पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३६

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ममकार ममीलिया ३७६३ घर। ममाना। या मेरी । उ०--(क) साई यो मति जानियो प्रीति घट मम ममान, ममाना-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० मामा+पाना (प्रत्य॰)] मामा चित्त । मरूं ता तुम सुमिरत मरू जीवन सुमिरूं नित्त ।- का घर । ममियौरा। कवीर (शब्द॰) । (ख) नील सरोरुह श्याम, तरुन अरुन वारिज ममारख-वि० [अ० मुबारक ] शुभ । वल्याणप्रद । सौभाग्यशाली। नयन । करहु मो मम उर धाम, सदा क्षीरसागर सयन।-तुलसी ममारखी-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ० मुबारकी ? ] वधाई। मुबारिकी। (शब्द०)। (ग) महाराज तुम तो हो साध । मम कन्या ते उ०—देति ममारखो बारहिं बार कर सिगरी सब और भयो अपराध । —सूर (शब्द॰) । सलामैं । —हम्मीर०, पृ० ६ । ममकार91-सञ्चा पु० [सं० ] ममत्व । ममता । अहकार । उ०- ममासा-सज्ञा पुं॰ [ मं० मवास ] किला । गढ । उ०—तेही रोम ररकार का गम्म कस लह शब्द क सग ममकार होई।- पास चढ तोर ममासा ।-कबीर सा०, पृ० ८६ । राम० धर्म, पृ० १३६ । २ वयक्तिक वा निज की सपत्ति । ममिता-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ भ० ममता ] दे० 'ममता'। उ०-चोखा मभकृत्य-सज्ञा पु० [ स०] 70 'ममकार' [को०) । दइ जीव सब राखा ममिता अदल चलाई।-सत० दरिया, ममत-सञ्ज्ञा पु० [ म० ममत्व ] दे० 'ममत्व', 'ममता' । उ०- पृ० १३५। गुरु पग परसें बधन छूट। मोह ममत का फाँसा टूट ।- मामया-वि० [हिं० मामा + इया (प्रत्य॰)] जा सवध मे मामा के सहजो०, पृ० ६ । स्थान पर पडता हो। मामा के स्थान का। जैसे, ममिया ममता-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स०] १ 'यह मेरा है' इस प्रकार का भाव । ससुर, ममिया सास। किसी पदार्थ को अपना समझने का भाव । ममत्व । अपनापन । विशेष—इस शब्द का प्रयोग सवधसूचक शब्दो के साथ होता है । उ०-सुमति न जान नाम न जाने में ममता मार |-जग० यौ०-ममिया ससुर = पति वा पत्नी का मामा । ममिया सास = श०, पृ० ११४ । २ स्नेह । प्रेम । ३ वह स्नह जो माता पति अथवा पत्नी की मामी। ममिया बहिन = मामा की पिता का अपनो सतानो के साथ होता है । ४ मोह । लोभ । कन्या। ५ गर्व । अभिमान । ममियाउरा-सञ्ज्ञा पु० [हिं० ममिया+पुर ] दे० 'ममियौरा'। यौ०–ममतायुक्त । ममताशून्य = ममत्व या ममता से रहित । ममियौरा-सज्ञा पु० [हिं० ममिया +ौरा (प्रत्य॰)] मामा का ममताई-सज्ञा सी० [ स० ममता+हिं० ई (प्रत्य॰) ] ममता । मोह । उ०-गर्व गुमान त्यागि ममताई। औँ सताल कार रहि ममी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [मम्मी] वह शव जो रासायनिक पदार्थ या मसाला दिनताई।-जग० श०, पृ० ११८ । श्रादि लगाकर नष्ट होने से बचाकर रखा जाता है। सुगधित ममतायुक्त-वि० [स०] १ अभिमानी । गर्यो । २ कृपण । ३ जिसमे द्रव्यादि के लेप द्वारा सुरक्षित शव । ममता हो। विशेप-मिस्र के पिरामिडो मे ऐसे शव प्राप्त होते हैं, जो तीस ममत्व-सञ्ज्ञा पुं० [स० ] १ ममता । अपनापन । हजार वर्षों से भी अधिक पहले के है। यौ०-ममत्वयुक्त । ममरवशून्य । ममत्वहीम = ममता वा स्नह से ममीरा-सञ्ज्ञा पु० [अ० मामीरान ] हलदी की जाति के एक पौधे रहित । उ०-पक्षी का सा जीवन, हममुख कितु ममत्वहीन की जड। निर्दय वालो के लिये। अपरा, पृ० १३९ । विशेष—इस पौधे को कई जातियां होती हैं। यह प्रांख के रोगो ममनाई-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स० मम] १ शासन । राज्य । २ मनमाने को अपूर्व भोषधि मानी जाती है। यह पौधा सम शीतोष्ण कार्य। उ०-तहंवा हस करत ममनाई।-कवीर सा०, प्रदेशो में होता है। प्रासाम के पूर्व के देशो के पहाडो स्थानो मे भी यह बहुत होता है। कुछ दूसरे पौधो की जहें भो, जो ममनून-वि० [अ०] प्राभारी। अनुगृहीत । कृतज्ञ । उ०—मैं बहुत इससे मिलती जुलती होती है, ममोरे के नाम से विकती है ममनून हूंगा। अगर अाप इसपर अपनी राय फरमा।- और उन्हे नकली ममीरा कहते है। प्रेम० और गोर्को, पृ० ५३ । ममोला-सञ्ज्ञा पु० [ दश०] १ धोबिन नाम का छोटा पक्षो जिसके पेट ममरखी -सज्ञा स्त्री॰ [ देश० या १० मुबारक ] बधावा । पर काली धारियां होती है। उ०—मैलो मेरी गेंद ममोला, ममरी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ म० बरबरी ] वनतुलसी। बबई । दिल मेरा वाई लिया मां।-दक्खिनी०, पृ० ३६० । २ बीर ममरी@+२-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हिं० मम+री (प्रत्य०) ] माता । उ०- बहूटी। ३ छोटा और प्यारा बच्चा । १४ एक प्रकार का ऐसे हमकू राम पियारे । ज्यो बालक कू ममरी।-चरण० घोडा। उ०—अमोला ममोला लिए मोल लक्षो।-५० रासो बानी, पृ०६०। पृ०१६७। ममाखी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [२० मौमाछी ] शहद की मक्खी। मधुमक्खी। ममोलियाधु-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ दश• ] वीर बहूटो। ममोला । उ०- उ.-उत्तमता इसका निजस्व है, अवुजवाले सर सा देखो। लूंबां झड नदियां लहर बक पगत भर वाथ । मोरा सोर जीवन मधु एकत्र कर रही उन ममाखियो सा वस लेखो। ममोलिया, सावण लायो साथ ।-बाँकी० ग्र०, -कामायनी, १० २७१ । पृ.७। 1 पृ०१४। भा०२,