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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३१०

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यामुन' ४०६६ चावनाल यामुन'-सज्ञा पुं० १ यमुना के किगारे वगनेवाले मनुष्य । २ एक यार-गमा पुं० [फा०] १ मिप्र । दोस्त । 30--(स) बारा परया पर्वत का नाम । ३. महाभारत के अनुसार एफ तीर्थ का नाम सोलि के सनमुस ले दीदार । दाम नही लाश्या धादि घन ४ सुरमा। प्रजन । ५ वृहत्संहिता के अनुसार एक जनपद पा यार ।-फीर (मद०)। (ग) गयो रपयो गयो । का नाम । यह जनपद पृत्तिका, रोहिणी घौर मृगशीर्ष के मुचलि प्राधिक राति पचारि। हन्तु ताप गव धायगे उर अधिकार में माना जाता है। ६ एक बंपर प्राचार्य का लगि यार क्यारि ।-निहारी (२०)। २. पिनी स्त्री ने नाम । यामुनाचार्य । यामुन मुनि । अनुचित गंबध रखनेवाला पुरष । उरपति । जार। विशेष-ये दक्षिण के रगक्षेत्र के रहनेवाले थे और रामानुजाचार्य सहायरु ! साथी । हिमायती (को०) । के पूर्व हुए थे। ये सस्कृत के अच्छे निद्वान थे। इनके रचे यारक द-तका पुं० [ तु० यार कद (नगर) ] एक प्रकार गा चैतनूटा जो कालीन में बनाया जाता है। हुए श्रागम प्रामाण्य मितिनय, भगवद्गीता की टोना, भगवद्- गीता सग्रह पीर प्रात्ममदिर रतो यादि ग य श्रमता मिलते यारवाश-वि० [फा०] चार दोस्तो में रहकर प्रानपूर्वक गमय हैं। कुछ लोग इन्हे रामानुजाचार्य का गुरु बतलाते है। जितानेवाला । रमिक । यामुनेष्टक-सज्ञा पुं० [सं०] सीमा । याराना- सपा पुं० [फा० याराना] १ यार रोने का भाव । यामेय-सरा पुं० [स०] १ बहन का लडका । भानजा । २ धर्म मित्रता। मैत्री। २ म्श्री श्री पुरुष का अनुनिन मरघ या प्रेम भाव । की पली यामी के पुत्र का नाम । क्रि० प्र०-फरना ।टना ।-रखना ।-होमा । याम्य-सा पुं० [सं०] १ चदन। २ शिव । ३ विप्र । ४. मगस्त्य मुनि । ५ यमदूत । ६ भरणी नक्षत्र (को०) । यागना-वि०मिफा सा । मियता सा । , याराना बर्ताव । यान्य-वि० १ या सर्वधी । यम का। २ दक्षिण का । दक्षिणीय । यारी-सश सी. [फा०] १ मैत्री। मित्रता । उ०-यारि हरि के प्राय पै जरति न मोरे पग। रूप रोसनी पं मां नही नन याम्यदिग्भवा-सा पी० [सं०] तमालपत्री। पतग :-रमनिपि (गन्द०)। २ न्त्री और पुष्प ना प्राषित याम्यद्रम-सधा पुं० [म०] सेमल का पेड़ । पाल्मलिवृक्ष । प्रम या सपा याम्या-या वी० [सं०] १ दक्षिण दिपा । २ भरणी नक्षत्र । मि० प्र०-गॉटना-बोदना । याम्यायन-समा पुं० [स०] दक्षिणायन । यार्कायन-सपा पुं० [• ] यार के गोत्र में उत्पन्न पुरुष या गाम्योतर दिगंश-पदा पुं० [सं०] लांच । दिगद। (भूगोल, पपत्य। याल-वा औ• [ तु० ] पोडे भी गर्दन के आर के नवे पात्त । अयाल । वाग। माम्योत्तर रेखा- मौ० [स०] यह परिपत रेसा जो किसी स्थान से प्रारम होकर सुमेर घोर कुमेर से होती gई भूगोल मेरे गाव-शा to [d०] १, पौना सत्तू । २ सार । १. महावर । चारो भोर मानी गई रो। याव-वि०१ यव रे बनाया हुमा । पौपा। २ यप सबधी। पद का। विशेप-परले भारतीय ज्योतिषी यह रेरा उज्जयिनी या सफा से गई हुई मानते घे। पर पर लोग योरप पौर ममेरिया याव-सा पुं० [सं०] १ षो। २ यरु या धो रा रारा। यह मादि भिम गिल नगरो से गई हई मानते हैं। भाजपल पस्तु वो जो है पनाई गई हो । ४. पुन्माए । योरा पान । " बहुधा इस रेगा फा सेंद्र गर्नउ पा ग्रीनिच नगर माना साठी धान । ६ उदद । माग | , मास । ८. महापर। जाता है। यावत्-वि० [४०] १ जितना । यायावर'-सज्ञा पुं० [सं०] १ सश्वमेध का घोसा। २ सरकार विशेष—यह सावत् के साथ मोर उगने पहने माता है। मुनि । । मुनियो के एक गण का नाम) परलार बी इसी २ भव । पुल। गण गे थे। एक स्थान पर न रहनेवाला साधु। मदा इभर उपर घूमता रहनेयाला सन्वागी । . माना। यानना । यावत्'- मि.वि. १. भर तर । २. जहां तक । ६ यह प्राहाण जिनके यहाँ गाईपत्य पनि बराबर रहनी यावन- पुं० [सं०] सोपान । हो।माति माला। यावन'- M. पायi) परन मधी। पापा। अंगे, यायावर-पिनमा पर अपर पूजापाना! नया यही दरी याय चायनी भाषा यादी पारनेवाला । पुगए । जितपोयित जान न हो। यारनर-1 • [0] ना पटो रस ए । सागो-२ [२० यायि] [ wh० पापिणे गाला। जो जा यापनाक-[2] जिगरम। रहा रो। गमनशील। यावनाल-सा • [0] मार | मरा। उगोत)