पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३०८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

याता ४०६७ योन स० । 50 BO अब पाली घर गवन की सुधि आए सुवि जाय | मतिराम याद की मैं प्रशंसा करता हूँ। २ स्मरण करने की क्रिया । (शब्द०)। जैसे-मैं अभी आपको याद ही कर रहा था। याता -तथा पुं० १ जानेवाला । २ रथ चलानेवाला। सारथी। ३ क्रि० प्र०—करना ।-दिनाने ।-पहनो।-रखना।-रहना। मार डालनेवाला । हत्या करनवाला । —होना । यातायात-सज्ञा पुं० j गमनागमन । माना जाना । आर्मदरफ्त । याद २-सञ्ज्ञा पुं० [ स० यास ] १ मछली, मगर आदि जलजतु । २ पानी (को०)। ३ नदी (को०)। ४ शुक्र । वीर्य (को॰) । यातिक-सज्ञा पुं० [ ] यात्रिक । यात्रा करनेवाला [को०)। ५ भनौरय (को॰) । यातु-सज्ञा पुं० [ स०] १ प्रानवाला । २ रास्ता चलनेवाला। यादगार (-सज्ञा स्त्री॰ [फा०] २ वह पदार्थ जो किसी को स्मृति के पथिक । ३ राइस । ४ काल । ५ वायु । हवा । ६ यातना । रुप मे हो । स्मृति नह । स्मारक । २ मतति । सतान । पुत्र । कण्ट । ७ हिमा। ८ अस्त्र । बेटा (को०)। यातुध्न -- सज्ञा पु० [ म० ] गुग्गुल । यादगारी- सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ फा०] १ वह पदार्थ जो किसी की स्मृति मे यातुधान-सचा पु० [स० } राक्षस । उ०-पक्षिराज यक्षराज हो । स्मृतिचिह्न । २. दे० 'यादगार' । श्रेतराज यातुधान । देवता अदेवता नृदेवता जिते जहान । याददाश्त-सश स्त्री० [फा०] १ स्मरण शक्ति । स्मृति । जमे,- केशव (शब्द०)। आपकी याददाश्त बहुत अच्छी है । २ किसी घटना के स्मरणार्थ यातुनारी-स० स्त्री॰ [सं०] भूतनी । पिशाची । राक्षसी [को०] । लिखा हुआ लेख । स्मरण रखने के लिये लिखी हुई काई वात । यानिक-सञ्ज्ञा पुं० [ ] वौद्धो का एक सप्रदीय । यादासपति सशा पुं० [ सं० यादासम्पति ] वरुण । याद पति । यात्रा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स०] १ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की योदसीनाथ - सञ्चा पु० [ स० यादसाम्नाथ] ६० 'यादसापति' । क्रिया । सफर । २ प्रयाण । प्रस्थान । ३ दर्शनार्थ देवस्थानो यादव-सा पुं० [सं०] [स्त्री यादवी ] १. यंदु के वशज । को जाना। तीर्थाटन । ४ उत्सव । ५ निर्वाह । व्यवहार । युदुवशी, यदुवंशो क्षात्रय । ३ अहीर जाति का व्यक्ति । ६ वग देश में प्रचलित एक प्रकार का अभिनय, जिसमें ४. श्रीकृष्ण। नाचना और गाना भी रहता है। यह प्राय रासलीला के ढग यादवे-वि० यर्दुसबंधी । का होता है। ७ यात्रा करनेवालो का दल वा समूह (को०)। यादवकोश-सज्ञा पुं० [सं० ] सस्कृत के एक कोश का नाम जिसे ८ मार्ग। राह (को०) । ६ समय विताना । कालक्षप करना वैजयती कोश मा कहते हैं। (को०)। १ युद्ध यात्रा । चढाई (कौटि०)। यादवगिरि-संक्षा पुं० [सं० ] एक पर्वत का नाम । यात्रावाल- सज्ञा पुं० [सं० यात्रा + हिं० चाल (प्रत्य॰)] वह यादवी-सक्षा सी० [ से०] १ यदुकुल की 'स्त्री। २ दुर्गा । ३ कुती ग्राह्मण या पहा जो तीर्थाटन करनेवालो को देवदर्शन का एक नाम (को०)। कराता हो। यादु-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] १ जल । पानी । २ कोई तरल पदार्थ । यात्रि--सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ यात्रा का प्रयोजन । कही जाने का 'याह-वि० [सं०] [वि॰ स्त्री० योदृसी ] दे॰ 'यादृश' [को०) । अभिप्राय या उद्देश्य । २ वह जो जीवन धारण करने के लिये याक्षिक-वि० [स०] [वि. यादृक्षिकी ] १ अपन इच्छानुकूल उपयुक्त हो। ३ यात्री। पथिक । ४ तीर्थों की यात्रा करने- करनाला। स्वेच्छाचारी। २ 'अप्रत्याशित । याकस्मिक। वाला । तीर्थयात्री (को०) । ५ उत्सव । मैंला (को०) । ६ यात्रा ३ स्वतंत्र। की सामयी । सफर का सामान । यात्रिक-वि०१ यात्रा सबंधी । यात्रा का ॥ २ जो बहुत दिनों से यादृच्छिक प्राधि-संशा 'सी० [ ४० ] गिरवी रखी हुई वह चीज जो बिना ऋण चुकाए न लौटाई जा सके। चला पाता हो । रीति के अनुसार '। 'प्रथानुकूल'। यात्री-सञ्ज्ञा पुं० [स० यात्रिन्] १ एक स्थान से दूसरे स्थान को जाने- 'यादीनाथ- संज्ञा पुं॰ [सं० ] दे० 'यदि पति' [को०] । याश-वि० [ [वि० सी० या दृशी] जिस प्रकार का । जैसा। वाला । यात्रा करनेवाला। मुसाफिर । २ देवदर्शन या तीर्था- टन के लिये जानेवाला। याद्व-वि० [सं०] १ यदुवंशी । २ यदु सर्वथी। याथातथ्य-सञ्ज्ञा पु० [सं० ] यथातथ्य होने की भांव । यथार्थता । यॉन-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १. गाडी, रथ आदि सवारी। वाहन । २. ठीकपन । विमान । आकाशयान । ३. शत्रु पर चढाई करना, जो राजामो याथार्थ्य-संज्ञा पुं० [ स० ] यथार्थ होने का भाव । यथार्थता । के छह गुणो मे से एक कहा गया है। ४ गति । गमन । ५. पथ । मार्ग । रास्ता [को॰] । याद पति-सचा पुं० [सं० यादस (जल) + पति ] १. समुद्र । यौ०-यानकर = यान 'बनानेवाली। बॅढई। यानपात्र पति । २. वरुण। जहाज । यानपायक, यानपात्रिका = छोटा यांन । छोटा 'पोत'। याद- -सक्षा स्त्री॰ [फा०] १. स्मरण शक्ति । स्मृति । जैसे,—आपकी छोटी नौका । यानभंग प्रवहण या पोत का टूट जाना। [ HO