ढकनेदार दोहरा वर्तन होता है। नीचे के वर्तन मेवात-सचा पु० [सं० ] राजपूताने और सिंघ के बीच के प्रदेश में पानी भरकर उसके अदर दूसरा वर्तन रखकर उसमे सरेस भर का पुराना नाम । यहाँ मेव नाम की जाति का निवास था, देते हैं और ढककर अांच पर चढा देते हैं। पानी की भाप से जो हिंदू थे । उ०—-मेवात धनी पाए महेस । मोहिल्न दुनापुर सरेस गल जाता है। गल जाने पर उसे रोलर मोल्ड, मे ढाल देते दिए पेस । -पृ० रा०, ११ ४२२ । ठीक नही। पडाव। टिकान। मेवाटी- निवासी।