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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३४३

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रखनी ४१०२ रस्शा रखनी-सज्ञा सी० [ हिं० रखना + ई ( प्रत्य० ) ] वह नी जिसमे रखान-7 रो० [हिं० रपना ] चगई को भूमि । चरी। विवाह संबध न हुया हो और जो यो ही घर मे रख ली गई रसाना-क्रि० स० [हिं० स्पना का प्रेर० स्प] गगने की दिया हो । रखी हुई स्ली। उपपत्नी रम्वेली । सुरैतिन । एमरे से गागना । दारो को रन में प्रजन करता । खवाना। क्रि० प्र०-रखना। रवाना'-मि० अ० रामानी पगा। रत्ना करना । नष्ट हान में TITI रखपाल-सा पुं० [सं० रक्षपाल । दे० 'रक्षपाल' । उ०- पहिरी माला मंत्र की पाई पुन श्रीमाल । थाणी गोन रगा' [ [ पा० गुनहािद ITT3130- विहोलिया वीहोला रखपाल ।-प्रर्ध०, पृ० २। (क) अममान के बीच रगाना है , उ7 हुनेर में बैठी। रखयाg--वि० ग्नी• [ सं० रक्षा ] रक्षा करनेवाली। पन्टू, भा० ३, पृ. ६२ । (न) नई द गिना जागी रखया'-मना सी० [ स० रियता ] रिक्ता तिथि । दे० 'रिक्ता'। गुरिगा गगन गाना । - पद, भा० ३, पृ० ८६ । उ.-तीज अष्टमी तेरिस जया । चोय चतुर्दगि नौमी रचार। If [10] प्रकार का पाटा जिगा व्यवहार रखया। जायमी (णब्द०)। वई प्रात मे नुता हुया व नगर पारने के लिये होता है। रखला- सज्ञा पुं० [ हिं०] १० 'रकला' । रसिया ।'-7 पुं० [हिं.. रपना+या (प्रय०)] १ रनक । रखवाई-सज्ञा स्त्री० [म. रसना या रसाना] १ रोनो पो रसवाली। • खोवाला । उ०-गर्भ रिभवारि दुबदनी समन्यु चौकीदारी। २ रखवाली को मजदूरी । चोर दारी की जो मी दार टान रग रसियन में !-देन (२०)। मजदूरी । ३ चौकीदार का टिकम । ४ रखवाली करने को रचिया@i-T पुं० [हिं० राखी (= रक्षा) ] गांव के माप का क्रिया या भाव । ५ रसने की क्रिया या ढग । ६ रखने की वह पेट जो पूजना रक्षित रहता है । मजदूरी। रबियाना-7 पुं० [हिं० गयी+याना (प्रन्य०) ] १ राम में रखवाना-क्रि० म० [हिं० रखना या प्रेर० रप ] १. सपने की परतना ग्रादिपा मांजना । २ पकाए हुए और (क्न्ये) क्रिया दूसरे से कराना। दूसरे को रखने मे प्रवृत्त करता । को रूपडे में लोटत रासयी अदर इस अभिप्राय मे रखना २ दे० 'रखाना'। कि उनका पानी नूप जाय प्रौर पसाय नियल जाय (नघोर्स) । रखवार-मचा पु० [हिं० रखना + यार (प्रत्य॰)] १. रक्षा करने- रसी- पुं० [सं० -पि, हि० रिखि ] ऋषि । मुनि । वाला । रखवार । २ चौकीदार । पहरेदार । (F30 ) रखवारा -मशा पु० [हिं० रखवार ] दे० रपवार' । उ०—त रगीराज-17 पुं० [सं० प्रपिराज ] नारद ऋषि । (डि०) । कएल रखवारे लुटल ठाकुर मेवा मोर ।-विद्यापति, रखीसर - ससा पु० [सं० मीश्वर ] श्रेष्ट पि, नारद प्रादि । पृ० ६१४। रसेडिया)- पुं० [हिं० रास + एडिया (प्रत्य)] वह जो शरीर रखवारी -सज्ञा सी० [हिं० रसना+ चारी ( पत्य० )] ३० में केवल गम पोतार गायु बना फिरे । टोगो माधु । रमेल-नगरी० [हिं० रमना + एल (प्रत्य॰)] दे० 'रगेली' । रखवाल-सज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'रखवाला' । उ०-तुम ही हुए ग्य- रखेती-मा १० [हिं० रखना + एली (प्रत्य॰)] पिना विवाह किए वाल तो उसका कोन न होगा ?-अर्चना, पृ० ४६ । ही घर मे रसी हुई तो । रानी । मुगतिन । उपपली । रखवाला-सज्ञा पुं० [हिं० रचना+वाला (प्रत्य॰)] १ रक्षा रखेया। [1 - T पुं० [हिं० रखना+ऐया (प्रत्य॰)] + रसनेपाना । करनेवाला । रत्तक । ०.चौकीदार । पहरेदार । २ रत्ता करनेवाला। रखवाली - संज्ञा स्त्री० [ हिं रखना + वाली (प्रत्य॰)] १ रक्षा करने रसेल-मश सी० [हिं० ग्वना + ऐन (प्रत्य)] ६० रखेन', 'ररोली' । की क्रिया । हिफाजन । २ रक्षा करने का भाव । रसौंडी-सप पी० [हिं० रारी ( = रक्षा) + शौली (स्वा० प्रत्य॰)] रखशी-सज्ञा स्त्री॰ [ देश० ] एक प्रकार का गद्य जिसे नेपाली आदि रक्षामूय। रायो । विरोप दे० 'गया। पहाडी पीते हैं। रसौत, रखौना-सा पुं० [हिं० रखना ] पशनो के चरने के लिये रखा- सी० [हिं० रखना ] १ पशुओ के चरने के लिये बचाई छोटो हुई जमीन । चग। हुई भूमि । चरी। चरोना । २ सर्वसाधारण के उपयोग के रखौनी -२२ सी० [हिं० राखो ] ३० 'राणा' । लिये दजित जगल या चरागाह जहाँ से लकडी, घाम घादि रस्त काटने की मनाही हो। सदा पुं० [फा० रख्त ] १ अमवार । सामान । २ पोशाक । वस्त्र। लिबास । उ०-कोइ ताज सरोदे हंस हमकर कोई रखा। -वि० [ म० रक्षक, प्रा० रक्खन रक्षा या हिफाजत करने रस्त वडा बनवाता ।-राम० धर्म०, पृ. ६१ । वाला । चौकीदार | पहत्या । जैसे, बनरखा = बन का रक्षक । यौ०-परत परत = साज सामान । रखाई-सञ्ज्ञा सी० [हिं० रखना+श्राई (प्रत्य०) ] १ रक्षा करने रस्श-जज्ञा पुं॰ [फा० रश] १ घोटा। अव । २ प्रभा । चमन । की क्रिया। हिफाजत । रसवानी । २ रक्षा करने का भाव । काति । किरण [को०। ३, वह धन जो रक्षा करने के बदले मे दिया जाय । रख्शा-वि० [फा० रा ] प्रदीप्त । चमक्ता हुआ [को०] । 'रखवाली'।