पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४१३

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80 देवता। राशिचक ४१७२ राष्ट्रिय हैं और उनमें से प्रत्येक में जन्म लेने का अलग अलग फल राष्ट्रगीप'-सशा पु० [ स० 1 १ राजा। २ राजा का प्रतिनिधि कहा गया है। विद्वानो का अनुमान है कि शिविभाग भारतीय कोई बडा शासक। आर्यों के प्राचीन ज्योतिप मे नही था, केवल नक्षत्रविभाग था। राष्ट्रगोप-वि० राज्य की रक्षा करनेवाला । राशिविभाग बाबुलवालो से लिया गया है। वैदिक साहित्य शागन करने की मे राशियो के नाम नहीं है, केवल नक्षत्रो के नाम है। विशेष राष्ट्रतत्र-यज्ञा पुं॰ [ म० राष्ट्रतन्त्र ] राज्य का प्रणाली। दे० 'लक्ष्य'। मुहा०- राशि थाना = अनुकूल होना । मुग्राफिक होना । राशि राष्ट्रपति -सज्ञा पुं॰ [सं०] १ किमी पट का स्वामी । २ अाधुनिक प्रजातम शासनपरणाली में वह सर्वप्रधान शानक जो बहुमत मिलना = (१) दो व्यक्तियों का एक ही राशि मे जन्म होना । से, राजा के समान शामन का मय जम करने के लिये, चुना (२) मेल मिलना । पटरी बैठना । जाता है । ३ किमी मडल का गानक । हाकिम । राशिचक्र--सझा पुं० [सं० ] मेप, वृष, मिथुन आदि राशियो का चक्र या महल । ग्रहो के चलने का मार्ग या वृत्त । भचक्र । विशेष-गुप्तो के समय में एक प्रदेश । जैसे,—कुरु पाचाल के विशेष दे० 'राशि'। शासक राष्ट्रपति कहलाते थे। ] १ राजा । २ वाम के पाठ भाइयो में राशिनाम-सच्चा पु० [ सं० राशिनामन् ] फलित ज्योतिष के अनुसार राष्ट्रपाल - सशा पुं० [ ३० किसी व्यक्ति का वह नाम जो उसके जन्म समय की राशि के एक भाई का नाम । अनुसार होता है। राष्ट्रभापा-सशा स्त्री॰ [ राष्ट+भापा ] १ वह भापा जिममे राष्ट्र के विशेष--यह नाम व्यक्ति के उस नाम से भिन्न होता है, जिसमे वह काम किए जायं । राष्ट्र के कामयाम या सरकारी कामकाज के लोक मे प्रसिद्ध होता है। लोग प्राय अपना राशिनाम नही लिये स्वीकृत भाषा । २ वह भापा जिसे राष्ट्र के समग्र नागरिक लेते। इस नाम का व्यवहार धर्मकार्यो और ज्योतिप सबधी अन्य भाषा भापी होते हुए भी जानते समझन हो और उसका गणनामो मे ही होता है। व्यवहार करते हो । राम द्वारा मान्यताप्राप्त मापा । राशिप-सज्ञा पुं० [सं० ] किमी राशि का स्वामी या अधिपति राष्ट्रभृत्-सज्ञा पु० [ ] १ राजा । २ शासक । ३ राजा भरत के एक पुत्र का नाम । ४ प्रजा । रियाया । राशिभोग-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] किसी राशि का भाग या अश । भग्नाश । राष्ट्रभृत्य-संज्ञा पु० [ ] १ वह जो राज्य की रक्षा या शासन (ज्योतिष) करता हो। २ प्रजा। गशिभोग-सज्ञा पुं० [सं०] १ किमी ग्रह का किसी राशि में राष्ट्रभेद -सज्ञा ॰ [ स०] १ प्राचीन राजनीति के अनुसार वह उपाय कुछ समय तक रहना। २ उतना समय जितना किसी ग्रह जिसके द्वारा किसी शत्रु राजा के राज्य मे उपद्रव या विद्रोह को किसी राशि में रहने में लगता है। विशेष दे० 'राणि'। खडा किया जाना है। २. किती राष्ट्र के शासनाधिकारियो मे राशिवर्धन-वि० [ ] १ सख्यापूरक। २ ( लाक्ष०) मात्र फुटमत या एका न होना । ३ राज्य का विभाजन । सख्या बढानेवाला । व्यर्थ का । बेकार (को०] । राष्ट्रवर्धन-मज्ञा पुं० [ सं० ] राजा दशरथ और रामचद्र के एक मत्री राशी'-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० राशि ] दे० 'राशि' । राशी-वि० [अ०] रिश्वत खानेवाला । घूसखोर । राष्ट्रवादी-तज्ञा पुं॰ [ स० राष्ट्रवादिन् ] वह व्यक्ति, सम्था, दल आदि राष्ट-सञ्चा [ 7 ] फारसी मगीत मे १२ मुकामा मे से एक । जो राष्ट्र की एकता, नेपन्नता प्रादि हितो को सर्वोपरि माने राष्ट्र-सज्ञा पुं० [सं०] १ राज्य । २ देश । मुल्क । ३ प्रजा । और उसी को प्रमुखता दे। सपूर्ण राष्ट्र के हित को सर्वोपरि ४ पुराणानुसार पुरुरवा के वशज काशी के पुत्र का नाम । माननेवाला । (पं. नेशनलिस्ट)। ५ वह वाधा जो संपूर्ण देश में उपस्थित हो। इति । ६ राष्ट्रवासी-सञ्चा पु० [सं० राष्ट्रवासिन् ] [ सी० राष्ट्रवासिनी ] १ वह लोकसमुदाय जो एक ही देश मे बसता हो या जो एक राष्ट्र मे रहनेवाला । २ परदेसी । विदेशी। ही राज्य या शासन मे रहता हुआ एकताबद्ध हो । एक या राष्ट्रविप्लव-सज्ञा पुं० [ स० ] राज्य मे होनेवाला विप्लव । विद्रोह । समभाषा भापी जनममूह । नेशन । जैसे, भारतीय राष्ट्र । राष्ट्रक'-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १. राज्य । २ देश । राष्ट्रातपालक-सज्ञा पुं० [सं० राष्ट्रान्तपालक ] राज्य का सीमा की रखवाली करनेवाला। राष्ट्रक-वि० राष्ट्र सवधी । राष्ट्र का । राष्ट्रकर्षण--सबा पुं० [सं० ] राजा या शासक का प्रजा पर राष्ट्रिक' -सज्ञा पुं० [सं०] १. राजा । २ प्रजा । अत्याचार करना। राष्ट्रिक-वि० राष्ट्र सबंधी । राष्ट्र का । राष्ट्रकूट --सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध क्षत्रिय राष्ट्रिका-सचा स्त्री॰ [स०] कटकारि । भटकटैया । राजवश जो आजकल राठौर नाम से प्रसिद्ध है । विशेष दे० राष्ट्रिय-सज्ञा पुं॰ [ स० ] १ राष्ट्र का स्वामी, राजा । २ प्राचीन 'राठौर' । सस्कृत नाटको को भापा मे राजा का साला । का नाम। बलवा। -