पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३०१

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धमक ४०६० थमपुर HO जाति ।। सत्य, प्रकल्कता, अहिंसा, अस्तेय, माधुर्य और यम | 'यम' योग तथा विगेप यम आदि का विधान है। कुछ लोगावे म्न के आठ अगो मे से पहला अग है। विशेष दे० 'योग' । ने यह नमय तक क प्रति गाठ दिशा पार अगहन के ५ कोमा । ६ शनि । ७ विष्णु । ८ वायु । ६ यमन । जोडे । प्रारगिक पाठ दिना साह, ग्रार नागा मन प्राश्विन १० दो की सख्या । ११ वायु । ( जन )। के यतिम याद दिन श्रीरामानि मामा अतगत है। यमक-सशा पुं० [ ]१ एक प्रकार फा गन्दाल कार या अनुप्रास यसग्नि-TI पुं० [२०] पर एगि जा पर सुगम के पिता थे। जिसमे एक ही शब्द कई बार आता है, पर हर बार उसके दि.०'जमाग्नि'। अर्थ भिन्न भिन्न होते हैं। उ०-फनक फन नौगुनो यमदुतिया - मा. [म यमहितीया] दे० 'यमद्वितीया' । मादकता अधिकाइ | यहाँ एफ कनक का अर्थ मोना और गरे यमदूत, समदूतक-4.1 पुं० [म०] १ यम ये ढ़त । २ कांगा। का धतूरा है। २ एक वृत्त का नाम, जिसके प्रत्येक चरण मे एक नगण और दो लघु मात्राएं होती है। यमदृतिका-Th० [२०] गती। का एक प्रकार का व्यूह या जगाव । ४ वे दो यानक जो यमवता-मा • [२०] भरणी नक्षत्र, जिगरे देवता यम माने एक साथ ही उत्पन्न हुए हो । यमज । जोडे । ५ नयम । यमकात, यमकातर-मा पु० [सं० यम+हि० फातर ] १ यम यमम-सा पु० [१०] रोमर का पेट । बामति दृक्ष । का छुरा या खाटा । २ एक प्रकार का तनबार । उ०- विशेप-गया यह नाम निय- कि इनमें फूल ना (क) जनु यमकात करहिं सब भयो । जिउ लेइ जनह स्वर्ग 7 पटने, पतु उनम काई साने लायक फन नहीं उत्सन अपमवा ।-जायमी (सद०)। (ब) होय हनुमत यमातर होता। घाऊ । प्राज स्वामि मनर सिर नाऊ ।-जायसी (शब्द०)। यमद्वार-मा ० [20] ? यम 7 वाजा । मृ। मात । यमकालिंदी-राज्ञा सी० [ म० चमफालि दी ] सूर्य की पत्नी सारा २ मृतु का नामीप्य का जो यम और कालिदी की माता थी (को०)। यमद्वितीया-माग [0] सिन तुला द्वितीया । भाईज । यमकीट-स्था पु० [म०] केचुग । विशेप - पहले र ग दिन यमरान ने चपनी बहन यमुना के यमघट-मज्ञा पुं॰ [ स० यमघरट ] १ एफ दुष्ट योग जो रविवार यही भाउन पिया वा। मीनियम दिन वह्न के यहां के दिन मघा या पूदाफाल्गुनी, सोमवार का दिन पुग्य या एनेपा, भोजन ारना और मे च दना मगलकारप प्रा मायुवर्षक मगलवार को ज्येष्ठा, अनुराधा, भरणी या अश्विनी, बुधवार माना जाता को हस्त या पार्दा, बृहत्पति को पूर्वापाड, रेवती या उत्तरा चमवार- पुं० [-०९ तलवार या गटारी नादि जिनके भाद्रपद, शुक्र को स्वाति या रोहिणा, धार पनिवार को सानो गोर धार हो । जमदाट । शतभिपा या श्रवण नक्षम होने पर होता है। योग म यमन'-सा पु० [सं०] १ प्रनिमय या नि करना । नियम से शुभ कार्य वजित ह । २ दीपावली का दूसरा दिन । कार्तिक वादना। २ वचन। घावना। ३ दिन देना। ठहराना। शुक्ला प्रतिपदा। ४ रोरना। नदारना। ५ यमराज। यमचक्र-सज्ञा पुं० [सं०] यमराज का शम्न । यमन -- पु० [फा०] २० 'यवन'। यमज-सज्ञा पु० [सं०] १ एक गर्भ से एक ही समय म और एक यमनकल्यान-सा पुं० [१० यमन+मु० कल्याण ] दे० एगन' । साथ उत्पन्न होनेवाली दो सताने । एक माय जन्म लेनेवाले दो बच्चो का जोटा। जीप्रा। २ ऐना घोडा जिमया एक यमनक्षत्र-संज्ञा पुं० [स०] 'रणी नक्षत्र, जिसके देवता यम मान जाते हैं। ओर का अग हीन और दुर्बल हो और दूनरी पोर का वही अग ठीक हो । यह दोप माना जाता है । ३ अश्विनीमार । यमनाह-मश पुं० [ स० यमनाय, पा० जमनाह ] पमो के स्वामी यमजयी-वि० [स०] यम पर विजय पानवाला (को०] । धर्मराज । उ०-कह नारद हम कोज काहा । जेहि ने मानि जाइ यमनाहा |- विश्राम (णन्द०)। यमजात-सज्ञा पु० [सं०] दे० 'यमज'। यमजावना-सशा को [ स० यमयातना ] द० 'यमयातना'। यमनिका-सहग रग [ स० यवनिका ] दे॰ 'यवनिका' । यमजित्-सज्ञा पुं॰ [सं०] मृत्यु को जीतनेवाले, मृत्युजय । यमनी-मा सी० [ ] एक प्रकार का बहुमूल्य पत्थर ( लाल यमतर्पण-स्शा पुं० [सं०] यम की प्रसन्नता के लिये किया जानवाला या याकूत ) जिसकी गणना रत्लो मे होती है। यह पत्थर घरव के यमन पदेश से आता है। यज्ञ [को॰] । यमनी-वि० १ यमन का निवासी। २ यमन सबधी । ३ यमन यमत्व-सञ्ज्ञा पुं० [स०] यम का भाव या धर्म । का [को०] । यमदड-सञ्ज्ञा पुं० [स० यमदण्ड] यमराज का डडा । कालदह । यमपुर-महा पुं० [स०] यम के रहने का स्थान, जिसके विषय मे यमदष्ट्रा-सज्ञा स्त्री० [सं०] वैद्यक के अनुसार प्राश्विन, कार्तिक और यह माना जाता है कि मरने पर यम के दूत प्रेतात्मा को अगहन के लगभग का कुछ विशिष्ट काल, जिसमे रोग और . पहले यहा ले जाते है और तब उसे धर्मपुर मे पहुंचाते हैं । मृत्यु आदि का विशेष भय रहता है और जिसमे अल्प भोजन यमलोक। भ०