पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/३८३

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रहाइश रहनी ४१४२ रहनी@-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० रहनि ] दे० 'रहनि' । रहस-सगा पुं० [स० रहम् (= क्रीटा)] प्रानद । आमोद प्रमोद । यौ०-रहनी गहनी = दे० 'रहन के माथ यो मे'। उ-रहनी उ०-(क) मिले रहम भा चात्य दूना। कित रोइस जा गहना विधि सहित जाके प्राठो आंग ।-अष्टाग०, पृ० ५७ । मिल मिटूना । —जायसी (शन्द०)। (म) जुवति जूय निवास रहम बस यहि विधि। देखि देखि सियराम सकल मगन रहनुमा सञ्चा पु० [फा०] १ पथप्रदर्शक । मार्गदर्शक । २ नेता । निधि । -तुननी (शब्द०)। अगुवा। रहनुमाई-ला सी० [फा० ] राह दिखाने का काम । पथप्रदर्शन । रहस-सज्ञा पुं० [मं०१ ममुद्र । २ स्वर्ग । रहपट-सञ्ज्ञा पुं० [?] झापड । थप्पर । उ०-वाम पञ्छ नय रहसना-कि० अ० [हिं० रहम + गा (प्रत्य॰)] धानदित होना। कचन मई । म्हण्ट एक जु ताकी दई।---नद० ग्र०, पृ० २८३ । प्रसन्न होना । उ०—(क) एहि अवार मगनु परम सुनि रहसेउ रहबर-सञ्ज्ञा पुं० [फा०] मार्ग दिखानेवाला व्यक्ति। पथप्रदर्शक । रनिवाम । -तुलसी (शब्द०)। (ख) एहि विवि रह्मत दपति उ०-रहबर मिलें तो पहुंचे जाई। जिन्हि देखा सो देहि हेतु हिए नहि यारे। --दूर (जन्द०)। (ग) रहसत पाय पपीहा देखाई।-पत० दरिया, पृ० ३१ । मिला । —जायसी (शब्द॰) । रहबरो-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ फा० ] पथप्रदशक का कार्य । मार्गदर्शन । रहसवधाव-सज्ञा पुं० [हिं० रस + वधाई] ग्विाह की एक रोति रहम-सज्ञा पुं० [अ० ] १ करुणा । दया । २ अनुकपा । अनुग्रह । जिसमे नवविवाहिता वधू को वर अपने साथ जनवासे में यौ०-रहम दिल = दयालु । कृपालु । लाता है। वहीं सव गुरुजन उग नमय वधू का मुन्व देवते हैं और उसे वत, भूपणादि उपहार देते है । रहम-सञ्ज्ञा पुं० [अ० रा ] गर्भाशय । रहमत-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ० ] कृपा । दया । मेहरवानी । रहसाना-कि० अ० [हिं० रहस+ना (प्रत्य॰)] श्रानदित होना । रहसना। उ०-भोग करत बिहीं रहसाई । —जायसी रहमान'-कि० [अ० ] बडा दयालु । (शब्द०)। रहमान-सज्ञा पुं० परमात्मा का एक नाम । ( मुसल०) रहसि-सशा स्त्री० [ स० रहम् ] गुप्त स्थान । एकात स्थान । उ०- रहर, रहरि, रहरी -सक्षा नी० [हिं० थरहर ] २० 'अरहर' । सुनि वल मोहन वैठ रहमि मे कोन्टो फलू विचार ।-सूर रहरू-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ पहि० रिदना (= घसिटना) ] छोटी देहाती (शब्द०)। गाडी, जिसमें किसान लोग पाम या खाद ढाते हैं । रहसू-सा स्त्री० [स०] व्यभिचारिणी| पुश्चली। वदचलन औरत । रहरूढभाव-सञ्ज्ञा पुं० [सं० रहरुढभाद] १ ससार के झगडो को छोडकर एकात स्थान में निवास करना। २ वह जो इस रहस्य'-सज्ञा पुं० [स०] १ वह बात जो लवको वतलाई न जा सकती प्रकार समार को छोडकर एकात रे निवास करना हो। हो । गुप्त भेद । गोप्य विषय । २ भीतर की छिपी हुई बात । मर्म या भेद की बात । ३ वह जिसका तत्व सहज में या राव रहरेठा -सज्ञा पु० [हिं० अरहर ] अरहर के मूखे डठल । कडिया। की समझ मे न पा सके । उ०—ह रहन्य काहू नहिं जाना । रहा । दिनमनि चले करत गुन गाना । -गुलनी (शब्द॰) । रहल-सज्ञा स्त्री० [अ० ] एक विशेष प्रकार की छोटी चौकी जिसपर क्रि० प्र०-खुराना। पढने के समय पुस्तक रखी जाती है। उ०-रघूनाथ भावते को पानदान भरि घर यो, घरी पोथी पाय ल्याय कोक को ४ एकात मे घटेत वृत्त, घटना या वार्ता । ५ हमी ठट्टा । मजाक । रहल में ।--रघुनाथ (शब्द॰) । ६ एक उपनिषद् (को०)। विशेष—इसमे दो छोटी छोटी पटरियां बीच मे दूमरी को काटती रहस्य-वि० १ सबको न बताने योग्य । गापनीय । २ जो एकात में हुई लगी रहती हैं और इच्छानुसार खोली या बद की जा हुअा हो । जो छिपाकर हुआ हो । सकती है । सुलने पर इनका प्राकार x हो जाता है। रहस्यत्रय-सञ्ज्ञा पु० [मं०] रामानुज सपदाय को तीन कोटियां जिन्हें रहलू-सज्ञा स्त्री० [हिं० रहरू ] दे० 'रहरू' । ईश्नर, चित् और अचित् कहते है। रहवाल'-सज्ञा स्त्री॰ [ 'फा० रहवार ] घोडे की एक चाल । रहस्यवाद-सा पुं० [सं०] अव्यक्त के प्रति आत्मनिवेदन का वाद या सिद्धात । रवाल'-वि० [हिं० रहना+वाल (प्रत्य॰)] रहनेवाला । निवास करनेवाला। रहस्यवादी-वि॰ [ रहस्यवादिन] १ रहस्यवाद को माननेवाला । २ रहस्-सज्ञा पुं० [सं०] १ गुप्त भेद । छिपी बात । २ प्रानदमय रहस्यवाद से सबवित या युक्त । लोला। क्रोडा। रोल । ३ भानद । सुख । ४ योग, तत्र या रहस्या-सज्ञा स्त्री॰ [स०] १ महाभारत के अनुसार एक प्राचीन नदी बार किसी संप्रदाय को गुप्त बात। गूढ तत्व । मर्म । ५ का नाम । २ रास्ना । ३ पाठा । पाढी। एकातता । एकात स्थान । ६ सत्य (को॰) । शीघ्रता। रहाइश-सञ्चा सी० [हिं० रहना] १ दे० 'रहाई'। २ गुजाइश । द्रुतता (को०)। समाई। 1 ७