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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३४२

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रक्स ४१०१ रसना । रक्स-सज्ञा पुं० [अ० रक्स] १ उद्धत नृत्य । मर्द का नाच । ताहव । २ लास्य । स्त्री का नाच । ३ नृत्य । नर्तन (को०) । रक्सॉ-वि० [फा० रक्सा ] नृत्यरत । नाचता प्रा (को०] । रक्से ताऊम-सज्ञा पुं० [फा० रक्से ताऊस] १ एक प्रकार का नाच, जिसमे पेरावाज के दो कोने दोनो हाथो से पकडकर कमर तक उठा लिए जाते हैं, जिससे नाचनेवाले की प्राकृति मोर की मी वन जाती है। २ एक प्रकार का नाच जिसमे घुटनो के बल होकर इतनी तेजी से घूमते हैं कि काछनी वा पेशवाज का घेरा फैलकर चक्कर खाने लगता है। रसा-सा स्रो० [हिं० रखना ] १ चरी की भूमि | चरौना। चरागाह । २ रक्षित जगल । दे० 'रखा'। रख-सज्ञा पुं॰ [स० रक्ष, प्रा० रक्ख] रक्षा। वचाव । जैसे, रखपाल = रक्षपाल । रखटी-सशा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार की ईख जिसके रस मे गुट बनाया जाता है। लखडा । रसडा-सञ्ज्ञा पु० [दश०] दे० 'रखटी'। रखडी-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० रख (= रासी)+दी (प्रत्य॰)] राखी । रक्षावधन । उ०-भाई कहते थे, रखडी (राखी) के वाद जाना।-अभिशप्त, पृ० ६६ । रखत-सज्ञा पुं० [फा० रस्त] असवाव । सामान | उपकरण । यौ०--रखत वखत = रख्तवस्त । रखत वलत । रखना--क्रि० स० [स० रक्षण, प्रा० रखण] १ किसी वस्तु पर या किसी वस्तु के अदर दूसरी वस्तु स्थित फरना। ठहराना । टिकाना । घरना । जैसे, टेबुल पर किताव रखना; थाली में मिठाई रखना; हाथ पर रुपए रखना; बरतन मे अनाज रखना; दांव पर रुपया रखना; गाडी पर प्रसवाब रखना। सयो० कि०-देना । लेना। २ रक्षा करना । हिफाजत करना। बचाना । जैसे,—तुम आप तो अपनी चीज रखते नहीं, दूसरो को चोर बनाते हो । उ०- जाको राखे साइयाँ, मारि सर्फ नहिं कोय । बाल न बांका करि सक, जो जग बैरी होय ।- फवीर (शब्द०)। यो०- रस रसाव = किसी वस्तु की देखरेख और रक्षा । हिफाजत फरने की क्रिया। ३ निर्वाह या पालन करना । विगठने न देना। वृथा या नष्ट न होने देना । जैते,---किसी की इज्जत रखना, किसी की बात रखना। संयो० कि०-लेना। ४ एकम करना । सग्रह करना। जोडना । सचित करना । जैसे, कमा कमाकर रुपए रखना, ढूंढ़ ढूंढ़कर तमवीरें रखना। मयोकि०-चलना-जाना ।—देना । लेना। ५. सुपुर्द करना। सौंपना । ६ रेहन करना। बंधक मे देना। जैने,-घर के जेवर रखकर उन्हे कर्ज दिया था। ७ अपने अधिकार मे लेना। अपने हाथ मे करना । जमे,-अभी यह रुपया हम रखते है। जब तुम्ह जररत हो, सब ले लेना। संयो० कि०-लेना। मुहा०-रस लेना = किसी को चीज उसे वापस न देना। दवा लेना । जैसे,-मापने मेरे निये जो चीजें उनके पास भेजी थी, वे सब उन्होन रज ली ८ पालन पोषण, मनोविनोद या व्यवहार आदि के लिये अपने अधिकार में करना। अपनी प्रवीनता में लेना। जमे,-गौ रखना, घोडा रखना, रडी सना, पहलमान रखना । ६ नियुक्त करना । तैनात करना । मुकर्रर करना । जैसे,अापके काम के लिये मैंने अपने चार गादमी वहाँ रख दिए है। १० सकुशल जाने न देना। पकड या गेरु लेना। जैसे,-दो डाकुयो को तो गाँववालो ने रखा। ११. प्राघात करना । चोट पहुंचाना। जडना । ने,-मुता रखना, थप्पड रखना । १२ स्थगित करना । मुलतमी करना । दूमरे ममय के लिये टालना । जैसे,—यह बातचीत कल पर रखो। १३ उपस्थित न करना । सामने न लाना । जैसे,—यह सब झगडा अलग रसो। १४. व्यवहार करना। धारण करना । जमे,- श्राप मदा बदिया की रसते हैं। १५ किसी पर प्रारोप करना। जिम्मे लगाना। महना । जैसे,—तुम मदा सन कसूर मुझपर ही रखते हा। मुहा०-हाथ रखना=ऐसी बात कहना जिमने कोई दबे, चिडे या एहसान माने। (किसी पर ) रसकर फहना- किमी का सुनाने या चिढाने के उद्देश्य से किमी दूनरे पर पारोपित करके कोई बात कहना । लक्ष्य बनाफर कहना । १६ ऋणी होना। कर्जदार होना । जैसे,—(क) हम क्या उनका युछ रखते हैं, जो उनने दर्थे । (ख) वे कभी किमी का एक पैसा नही रखते। १७ मन मे अनुभव या धारण करना। जंस, पाशा रखना, विश्वास रसना। १८ निवाग कराना । डेरा कराना । ठहराना । जमे-हमने उन लोगो को धर्मशाला में रख दिया है। १६ श्री (या पुरप ) से सवध करना । उपपल्ली ( या उपपति ) बनाना । जैम,- उमने एक पौरत रस ली है। २० गभोग करना। प्रमग करना । ( वाजाह)। २१ गर्भ धारण कराना । जैने, पेट रसना। २२ पक्षियो प्रादि का प्रदे देना। जैमे,-यापनी मुर्गी माल मे सिने पडे रखती है ? २३ प्राने पाम पडा रहने देना। पचाना । जैसे,-सा पीकर महीने म क्या रखते हो? सयो क्रि०~छोड़ना। मुहा०-रखकर फरमा=frm यात का तुर प्रग पचाकर या छिपाकर मेष यश बना। विशेष-पयुक्त किया के मे इस गद का व्यवहार जिम घ्या फ भागे होता है, उपसे गुचित हाना है कि यह क्रिया किपी दूसरी निया के पहले पूरा हो गई है या हो जानी चाहिए । जने, गने पर है। कह गया पापि तुम्हारे घाने पर गाया दे दे।' गुहाररे रमे भी यह शिया गरी क्रियायोगे गय गनी है।