पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३०२

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यमपुरी ४०६१ यमेश में था। to मुहा०-यमपुर पहुंचाना = मार डालना । प्राण ले लेना। २ नरक। यमपुरी-सज्ञा स्त्री॰ [स०] यमलोक । यमपुर । यमवाहन-सा [ पुं० ] सं० भैमा। यमपुरुष-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ यमराज । २. यम के दूत। यमव्रत-मज्ञा पु० [ ] राजा का धर्म जिसके अनुसार उसे यमप्रस्थ-सज्ञा पु० [स०] एक प्राचीन नगर जो कुरुक्षेत्र के दक्षिण यमराज की भांति निप्पक्ष होकर सवको दड देना चाहिए। राजा का दहनियम । विशप-कहते है, यहाँ के निवासी यम के उपासक थे । यमसदन-सज्ञा पु० स० ] यमपुर । शकराचार्य ने वहां जाकर वहाँ के निवासियो को शेव यमसू'-लशा पु० [ मं० ] सूर्य । बनाया था। यमसू-वि० सी० जिसके एक ही गर्भ से एक माथ दो सताने हो । यमप्रिय-सज्ञा पु० [सं०] वट वृक्ष । बड का पेड । यमसूर्य 1- राचा पु० [ ] ऐसा घर जिसके पश्चिम उत्तर दिशा मे यमभगिनी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] यमुना नदी । णाला हो। यमयन-सज्ञा पु० [सं०] शिव । यमस्तोम-मज्ञा पुं० [स० ] एक दिन मे होनेवाला एक प्रकार यमया-सझा स्त्री० [स] ज्योतिषशास्त्र के अनुसार एक प्रकार का का यश। नक्षप्रयोग। यमहता-सज्ञा पुं० [सं० चमहन्त ] काल का नाश करनेवाला। यमयातना-सशा खी० [सं०] १ यम के दूतो द्वारा दी हुई पीडा । यमातक-सञ्ज्ञा पु० [ स० यमा तक ] शिव । २ नरक की पीडा । ३ मृत्यु के समय की पीडा । यमातिरात्र-नशा पुं० [ स० ] ४६ दिनो मे होनेवाला एक प्रकार यमरथ- गझः पुं० [स०] भैसा। का यज्ञ। यमराज- सशा पु० [स०] यमो के राजा धर्मराज, जो मरने के पीछे यमादित्य-सञ्चा पुं० [सं० ] सूर्य का एक रूप । प्राणी के कर्मों का विचार करके उसे दड या उत्तम फल यमानिका-सज्ञा सी० [ स०] अजवायन । देते हैं। धर्मराज । यमानी-सज्ञा स्त्री० [सं०] अजवायन । यमराज्य, यमराष्ट्र-सा पुं० [स०] यमलोक । यमानुजा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० ] यमराज की छोटी बहन, यमुना । यमल-ना पु० [सं०] १ युग्म । जोडा। २ दो लडके जो एक साथ ही पैदा हुए हो । यमज । यमारि-सञ्ज्ञा पुं० [० ] विगु । यमलच्छद-सचा पुं० [सं०] कचनार । यमा लय-मज्ञा पु० [ सं० ] यम का घर, यमपुर । यमलपत्रक-सज्ञा सं० [स०] १. कनेर । २ अश्मतक वृक्ष । यमिक-मज्ञा पुं॰ [ स० ] एक प्रकार का साम । यमी'-सज्ञा पुं० [ यमलसू सञ्चा स्त्री॰ [सं०] वह गी जिसके दो बच्चे एक साथ उत्पन्न ] यम की बहन, जो पीछे यमुना नदी होकर हुए हो। बही। यमुना नदी। यमला-सश सी० [स०] १ एक प्रकार का हिक्का या हिचकी का यमी-सचा पु० [सं० यमिन् ] सयम करनेवाला मनुष्य । सयमो । रोग, जिसमे थोडी थोडी देर पर दो दो हिचकियाँ एक साथ यमुड सज्ञा पुं॰ [ सं यमुण्ड ] एक प्राचीन ऋपि का नाम । आती हैं और मिर तथा गरदन काँपने लगती है। २ एक यमुना-सझा खी० [ ] १ दुर्गा । २ यम की वहन यमी, जो सूर्य प्राचीन नदी का नाम | ३ तात्रिको की एक देवी। के वीर्य मे सज्ञा के गर्भ से उत्पन्न हुई थी और जो सञ्चा को यमलार्जुन-सज्ञा पु० [सं०] गोकुन के दो अर्जुन वृक्ष जो पुराणा सूर्य द्वारा मिले हुए शाप के कारण पीछे से नदी हो गई थी नुमार कुबेर के पुत्र नलकूबर और मणिग्रीव थे ३ उत्तर भारत की एक प्रपिद्ध वडी नदी जो हिमालय के विशेष-ये दोनो एक बार मद्य पीकर मत्त हो रहे थे और नगे यमुनोत्तरी नामक स्थान से निकलकर प्रयाग मे गगा मे मिलती होकर नदी मे स्त्रियो के साथ क्रीडा कर रहे थे। इसी पर नारद है यह ८६० मील लवी है और दिल्ली, आगरा, मथुरा आदि ऋपि ने इन्हे शाप दिया, जिससे ये पड हो गए थे। श्रीकृष्ण ने नगर इसके किनारे बसे हुए हैं। हिंदू इमे बहुत पवित्र नदी उस समय इनका उद्धार किया था, जब वे यशोदा द्वारा ऊखल और यम की बहन यमी का स्वरूप मानते हैं । मे बांधे गए थे। यमुनाभिद्-मझा पुं० [सं० ] कृष्ण के भाई बलराम जिन्होंने अपने यमली-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ एक मे मिली हुई दो चीजें । जोडी । हल से यमुना के दो भाग किए थे। २ स्त्रियो का घाघर। और चोली । यमुनोत्तरी-सज्ञा पुं० [ स० हिमालय में गढवाल के पाम का एक यमलोक-सज्ञा पुं० [सं०] १ वह लोक जहाँ मरने के उपरात पर्वत जिससे यमुना नदी निकली है । मनुष्य जाते है । यमपुरी। यमेरुका-सचा स्त्री० [ ] एक घडियाल या वडी झॉम जो प्राचीन मुहा०-यमलोक मेजना या पहुंचाना = मार डालना । प्राण काल मे एक घडी पूरी होने पर बजाई जाती थी। यमेश-सज्ञा पु० [ स० ] भरणी नक्षत्र । HO HO - HO लेना।