पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४०६

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HO 1 HO 1 रामटोडी ४१६५ रामधाम रामटोडी-सज्ञा स्त्री० [सं०] एक मकर रागिनी जिसमे गाधार २ कोई वडी और प्रबल रोना जिसका मुकाबला करना कठिन हो । कोमल और शेप सब स्वर शुद्ध लगते हैं । रोमदोना-सञ्ज्ञा पुं० [स० राम+हिं दाना ] १ मरसे या चौराई रामठ-सश पुं० [स०] १ वृहत्सहिता के अनुसार एक देश जो की जाति का एक पौवा जिसमे सफेद रंग के एक प्रकार के बहुत पश्चिम मे है। २ इस देश का निवानी। ३ हीग। ४ छोटे छोटे दाने लगते हैं। अखरोट का वृक्ष । ५ मैनफल । ६ चिचडा । विशेप-ये दाने कई प्रकार से खाए जाते है और इनकी गिनती रामठी-मज्ञा स्त्री०॥ ] हीग। 'फलाहार' मे होती है । पहाडो मे यह वैसाख जेठ मे वोया रामण-सज्ञा पुं० [सं० रावण ] दे० 'रावण' । उ०-रामण और कुपार मे तैयार हो जाता है, पर उत्तरी, पश्चिमी तथा नह मोनो दियो, लहि सोना री लक |-बी० रामो, पृ० ५४ । मध्य भारत मे यह जाडे के दिनो मे भी होता है। कही कही रामणीयका - सञ्ज्ञा पु० [ स० ] रमणीयत्व । मनोहरता। वागो मे भी शोभा के लिये इसके पौधे लगाए जाते है । रामणीयक-वि० रमणीय । मनोहर । २ एक प्रकार का धान । रामत-सज्ञा स्त्री० [हिं० रामति ] दे० 'रामति' । उदा०-फिर रामदास-सज्ञा पु० [म०] १ हनुमान । २. एक प्रकार का धान । रामत की भाशा लीन्ही । - चरण० वानी, पृ० २०१ । ३ दक्षिण भारत के एक प्रसिद्ध महात्मा जो छत्रपति महाराज रामतरुणी-सज्ञा स्त्री॰ [ ] १ सेवती। २ सीता जी। शिवाजी के गुरु थे और जिन्हे लोग स्वामी रामदास या समर्थ रामदास भी कहते है। रामतरोई-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० राम + तरोई या तुरई ] भिंडी नामक फली जिसकी तरकारी बनती है। विशेष-स्वामी रामदास का जन्म शक २० १५३० को राम- रामती-सज्ञा स्त्री० [म. ] राम का गुण । रामपन । रामत्व । नवमी के दिन गोदावरी के तट पर जवू नामक स्थान में एक उ०-पाजु राम रामता निहारौं। नेकु शकु मन मह नहिं ब्राह्मण के घर हुना था। पहले इनका नाम नारायण था। ये घारी ।-रघुराज (शब्द०)। बाल्यावस्था मे ही वहुत रामभक्त थे। कहते हैं कि जब ये ८ वर्ष के थे, तब एक बार रामचद्र जी ने इन्हे दर्शन देकर रामतापनी-संज्ञा स्त्री० [सं०] एक उपनिषद् का नाम जो प्राचीन उपनिपदो मे नही है, बल्कि एक साप्रदायिक पुस्तक है । कहा था कि तुम म्लेच्छो का नाश करके धर्म को दुर्दशा से वचारो और उसे पुन स्थापित करो। तभी से इनके मन मे रामतारक-सशा पु० [ स० ] राम जी का मत्र जो रामोपासक लोग वैराग्य उत्पन्न हुआ जिसे दूर करने के लिये माता पिता ने इनका विवाह करना चाहा। पर ये विवाहमहप से उठकर विशेष-कहते हैं, काशी मे जो लोग मरते हैं, उन्हें शिव जी भाग गए और नासिक के पास की एक गुफा मे जाकर तपस्या इसी मत्र का उपदेश करते हैं, जिसके प्रभाव से उनकी मुक्ति करने लगे। फिर बहुत दिनो तक इधर उधर तीर्थयात्रा करते हो जाती है। यह मत्र इस प्रकार है रा रामाय नम'। रहे । उस समय तक दक्षिण भारत में इनकी साधुता की बहुत रामति@t-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० रमन (= घूमना फिरना) ] भिक्षा के प्रसिद्धि हो चुकी थी जिसको सुनकर शिवाजी इनके दर्शन के लिये इधर उधर घूमना । भिक्षुको की फेरी । लिये प्राए और तब से इनके परम भक्त हो गए। महाराज रामतिल-सज्ञा पु० सं० राम+तिल ] एक शिवाजी प्राय सब कामो मे इनमे परागणं योर अाज्ञा ले लिया का तिल । रामतीर्थ-सज्ञा पुं० [स० ] १ रामगिरि नामक स्थान । रामटेक । करते थे। कहते हैं, इन्होने अपने जीवन मे अनक विलक्षण चमत्कार दिखाए थे। इनकी मृत्यु शक म० १६०३ के माघ २ बगाल के एक प्रसिद्ध संत । मास मे हुई थी। इनके उपदेशो और भजनो का दक्षिण भारत रामतुलसी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हिं० ] दे० 'रामा तुलसी' । के अचलो मे अब तक बहुत अधिक प्रचार है । रामतेजपात-सज्ञा पु० [हिं० राम + तेजपात ] तेजपात की जाति रामदूत-सज्ञा पुं॰ [स०] हनुमान जी का एक प्रकार का वृक्ष जो पूर्वी वगाल, वरमा, और अडमन टापू मे अधिकता से होता है। रामदूती-सहा मी० [म०] १ एक प्रकार की तुनी। विशेप- इसके पत्तो का व्यवहार तेजपत्ते के समान होता है और पर्या–पर्वपुप्पी । विशल्या । सूक्ष्मपणी । भवान्याहा । लकडी संदूक तथा तख्ते प्रादि बनाने के काम मे आती है। २. नागदती । नागदौन । ३ नागपुप्पी । रामत्व-सज्ञा पुं॰ [ स ] राम का भाव । रामता । रामपन । रामदेव-सा पुं० [०] १ रामचद्र । २ एक सप्रदाय जो राज- रामदल-सज्ञा ० [सं०] १ रामचंद्र जी की बदरोवाली सेना, पूताने मे प्रचलित है और जिसके अधिकाश अनुयारी चमार जिसके नीचे लिखे १८ मुख्य यूथप थे-(१) लक्ष्मण, (२) श्रादि अस्पृश्य जातियो के लोग हैं। सुग्रीव, (३) नील, (४) नल, (५) मुखेन, (६) जामवत, (७) हनुमान, (८) अगद, (6) केशरी, (१०) गवय, (११) गवाक्ष, रामधनुप-मज्ञा पुं० [H०] द्रयनुप । (१२) गज, (१३) विभीगण, (१४) द्विविद, (१५) तार, रामधाम-सरा पुं० [४०] मानेत लोनः जहाँ भगवान् निन्य गम स्प (१६) कुमुद, (१७) शरभ और (१८) दधिमुख । में विराजमान माने जाते है । जपते हैं। 1