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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४२

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मरसिया ३८०१ मरातिव । . वातकफवर्धक और विष्टभकारक लिखा है, और लाल मरसे मरहवा-सज्ञा स्त्री० [अ० महबह, ] धन्य । बहुत खून । साधु को हल्का, चरपरा और सारक बताया गया है। णावास [को०] । मरसिया-मज्ञा पु० [ भ०] १ शोकसूचक कविता जो किसी की मरहम-सज्ञा पु० [अ० ] प्रोपधियो का वह गाढा और चिकना मृत्यु के सबध मे बनाई जाती है। यह उर्दू भापा मे भनेक लेप जो घाव पर उसे भरने के लिये अथवा पीडित स्थानो पर छदो मे लिखी जाती है। इसमे किसी के मरने की घटना और लगाया जाता है। उ०—मसजिद लखि विमुनाथ ढिग परे उसके गुणो का ऐस प्रभावोत्पादक शब्दो मे वर्णन किया जाता हिये जो घाव । ता कहं मरहम सरिस यह तुव दरसन नर- है जिससे सुननेवालो मे शोक उत्पन्न हो । ऐसी कविता प्राय राव । -भारतेंदु ग्र०, भा॰ २, पृ० ६६६ । मुहर्रम के दिनो मे पढी जाती है। उ०—इसे कजली क्यों, क्रि० प्र०—लगाना । मरसिया कहना चाहिए। प्रेमघन०, भा॰ २, पृ० ३६२ । यौ०-मरहम पट्टी = (१) प्राघात की चिकित्मा। घाव पर क्रि० प्र०—पढ़ना । —लिखना ।-सुनाना । मरहम और पट्टी लगाना । (२) किसी जीर्ण पदार्थ की थोडी २ सियापा । मरणशोक । रोना पीटना। बहुत मरम्मत । क्रि० प्र०-पढ़ना । मरहमत-मज्ञा सी० [अ० ] १ अनुग्रह । दया। कृपा । २ नजर। यौ०-मरसियाख्वा = मरसिया पढनेवाला। मरसियाख्वानो= उपहार । भेंट [को०] । मरसिया पढने का कार्य । मरसिया पढना । मरहला-सज्ञा पु० [अ० मरहलह.] १ वह स्थान जहाँ यात्री मरहट-सशा पु० [हिं० मरघट ] मसान । मरघट । उ०- रात के समय ठहर जाते है । टिकान । मजिल । पटाव । कविरा मदिर मापने नित उठि करता प्रालि । मरहट देखी २ दिन भर की या १२ मील की यात्रा। लबो यात्रा। ३ डरपता चोडे दीया जालि । -कबीर (शब्द॰) । किले के चारो मोर के गुनद या ऊँचा स्थान जहाँ से निगरानी मरहट+-मञ्ज्ञा स्त्री॰ [ दश० ] मोठ । उ०—मूंग माख मरहट और संघर्ष किया माय (को०)। ४ झमेला । कठिन या की पहिती चनक कनक सम दारी जी।-रघुनाथ (शब्द०)। मुश्किल काम । ५ झोपडी । ६. दर्जा । मरातिव । मरहटा-सज्ञा पु० [ स० महाराष्ट्र ] १ महाराष्ट्र देश का रहनेवाला । मुहा०-मरहला तय करना = झमेला' निबटाना। कठिन काम मरहठा । २ उन्तीस मात्रामो के एक मात्रिक छद का नाम पूरा करना । मरहला पड़ना या मचना = झमेला पडना । जिसमे १०, ८ और १२ पर विश्राम होता है तथा प्रत कठिनता उपस्थित होना। मरहला डालना = झगडा एक गुरु और लघु होता है । उ०-अति उच्च अगारनि बनी खडा करना। पगारनि जनु चितामणि नारि । बहुसत मख धूपनि धूपित यौ॰—मरहलेदार = यात्रामार्ग की देखरेख करनेवाला । अगनि हरि की सी अनुहारि । चित्री बहु चित्रान परम विचि- मरहून-वि० [अ०] जो रेहन किया हो । गिरो रखा हुा । (कच०)। त्रिनि केशवदास निहारि । जनु विश्वरूप को विमल पारसी उ०—कहे तू झूठ क्यू बोला है सपना। पिदर • तूं कर्या रची विरचि विचारि । -केशव (शब्द०)। मरहून अपना ।-दक्खिनी०, पृ० ३३६ । मरहटी-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० महाराष्ट्री, प्रा० मरहट्टी, मरहठी ] मराराष्ट्र मरहूना-वि० [ फा०] जो रेहन किया गया हो। जो गिरो रखा की भाषा। मराठो। मरहट्टा । उ०—हिंदुस्तान में हिंदी, गया हो । जस, जायदाद मरहूना । (कच०)। उर्दू, ब्रज, मारवाडी, मरहटा, गुजराती आदि अनेक भापा मरहूम-वि० [अ० ] [ वि० सी० मरहूमा ] १ स्वर्गवासी । मृत । वोली जाती हैं।-श्रीनिवास ग्र०, पृ०६ । विशेष—इस शब्द का प्रयोग किसी आदरणीय व्यक्ति की मरहठ-सञ्चा पु० [स० महाराष्ट्र, प्रा० मरहट्ट, मरहठ] मरहठा । चर्चा करते हुए उसके नाम के मत मे किया नाता है। महाराष्ट्रीय । उ०-नाहिन उघर गूढ न एसे । मरहठ देस वधू २ क्षमा किया हुया. (फो०)। कुच जैस । नद० ग्र०, पृ० ११८ । मराठा-सञ्ज्ञा पुं० [ स० महाराष्ट्र, प्रा० मरहट्ट] महाराष्ट्र देश का मरहठ-सचा पु० [हिं० मरघट ] [ वि० मरहठी ] मरघट । निवासी। महाराष्ट्रीय । श्मशान । उ०-फाका फरी ज्ञान का गदका बांधो मरहठ मराठी'-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० महाराष्ट्र ] महाराष्ट्र की भापा । महाराष्ट्री । बाना । -कवीर श०, भा० १, पृ० ३८ । मराठी भापा। मरहठा-सञ्ज्ञा पु० [सं० महाराष्ट्र, प्रा० मरहट्ठ ] [ स्त्री० मरहठिन ] मराठी-वि० महाराष्ट्र से सबधित । महाराष्ट्रीय । महाराष्ट्र देश का रहनवाला। महाराष्ट्र । विशेप दे० 'महाराष्ट्र' । मरातिव-सज्ञा पुं० [अ०] १ दरजा । पद । २ उत्तरोत्तर आनेवाली अवस्थाए । मरहठी-वि० [हि० मरहठा ] महाराष्ट्र या मरहठो से सवध रखने- वाला । मरहठो का । जैसे, मरहठी कपडा, मरहठी चाल । मुहा०—मरातिय तै करना = किसी विषय के सारे झगडो का निबटेरा करना। मरहठी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ वह भाषा जो महाराष्ट्र देश मे बोली जाती है । मरहो की बोली । मराठी। ३. पृष्ठ । तह । ४. मकान का सड। तल्ला। उ०-मति उतग