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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४११

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रील ४१७० रावण लि-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० लालt] १ वह पतला लसदार थूक जो प्राय छोलदारी । २ किमी चीज का बना हुआ छोटा घर । उ0- बच्चो और कभी कभी बुड्ढो के मुंह से प्रापसे आप बहा करता जिहिं निदान दुपहर रहै भई माह की राति । तिहिं उसार की है। दांतो की पीडा प्रादि मे कोई कोई दवा लगाने पर भी यह रावटी खरी गावटी जाति ।-बिहारी (शब्द०)। ३ वारह मुह गे निकलकर गिरने लगती है । लार | दरी । ४ दे० 'लाजवर्द' । मुहा० राल गिरना, चूना या टपकना = किसी पदार्थ को देखकर रावण'-वि० [ म० ] जो दुसरो को रुलाता हो । रुनानेवाला । उमे पाने की बहुत इच्छा होना । मुह में पानी भर पाना । रावण-सज्ञा पुं० १ लका का प्रसिद्ध राजा जो राक्षमो का नायक जैसे,—जहाँ कोई अच्छी चीज दिखाई दी कि तुम्हारे मुंह से था और जिसे युद्ध मे भगवान् रामचद्र ने माग था। राल टपकी। विशेप-एक बार लका मे राक्षमो के साथ विष्णु का घोर युद्ध २ चौपायो का एक रोग जिसमे उन्हे खामी आती है और उनके मुह से पतला लसदार पानी गिरता है। हुया था जिसमे राक्षस लोग पराम्त होकर पाताल चले गए ये। उन्ही राक्षसो मे सुम लो नामक एक राक्षम था, जिसको रालना-क्रि० स० [हिं० रत्ना] १ दालना। फेंकना । उ०- कैकसी नाम की कन्या बहुत मुदरी थी। मुमाली ने मोचा कि (क) मांड पीवइ कण रालजे लाल विहूणी वाज है घट । - वी० रासो, पृ० ७६ । (ख) बरगा राल वरमाल मूरा वर, विपत इमी कन्या के गर्भ से पुत्र उत्पन्न करा के विशु से बदला लेना पखाल दिल खुले ताला ।-रघु० रू०, पृ० २० । २ ढालना । चाहिए, इसी लिये उमने अपनी कन्या को पुलस्त्य के लडके विश्रवा के पास मतान उत्पन्न कराने को भेना। विश्रवा के वहाना । उ०-रोय सुत किम नीर राल, दलै, भावी कोण, टाल, हुवो होवण हार ।-रघु० रू०, पृ० ११६ । वीर्य से कैकमी के गर्भ से पहला पुष यही रावण हुमा जिसके दश सिर ये । इसका रूप बहुत ही विकराल और स्वभाव बहुत रालना-क्रि० अ० [सं० लल (= चाहना ), प्रा० लल्ल ? ] पसद करना । चाहना । इच्छा करना । उ०—कत कहै मुनि ही क्रूर था। इसके उपरात कंकमी के गर्भ मे कुभकर्ण और सर्व सोहागिनि तेरा बोल न रालौं । अब के क्योही छूटन पाळ विभोपण नाम के दो और पुत्र तथा शूर्पणखा नाम की एक बहुरि न तोहि संभालौ ।-सुंदर० प्र०, भा०२, पृ० ८२७ । कन्या हुई । एक दिन अपने वैमात्रेय फुत्रर को देखकर रावण ने प्रतिज्ञा की कि मैं भी इसी के समान सपन्न और तेजवान् राली-सच्चा स्त्री॰ [ देश० ] एक प्रकार का बाजरा जिसके दाने बहुत बनूगा । तदनुसार वह अपने भाइयो को साथ लेकर घोर छोटे होते हैं। तपस्या करने लगा। दस हजार वर्ष तक तपस्या करने के विशेष 1- यह प्राय संयुक्त प्रात और बुंदेलखड मे होता है। यह उपरात भो मनोरथ सिद्ध होता न देसकर इसने अपने दसो मिर फागुन चैत मे बोया जाता है और वैसाख मे तैयार होता है । काटकर अग्नि में डाल दिया। तब ब्रह्मा ने प्रसन्न होकर राव-सञ्ज्ञा पुं० [० राजा, प्रा० राय १ राजा। २ सरदार। इसे वर दिया कि दैत्य, दानव, यक्ष आदि मे से कोई दरबारी । ३ भाट । बदीजन। ४ कच्छ और राजपूताने के तुम्हे मार न सकेगा। तब मुमाली ने रावण से कहा कुछ राजानो की एक पदवी। ५ श्रीमंत । अमीर। घनान्य । कि अब तुम लका पर अधिकार करो। उस समय लका राव-सञ्ज्ञा पु० [सं०] १ ध्वनि । शब्द । गुजार । २ चिल्लाहट । पर कुबेर का अधिकार था। रावण का बहुत जोर देखकर रभण (को०)। विश्रवा की प्राज्ञा से कुबेर तो लका छोडकर कैलाश राव-सज्ञा पुं॰ [देश॰] छोटे आकार का एक पेड जिसकी लकडी कुछ चले गए और रावण ने लका पर अधिकार कर ललाई लिए, चिकनी और मजबूत होती है। लिया तथा मय दानव की कन्या मदोदरी से विवाह कर लिया। विशेष -यह हिमालय की तराई मे हजारे और शिमले से भूटान इमी मदोदरी के गर्भ से मेघनाद का जन्म हुा । ब्रह्मा के वर तथा शिकम तक होता है। इसकी लकडी की प्राय छडियां के प्रभाव से रावण ने तीनो लोक जीत लिए और इद्र, वनाई जाती हैं। कुवेर, यम आदि को परास्त कर दिया । श्रव इसका रावचाव-सचा पुं० [हिं० राव (= राजा)+चाव ] १ नृत्य गीत अत्याचार बहुत वढ गया। यह सबको बहुत सताने लगा और लोगो की कन्यायो तथा पत्नियो का हरण करने आदि का उत्सव । राग रग । २ प्यार । लाट । दुलार । लगा। एक बार सहस्रार्जुन ने इसे युद्ध मे परास्त करके रावट-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० रावल ] महल । राजभवन । कैद कर लिया था, पर पुलस्त्य के कहने पर छोड दिया । वाली रावट-सज्ञा पुं० [ स० राजवर्तक ] दे॰ 'लाजवर्द । से भी यह एक वार बुरी तरह परास्त हुआ था। जिस समय रावन लका मैं हही प्रोई हम हाहन प्राइ । कनं पहार होत है भगवान् रामचद्र अपने साथ लक्ष्मण और सीता को लेकर रावट को राखं गहि पाइ-पदमावत, पृ० १६६ । दहकारण्य मे वनवास का समय बिता रहे थे, उस समय यह रावटी-सशा स्त्री० [हिं० रावट ] १ कपडे का बना हुआ एक प्रकार सीता को एकात में पाकर छल से उठा लाया था। तब रामचद्र का छोटा घर या डेरा जिसके बीच में एक वडेर होती है और ने समुद्र पर सेतु बांधकर लका पर चढ़ाई की और इसके साथ जिसके दोनो ओर दो ढालुएं परदे होते हैं । यह बडे खेमो के घोर युद्ध करके अत मे इसे मार डाला और इसके अत्याचार साथ प्राय नौकरो आदि के ठहरने के लिये रखी जाती है। से पृथ्वी की रक्षा की।