पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३०७

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20 O याचित ४०६६ याता याचित-वि० [ स० ] मांगा हुआ । प्राथित [को०] । याज्ञ-वि० [ ] यज संबधी । यज्ञ का। याचितक-सज्ञा पुं॰ [ स० ] किसी से कुछ दिन के लिये मांगी हुई याज्ञतर -सना पुं० [सं० ] एक प्रकार का नाम । वस्तु । मंगनी की चीज। याज्ञदत्ति-गज पुं० [M० j । विशेप-चाणक्य ने लिखा है कि मॉो हुए पदार्थ को जो न याचवल्क्य-मशा पुं० [ 10 ] एक प्रसिद्ध पिगं वैपायन में लौटावे, उसपर १२ पण जुर्माना किया जाय । याचिता-सा पुं० [ स० याचितृ ) १ भिक्षुक । ० अावेदक। विशेष - याहते हैं, एक बार वंशपायन 7 यिमी यारणा में अप्रसन्न निवेदक । ३ पाणिग्रहार्थी । विवाहार्थी [को०] । हाकर इनमे यहा कि तुम मेर जिन्य गेने के योग्य नही हा, याचिगु-वि० [म.] १ भीख मांगने का इच्छुक । २ भाग्य मांगन प्रत जो पुरतुमने मुझम पड़ा है, ह सब लौटा दो। इस का अभ्यस्त (को०)। पर यानवल्क्य न अपनी सारी पटी विधा उगल दी, जिन याचिष्णुता-सशा स्त्री० [सं०] १ भीख मागने को ३ । २ शपायन के दूसरे पिया न तीतर बनार नुग लिया। इस'- भीख मांगने की प्रकृति को०] । लिये उनकी शामामो का नाम तैत्तिरीय दृया। यामवल्याने यांच्या-संज्ञा स्त्री॰ [२०] याचना। मांगना । अपने गुरु का स्थान पादार सूर्य की उगना को और सूर्य के यांच्य-वि० [सं०] याचना करने के योग्य । मागने के योग्य । घर से व शुक्ल यजुर्वेद या पाजमनी नहिता पत्राचाय हुए। याच्यता-संज्ञा सी० [सं० ] प्रार्थनीयता [को०) । इनका दूसरा नाम वाजसनय नी था। याज-सञ्ज्ञा पु० [ ] यज्ञ करानेवाला । याजक । २ एक ऋपि जो गजा जनक के दरबार में रहते थे और जो याज-सज्ञा पु० [सं०] १ अन्न | 'अनाज । २ पा हुमा चावल योगीश्वर यानवताप क नाम से प्रसिद्ध है। मरायी और गार्गी इन्दी की पत्नियां थी। ३ यागीश्वर यावन्वय के वशयर एक (फो०) । ३ यज्ञ करानेवाला (को०)। ४ एक प्राचीन ऋषि का नाम। स्मृतिकार । मनुस्मृति क उपरात इन्ही की स्मृति का महत्व है, और उसका दायभाग माज तक प्रमाण माना जाता है। याजक-सज्ञा पुं० [ स० ] १ यज्ञ करानेवाला । २ राजा का हाथी । ३ मस्त हाथी। याज्ञसेन-सया पु० [सं०] सिडा का एक नाम जो द्रौपदी का भाई था (को० । याजन--सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० ] यज्ञ की क्रिया । याजयिता -त० पु० [ स० यायित ] यज्ञार्ता का याज्ञसेनी-सधा को [ मं० ] द्रौपदी का एव नाम । पुरोहित (को०)। याज्ञिक--संज्ञा पुं० [सं०] १ यज्ञ करने या करानेवाला । • गुजराती याजि-सज्ञा पुं० [सं० ] यज्ञ करनेवाला । ग्राद प्राह्मणा की एक जात 1 ३ कुशा (को०). ४ पीपल, याजो-सा पुं० [सं० याजिन् ] यज करनेवाला। खैर, पलाश प्रादि अनय वृक्षा का नाम (को०)। । यजमान (को०)। याजुष- -वि० [ स० ] [ सी० याजुपी ] यजुर्वेद सवधी । याजुप'- सज्ञा पुं० [सं०] १ यजुर्वेदानुयायी। २ तीनर नाम का याज्ञिय-वि० [ म० ] १ यश सवयी'। २ यज्ञ के योग्य । पक्षी (को०] । याज्य-वि० [सं०] १ यज्ञ कराने योग्य । २ जो यज्ञ मे दिया या याजुपाअनुष्टुप् सज्ञा पुं० [ सं० । एक वैदिक घद जिसमे सब मिला चढाया जाने गला हो। ३. (दक्षिणा ) जो यज्ञ कराने कर पाठ वर्ण होते है। से प्राप्त हो। याजुपीउष्णिक - सज्ञा पु० [ ] एक वैदिक छद जिसमे सात वर्ण याज्या-सहा स्त्री॰ [ सं०] १ गगा नदी। २ यशसधी मुक्त प्रया होते है। मत्र [को०] 1 याजुपीगायत्ती- सञ्चा स्त्री॰ [ स० ] एक वादक छद जिसमे छह वर्ण यातन-सक्षा पु० [सं०] १ परिशाघ । बदला। २ पारितोपिक । होत है। इनाम । याजुपीजगती--सज्ञा स्त्री० [सं० ] एक वैदिक छद जिसमे वारह यातना-सच्चा सी० [सं०] १ बहुत अधिक कष्ट । तकलीफ । पीना । वर्ण होते हैं। उ०—कोरि कारि यातनानि फोरि फोरि मारिए । केशव याजुपीजिष्टुप्-सञ्ज्ञा पुं० [ स०] एक वैदिक छद जिसमे ग्यारह वर्ण (शब्द०)। २ दह की वह पीडा जो यमलोक मे भोगनी होते है। पडती है। याजुपीपंक्ति- सज्ञा पुं॰ [ स० याजुषी पहित ] एक वैदिक छद जिसमे यातव्य-वि० [सं०] १ (ऐसा शत्रु) जो पास होने के कारण चढाई दस वर्ण होते हैं। के योग्य हो । २ जिसपर चढ़ाई की जानेवाली हो । याजुषीवृहती-सज्ञा सी० [सं० ] एक वैदिक छद जिसमे नौ वर्ण याता'-सज्ञा स्त्री० [सं० यातृ ] पति के भाई को स्त्रो। जेठानी वा होते हैं। देवरानी। उ०-सास ननंद यातान को आई नीठि सुवाय । स्थानापन्न 1 स०