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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३६०

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रपट रदीफवार ४११६ रदीफ है और यह प्रत्येक युग्म पद अथवा शेर के अंत मे रनकना@+-क्रि० अ० [२०, या म० रणन (= शब्द करना)] रहेगा । ३ पीछे की ओर रहनेवाली सेना । धुघरू आदि का मद मद शब्द होना । रदीफवार-कि० वि० [अ० रदीफ + फ़ा० वार ] वर्णमाला के क्रम रनछोर - सज्ञा पुं० [हिं० रन+छोडना ] दे० 'रणकोट' । से । अक्षरक्रम से। रनजीता--वि० [ म० रणजित् ] रण जीतनेवाला। विजय प्राप्त रद्द-वि० [अ०] १ जो काट या छाँट दिया गया हो । २. जो तोड करनेवाला। उ०-नवो अग के माधते उपज प्रेम अनूप । या बदल दिया गया हो। रनजीता यो जानिए मब वर्मन का शूप ।-चरण वानी। यो -रद्दवदल = परिवर्तन । फेरफार । रनधीर-वि० [ म० रणधीर ] रणक्षेत्र मे धैर्य धारण करनेवाला । ३ जो खराव या निकम्मा हो गया हो। धीर योद्या । उ०—महावीर रनधीर तिहिं, जानत सकल रद्द-सचा स्त्री० के । वमन । जहान । -हम्मीर०, पृ० १। रहा-सञ्ज्ञा पु० [ देश०] १. दीवार की पूरी लवाई मे एक वार रखी रनना-क्रि० अ० [सं० रणन (= शब्द करना) ] बजना। शब्द हुई एक ईट की जोडाई । ईंटो की बेडे बल की एक पक्ति जो करना। शब्द होना । झनकार होना। उ०-नयन दहावत् दीवार पर चुनी जाती है। २. मिट्टी की दीवार उठाने मे रनत समद तन लखत अपर जम :-गोपाल (शब्द०)। उतना अश, जितना चारो ओर एक बार मे उठाया जाता है रनवका-वि० [सं० रण+हिं० बांका ] शूरवीर । वहादुर । और जो कुछ समय तक सूखने के लिये छोड दिया जाता है । रनबरियाज-सज्ञा स्त्री॰ [दश०] एक प्रकार को भेड जो नेपाल के इसकी ऊंचाई प्राय एक हाथ हुआ करती है। जगलो मे पाई जाती है। क्रि० प्र०—उठाना । - रखना ।—होना । रनबॉकुरा--सज्ञा पुं॰ [*० रण + हिं० बकट, वक, याका] शूर वीर | ३ थाली मे मिठाइयो का चुनाव, जो स्तरो के रूप मे नीचे ऊपर योद्या। उ०—(क) जीति को मक नयाम, दसरथ के रन- होता है। ४ नीचे ऊपर रखी हुई वस्तुप्रो की एक तह या वांकुरे ।—तुलसी (शब्द०)। (ख) रनर्वाकुरा वालिमुत बका । खह। -मानस, ६।१८। क्रि० प्र०--चुनना। रनलपिका-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हिं० ] गाय । गौ। ५ कुश्ती मे अपने प्रतिपक्षी को नीचे लाकर उसकी गरदन पर रनवादी-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० रण+वादी ] शूर । लडाका । योद्धा । कुहनी और कलाई के बीच की हड्डी से रगडते हुए प्राघात उ.--मात न जानसि वालक आदी । ही बादला सिंह करना । (पहलवान )। रनवादी। जायसी (शब्द०)। क्रि० प्र०-जमाना । देना । लगाना । रनवास-सशा पुं० [हिं० रानी+वास ] १. रानियो के रहने का ६ चमडे की मोहरी जो भालुप्रो के मुंह पर बाँधी जाती है । महल । अत पुर । २. जनानखाना। ( कलदर )। रनवासन-मशा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार की फली । रद्दी'-वि० [फा० रद ] जो बिलकुल खराव हो गया हो। काम रनसेर-स० पु० [हिं० रन + सीर ] युद्धभूमि । लडाई का मे न थाने योग्य । निकम्मा । निष्प्रयोजन । बेकार | मैदान । -उ०-खैचि समसेर तव पैठ रनमर मे।-पलटू० रद्दी-सज्ञा स्त्री० वे कागज आदि जो काम के न होने के कारण पृ०१४। फेंक दिए गए हो। जैसे,--यह किताव मैं रद्दी के ढेर मे से रनित-वि० [ स० रणित ] वजता हुया। झनकार करता हुग्रा । निकाल लाया हूँ। उ०-रनित भृग घटावली झरत दान मधु नीर | मद मंद रहोखाना-सा [हि० रद्दी+फा० खानह, ] वह स्थान जहाँ पावत चल्यो कुजरु कुज समीरु ।-विहारी र०, दो० खराव और निकम्मी चीजें रखी वा फेंकी जायं। ३८८। रधारी-सक्षा सी० [ देश० ] श्रोढ़ने का दोहरा वस्त्र । दोहर | रनिवास-संशा पु० [हिं० ] दे० 'रनवान'। उ०-गव रनिवास विथकि लखि रहेका रघेरा जाल--सञ्ज्ञा पुं० [ स० रन्ध्र (= छेद) +हिं० एरा (प्रत्य०) तब धरि धीर मुमिया कहऊ ।- +जाल ] मछली फंमाने के लिये छोटे छेदो का जाल । मानस, २।२८३३ रन-सञ्ज्ञा पुं० [ स० रण ] युद्ध । लडाई। सग्राम । उ०—रन रनी-सज्ञा पुं० [सं० रण+ई (प्रत्य॰)] वीर । योता । रण करने- चडि करिअ कपट चतुराई।- मानस, ३।१३ । वाला। उ०-कलुप कलक कलेम कोम भयो जो पदु पाय रन-सरा पु० [सं० अरण्य, प्रा० रन ] जगल । वन । उ०- रावन रनी। सोइ पदु पाय विभीपन भो भवभूपन दलि दूपन वरुनि वान अस प्रोपहं वैवे रन बन ढांख ।--जायसी (शब्द॰) । अनी।-तुलसी (शब्द०)। रन-सज्ञा पुं० [अ० ] १ झोल । ताल । २ समुद्र का छोटा रनेत–सशा पुं० [ स० रण + हि० एत (प्रत्य॰)] भाला । (हि.) । सह। जैसे, कच्छ का रन । ३ क्रिकेट के बल्लेबाज का एक रपट'-सा सी० [अ० रख्त ] अन्यान । प्रादत । टेद । विकेट से दूसरे विकेट तक की दौड़ । दौड़ान । कि प्र०—करना ।-डालना । -पहना।-होना। ८-४४