पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३११

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शराब। यावनाली ४०७० 'युक्तिकर यावनाली-सज्ञा स्त्री० [सं०] मक्के से बनाई हुई चीनी । ज्वार की युक्त'-वि. [सं०] १ एक साथ किया हुआ । जुड़ा हुअा। किसी के शक्कर। साथ मिला हुना। २ मिलत । समिलित । ३ नियुक्त। यावनी'-सज्ञा स्त्री० [स०] करकशालि नाम की ईख । रसाल । मुकर्रर । ४ पासक्त । ५ सहित । सयुक्त । साथ । ६ सपन्न । यावनी-वि० स्त्री० यवन मवधी । जैसे, यावनी भापा । पूर्ण । ७ उचित । ठीक । वाजिब । सगत । मुनासिव । यावर-वि॰ [फा०] सहायक । मददगार | यौ-युक्तकर्म = किसी कार्य के लिये नियुक्त । युचेता योगा भ्यासी । योगयुक्त । युक्तचेप्ट - उचित व्यवहार करनेवाला । यावरी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [फा०] यावर का भाव या धर्म । मित्रता । मैत्री। शिष्ट । युक्तदड = न्यायपूर्ण या उचित दड देनेवाला। युक्त यावशूक-सञ्ज्ञा पु० [सं०] यवक्षार । जवाखार । मना = दत्तचित । सावधान मन से । युक्तरथ । युक्तरसा । यावस-सज्ञा पुं० [स०] १ घाम, डठल प्रादि का पूला। जूरा। युक्तरूप। जौरा । २ भूमा । न्यार [को०] । युक्त'-सञ्ज्ञा पुं० १ वह योगी जिसने योग का अभ्यास कर लिया हो। यावसिक-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] घसियारा। घास काटनेवाला [को०] । यावा-सञ्ज्ञा पुं० [स० यावन्] १. अश्वारोही। घुडसवार । २ उप- विशेप-ऐसे योगी को, जो ज्ञानविज्ञान से परितृम, कूटस्य, प्लवी । आक्रामक [को०] । जितेंद्रिय हो और जो मिट्टी और सोने को तुल्य जानता हो, युक्त कहा गया है। यावा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [तु० यावद,] १ अनर्गल । बेहूदा । २ अप्राप्य [को॰] । २ रैवत मनु के पुत्र का नाम । ३ चार हाय का एक मान । यावास-सज्ञा पुं॰ [स०] यवास से बनाया हुअा मध । जवासे की युक्तक-सज्ञा पुं० [म.] जोडा । युग्म (को०] । याविक-सज्ञा पुं० [सं०] मक्का नामक अन्न । युक्तमना वि० [सं० युक्तानम्] सावधान । दत्तचित्त । याविहोत्र-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] यज्ञ विशेष (को०] । युक्तरथ - महा पुं० [सं०] एक प्रौपयोग जिसका प्रयोग वस्तिकरण यावी-सहा सी० [सं०] १ शखिनी । २ यवतिक्ता नाम की लता। मे होता है। भावप्रकाश मे रेंड की जड़ के क्वाथ, मधु, तेल, याष्टीक-सहा पुं० [सं०] लाठी बाँधनेवाला योद्धा । लठबध । लठत । सेंधा नमक, बच और पिप्पली के योग को युक्तरथ कहा है । यास-सज्ञा पुं० [सं०] लाल धमासा । युक्तरसा-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ गघरास्ना। गवनाकुली । नाकुली कद । २ रास्त्रा। रासन। यासमन, यासमीन, यासमून-सज्ञा स्त्री० [अ०] चमेली । युक्तरूप-वि० [सं०] उचित । उपयुक्त । योग्य [को॰] । यासा-सञ्ज्ञा ली० [सं०] १ कोयल | २ मैना । युक्तवादो-वि० [सं० युक्तवादिन] उचितवक्ता। ठीक बात कहनेवाला । यासु-सर्व० [सं० यस्य] दे॰ 'जासु' । युक्तश्रेयसी-सज्ञा स्त्री० [सं०] गध रास्ना । नाकुली फद । यारक-सज्ञा पुं० [सं०] १ यस्क ऋषि के गोत्र मे उत्पन्न पुरुष । २ युक्ता-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ एलापर्णो । २ एक वृत्त का नाम जिसमे वैदिक 'निरुक्त' नाम से प्रसिद्ध वेद सबंधी निर्वचनपरक प्रध के दो नगण और एकै मगण होता है । रचयिता एक प्रसिद्ध ऋपि का नाम । निघटु के टीकाकार । युक्ताक्षर-सझा पुं॰ [ सं० ] सयुक्ताक्षर | सयुक्त वर्ण । याकायनि-सञ्ज्ञा पुं॰ [मं०] यास्क गोत्र में उत्पन्न पुरुप । युक्तायस्-सञ्ज्ञा पुं॰ [ म० ] प्राचीन काल के एक अस्त्र का नाम जो याहु-सर्व० [हिं० या + हि] इसको । इसे। उ०—जो यह मेरो बैरी कयित ताको नाम पढायो। देहु गिराय याहि पर्वत तें लोहे का होता था। क्षण गतजीव करायो।—सूर (शब्द॰) । युक्तार्थ-वि० [ म9 ] ज्ञानी। यियक्षमाण, यियच-वि० [स०] यज्ञ करने का अभिलापी [को०] । युक्ति-सज्ञा स्त्री॰ [ सं०] १ उपाय । ढग । तरक़ीन । २ कौशल । यियप्सु वि० [सं०] भोग का इच्छुक । भोगी (को॰] । चातुरी । ३ चाल । रीति । प्रथा । ४ न्याय । नीति। ५ थियासा-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] जाने की इच्छा [को०)। अनुमान । प्रादाजा । ६ उपपत्ति । हेतु । कारण। ७ तर्क । ८ उचित विचार । ठीक तर्क। जैसे, युक्तयुक्त यीशु-सज्ञा पु० [लै० ईसुस, हि० जेशुणा, ज'शुया, ० जेसस, तुल० वात । ह योग। मिलन । १० एक प्रलकार का नाम सं० ईश ] ईसामसीह । जिसमे अपने मर्म को छिपाने के लिये दूसरे को किसी प्रया यु जान-मज्ञा पुं० [सं० युगान] १ मारथी। २ विप्र । ३ दो या युक्ति द्वारा वचित करने का वर्णन होता है। जमे,- प्रकार के योगियो मे से वह योगी जो अभ्यास कर रहा हो, पर लिखत रही पिय चिन तह प्रावत लखि सखि ग्रान । मुक्त न हुना हो। कहते हैं कि ऐसा योगी समाधि लगाकर चतुर तिया तेहि कर लिखे फूलन के धनुबान । ११ ते शव के सब बातें जान लेता है। अत्तुसार उक्ति का एक भेद जिगे स्वभावोक्ति भी कहते हैं । युजानक-सज्ञा पुं० [सं० युञ्जानक] युजान नामक योगी। दे० युक्तिकर- वि० [ सं० ] जो तर्क के अनुसार ठीक हो । उ चत विचार- 'युजान'। पूर्ण । युक्तिसगत । युक्तियुक्त । नव- मल्लिका। ऊहा।