मराना ३८०२ मरी हुआ हो मुदर शशिशाला मात मरातिववारे ।-रघुनाथ (शब्द॰) । मरिच मगलिय प्रानहु । श्ठी हरर बहेर बखानहु ।-५० ५ ध्वजा। झडा । उ०—जामवत हनुमत नल नील मरातिव रासो०, पृ० १७ ॥ साथ। छरी छबीली गोभिज दिक्पालन के हाथ । केशव मरिचा-सञ्ज्ञा पुं० [ स० मरिच ] बडी लाल मिरिच । विशेष-दे० (शब्द०)। 'मिरिच'। यो०-माही मरातिव = एक प्रकार की ध्वजा जो मुसलमान मरिजीवा-सज्ञा पुं० [हिं० ] दे० 'मरजीवा' । उ०- मुदर राजायो की सवारी के आगे हाथियो पर चलती है। ये ध्वजाएं वैठि सके नहि जीवत दै डबकी मरिजीवहि जाही। मुदर० सन्या या प्रकार मे मात होती है, जिनपर क्रमश मूर्य, पजा, ग्र०, भा०१, पृ० ७॥ तुला, नाग, मछली, गोल तथा मूर्यमुखी के चिह्न होते हैं। मरियम-मज्ञा स्त्री० [अ० ] १ वह बालिका जिमका विवाह न मराना-क्रि० स० [हिं० मारना फा प्ररूप] १ मारने के लिये कुमारी। कन्या। २ पतिव्रता और साध्वी स्त्री। प्रेरणा करना। मरवाना। उ०—(क) पिता तुम्हार राज ३ ईसा मसीह की माता का नाम । कर भोगी। पूजे विप्र मराव जोगी।—जायमी (शब्द॰) । विशेप-कहते हैं, इन्हे कौमार अवस्था मे ही विना किसी पुरुप के (स) पच कह सिव मती विवाही। पुनि अवडेरि मराएन्हि सयोग के, ईश्वरी माया से, गर्भ रह गया था जिससे महात्मा नाही । —तुलसी (शब्द०)। २ किसी को अपने ऊपर प्राघात मसीह का जन्म हुआ था। करन के लिये प्रेरणा करना या करने देना। ३ गुदाभजन मरियम का पजा-सज्ञा पु० [अ० मरियम + हिं० १जा ] एक प्रकार कराना । ( वाजारू)। की मुगधित वनस्पति जिसका आकार हाथ के पजे का सा मराय-सज्ञा पु० [ ] १ एकाह यज्ञ । २ एक प्रकार का साम । होता है । मरायल-वि० [हिं० मारना+ पायल (प्रत्य॰)] १ जो किसी विशेप-ऐमा प्रसिद्ध है, कि ईसा मसीह की माता मरियम ने प्रसव के से कई बार मार खा चुका हो। पीटा हुआ। उ०—सहु समय इस वनस्पति पर हाथ रखा था, जिससे इसका आकार सदा तुम्ह मोर मगयल । कहि अम कोपि गगन पथ धायल । पजे का सा हो गया। इसी कारण इसके सबध मे यह भी —तुलसी (शब्द०)। २ नि सत्व । सत्वहीन । जैसे, मरायल प्रसिद्ध हो गया है कि प्रसव पीडा के समय गर्भवती स्त्री के अन्न, मरायल पोचा। ३ मरियल । निर्वल । निर्जीव । ४. सामने इमे रख देने से पीडा शात हो जाती है और सहज मे घाटा। टोटा। तथा शीघ्र प्रसव हो जाता है । क्रि० प्र०-पाना ।-पडना । मरियल–वि० [हिं० मरना+इयत (प्रत्य॰)] बहुत दुर्वल । मरार' -नज्ञा पुं० [सं० ] खलिहान । दुवला और कमजोर । यौ०-मरियल टट्ट = बहुत सुस्त या कमजोर आदमी। मरारा १-सञ्ज्ञा पुं॰ [ देश० ] कोयरी । काछी। मरिया-सचा सी० [हि० मदना] १ वह रस्सी जो खाट मे मराल'--सज्ञा पुं० [स०] [ली. मराली ] १ एक प्रकार की पायताने की ओर उचन लगाकर ऊपर से एक पट्टी से दूसरी वत्तस जो हलकी ललाई लिए मफेद रंग की होती है। २ पट्टी तक वाने की तरह वांधी जाती है । २ नाव में वह तख्ता घोडा। ३ हाथी। ४ कारडव नामक पक्षी। ५ हस । जो उसके पेंदे मे गूढे के नीचे बेडे वल में लगा रहता है । उ.-मेवक मन मानस मराल से। पावन गग तरग माल से। —तुलसी (शब्द०)। ६ अनार की वाटिका । ७ काजन्न । ८ मरिया-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हिं० मारना ] लोहे की एक छोटी हथौडी जिससे बादल । ६ दुष्ट | खल । धातुप्रो पर खुदाई का काम करनेवाले कलम को ठोकते हैं । मराल-वि० मृदु । कोमल । मुलायम [को०] । मरी'-सज्ञा स्त्री॰ [ म० मारी] वह रोग जो म्पर्शदोप से फैलता मरालक-तज्ञा पुं॰ [ स० ] हस पक्षी (को०] । है और जिसमे एक साथ बहुत से लोग मरते हैं। मारी। मरालिका-सा पुं० [ म०] शिकाकाई का पौधा या उसकी उ०—इस ही बीच ईति विस्तरी । परी आगरे पहिली मरी।- फनी (फो० । अर्व०, पृ० ५२। मराली@-वि० [सं० मराल + हि० ई (प्रत्य॰)] हस का। इस मरी-सज्ञा स्त्री० [हिं० मारना ] एक प्रकार का भूत । मरही । समयी। विवेक और ज्ञान का। उ०—मैं पामर गुणहीन विशेप-लोगों का विश्वाम है कि यह किमी ऐमी दुष्ट स्वभाव- कुचाली । तुम्ह दीन्हेउ मोहि पथ मरालो ।—कबीर सा० वाली स्त्री की प्रेतात्मा होती है जो किसी रोग, प्राघात अथवा पृ० १३८ । किसी अन्य कारणवश पूर्णायु को न पहुंचकर अल्पायु मे मरिंद-मशा पुं० [हिं०] १ ० 'मलिंद', 'मिलिंद' । २ दे० मरी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ श० ] देशी सागूदाने का पेड । मरिसम-सरा पुं० [म० मन्न+स्तम्भ, हि० मलखभ] दे० 'मलसभ' । विशेष—यह भारतवर्ष तथा लका सिंगापुर श्रादि द्वीपों मे मरिच-17 पु० [म० ] मिरिच। काली मिरिच। उ०—चीपर उत्पन्न होता है । यह पेड देखने मे बहुत सुदर मालूम होता है । मढिया। मरी हो। 'मरद।
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