पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/२७४

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TO स० मोदयंतिका मोम मोदयतिका -सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० मोदयन्तिका ] एक प्रकार की चमेली मोन'-सज्ञा पुं॰ [ स०] दे० 'मौन'। उ:-चित्र दिपात सु चित्रनी की लता और उसका फूल [को०] । मोन बिलग्गिय बाह ।-पृ. रा०, ५७।८३ । मोदयती-मचा स्त्री स० मोदयन्ती ] दे॰ 'मोदयतिका' [को०] । मोनशेनयर र-सज्ञा पुं० []] फास मे प्रिंस, पादरी तथा प्रतिष्ठित मोदवतो-सञ्ज्ञा स्त्री० स० मोदवतो ] वनमल्लिका । जगली चमेली। लोगो के नाम के आगे लगनेवाला समानमूचक शब्द । मोदा-सज्ञा स्त्री सं०] १ अजमोदा । वन अजवाइन । २. श्रीमान् । मेमल मोनस-सज्ञा पुं० [ एक गोत्रप्रवर्तक ऋपि का नाम । का वृक्ष । मोदाक-सञ्ज्ञा पुं॰ [ म० ] पुराणानुसार एक वृक्ष का नाम । मोना@t'-क्रि० स० [हिं० मोयन ] भिगोना । तर करना । उ०- मोदाकर वि० [ स० मोद+श्राकर ] हर्पजनक । आनदपूर्ण । प्रानद (क) कह्यो राम तंह भरत सो काके बालक दोइ । मोर चरित मोद की खान। उ०-मादाकर गोदावरी विपिन सुखद सब गावत मधुर सुर सयुत रस मोइ। -विश्राम (शब्द) । काल । —तुलसी ग्र०, भा०, २ पृ० ७६ । (ख) नेह मोइ रस रेसहिं गांठ दई हित जोर । चाहत है मोदाकी-सज्ञा पुं० [स० मोदाकिन् ] महाभारत के अनुसार एक गुरुजन तिन्हें अनख नखन मो छोर ।-रसनिधि (शब्द॰) । पर्वत का नाम । (ग) तुलसी मुदित मातु सुत गति लखि विथकी है ग्वालि मैन मन मोए।–तुलमी (शन्द०)। मोदाख्य -सक्षा पुं० [सं० ] श्राम का पेड। मोना।२ - मशा पु० [स० मोण ] वाँस, मूज आदि का ढकनदार मादाढया-सहा स्त्री० [सं० ] अजमोदा । वन अजवाइन । डला । झावा। पिटारा। मोदाद्रि-सज्ञा पुं० [ ] मुंगेर के पास के एक पर्वत का पौराणिक मोनाल-सज्ञा पु० [ दश० ] एक प्रकार का महोख पक्षो जो शिमले के नाम । मोदित'-सञ्ज्ञा पुं० [ स० पास पास बहुत पाया जाता है। इसे 'नील मोर' भी कहते है। ] आनद । हर्ष । प्रसन्नता [को०] । मोनिया-सशा सी० [हिं० मोना+इया (प्रत्य॰)] वान या मुंज की मोदित -वि० हर्पित । श्रानदित । प्रसन्न । उ०-गध मद मोदित पुर, बनी हुई पिटारी । छोटा मोना। नदन मानद गमन ।-बेला, पृ० ७२ । मोनी-वि० [स० मौनी ] दे० 'मौनी'। उ०-मोनी मन का मोदिनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ अजमोदा । २. जूही। ३. कस्तूरी। मार मानु ।—प्राण०, पृ० ६३ । ४ मदिरा । ५ चमेली। मोनोग्राम-सञ्चा पुं० [अं॰] दो या तीन अक्षरो के सयोग से बना मोदी-सज्ञा पुं० [सं० मोदक ( = लड्डू बनानेवाला) अथवा अ० हुआ किनी नाम का सक्षिप्त रूप । मद्दअ (= जिंस, रसद )] १. पाटा, दाल, चावल आदि वेचनेवाला बनिया । भोजन मामग्री देनेवाला बनिया । परचूनि- मोनोटाइप मशीन-सज्ञा स्त्री० [पं० ] कपोज करनेवाली एक प्रकार की मशीन जिसमे एक एक अक्षर ढलता और कपोज या । उ०—(क) माया मेरे राम की मोदी सब ससार । जाकी चौठी ऊतरी सोई खरचनहार । —कबीर (शब्द॰) । होता चलता है। (ख) मदन के मोद भरी जोवन प्रमोद भरी मोदी की बहू की मोनोप्लेन-सा पुं० [अ० ] एरोप्लेन या वायुयान का एक भेद । दुति देखे दिन दूनी सी। चूनरी सुरग अग ईगुर के रग देव एक पखवाला वायुयान । वठी परचूनी की दुकान पर चूनी सी।-देव (शब्द॰) । मोपला-सज्ञा पुं॰ [देश॰] मुमलमानो की एक जाति जो मदरास मे (ग) है अन्नपूरणा मोदी। दे सर्व अहार सोदी।-विश्राम पाई जाती है। (शब्द०)। २. वह जिसका काम नौकरो को भरती करना हो। मोम-सञ्ज्ञा पुं० [फा० मोम ] १ वह चिकना और नरम पदार्थ मोदा-वि० [सं० मोदिन् ][ वि० स्त्री० मोदिनी ] मोद करनेवाला । जिससे शहद की मक्खियां अपना छत्ता बनाती है। मधुमक्खी पानदी [को०। के छत्ते का उपकरण। मोदीखाना-सशा पुं० [हिं० मोदी+फा० खानह ] अन्नादि रखने विशेप-मोम प्राय पीले रंग का होता है और इसमे ने शहद की का घर । भडार । गोदाम । सी गव पाती है। साफ करने पर इसका रंग सफेद हो जाता मोधफ-सज्ञा पुं॰ [ स० मोदक (= एक वर्णसफर जाति ) ] मछली है। यह बहुत थोडी गरमी से गल या पिघल जाता है, और पकडनेवाला । धीवर । मछुअा । उ०-एक मीन के भक्ष कियो कोमल होने के कारण थोडे से दवाव द्वारा भी, गीली मिट्टी तव हरि रखवारी कीन्ही। सोई मत्स्य पकरि मोधुक ने जाय या पाटे यादि की भांति, अनेक रूपो मे परिवर्तित क्यिा जा असुर को दीन्ही। —सूर (शब्द॰) । सकता है। इसकी वत्तियां बनाई जाती हैं, जो बहुत ही हलकी मोधू-वि० [सं० मुग्ध, प्रा० मुच मुध्ध ] वेवकूफ । मूर्ख । भोदू । और ठढी रोशनी देती है। प्रोपधि के रूप मे इसका व्यवहार उ०—विदूषक-मित्र यो मोधू बनकर बैठने से क्या होगा? होता है और यह मरहमा आदि मे दाला जाता है। जिनीन कुछ उपाय करना चाहिए।-वालमुकुंद गुप्त (शब्द॰) । और ठप्पे आदि बनाने में भी इसका व्यवहार होता है। मोन'–सशा पुं० [सं० मोण ] दे॰ 'मोना"। उ.-मानहुँ रतन मोन यौ०-मोम की नाक = = (१) जिसको समति बहुत जल्दी वदल दुइ मूदे।—जायसी (शब्द॰) । जाती हो। अस्थिरमति । (२) वह जो जरा सी बाद में