नीगनूप रुनकमुनक ४१६२ रुममुमाना रुनकमुनक-मशा ग्री० [ अनु० ] दे० 'एनुकझुनुक' । उ०—त्रिकुटी विपरीत-तिमी मनापी गति कोलाहल विपिनी मध्य इक पाजा वाज रुनकभुनक झनकार करे।-यत्रीर० गत गान मजीर |---जागे (जन्द०)। श०, भा० १, पृ०५५ । रूपया--मा D० [या ] " भाग में प्रचनिन चांदी या मंत्र- कनकना-कि० अ० [अनु०] वजना। शब्दित होना। 30 में नो गन प्राो (नौर पग) का होता या। तुलाकोट मजीर पुनि नूपुर रुनका पाय ।-अनेकार्य०, पृ० ५० । या कान मे दामासाना|| म्यता में अब रुनकाना-क्रि० स० [अनु० ] बजाना। ध्वनि परना। ररिणा जाम नादी TITTET- या पीर दमका मृन्य १०० करना । उ०-सेज परी नूपुर रुनकावं । कर के गल गान TITIोग, गेगा। कुन कार्य ।-नद० ग०, पृ० १५६ । मुहा०-पिया उठाना =पिया गर्न पग्ना। रपया ठीकग रुनमुन-सा ली[ अनु० ] नूपुर, मजीर, किषिणी प्रादि का शब्द । T7T1 =7717 TI 7767 TET! कलरव । झनकार | उ० -(क) पटि किकिरिण ग्नझुन गुन तन २ धनी मानि की हम करत फिलफारी। गूर (शब्द॰) । (प) रचिर नूपुर मुना-पाना3 D- पन परनना। रपया ग्या किंकिनी मनु हरति गनमुन करनि ।-तुलमी (शब्द०)। (ग) भाना = (१) जलान ना कहनम फ जाना । प्रोग्न के गान उन्हे कान न मुहात मुन तेरे नपुग्न (क) नमन पधा-दना = पर गनपना ग्पया रुनझुन है । -देव (शन्द०)। पाना में पंकना =141ग्ना भिनन ग्यार कन्ना। रुनाई-सज्ञा स्त्री॰ [ स० परण+हिं० थाई (प्रत्य॰)] अररिणमा । यो०-पगा पान पनि। पियानाता=मानदार। लालिमा। ललाई। समीर जी। रुनित- वि० [स० रुणित ] शब्द करता हुअा। बजना हुप्रा । का र.पवत -१० [र पचत् का यह य०] रसवान् । स्पमत । कार करता हुआ । उ०—(क) चरण रु नत नपुर कटि विकिणी उ०-(7) ति सा गाना काहा । जानन जगत म मुम्ब कल कूज। -सूर (शब्द॰) । (स) रुनित भृग घटावलो झरत चाहानागमी (०)। (ग) शनि म्प नइ पन्या जेहि दान मद नीर । मद मद प्रावतु चल्यो फुजर कुज समीर ।- गुम्प नहि लाई। पति गुदेश रपयता जहां जनम प्रम होइ ।- दिहारी (शब्द०)। जायणी (गया)। रुनित मुनित-वि० [अनु० ] एन झन करता हुया । बजता हश्रा । रुपदरा-वि० [हिं० रपहला] ३० गपहला'। उ०-मामने शुक्र उ.-नूपुर रुनित झुनित फकन कर हार पुरी मिलि वाज:- वी वि मालमन, परसी परी जल मे पल, पहरे कचो म भारतेंदु न , भा२, पृ० ४४६ । हो प्रोमल-गुजा, ०६५। रुनी-सरा पुं० [ देश०] घोडे की एक जाति । उ०-कारूनी मदली रुपदला-० [हि० रपा (= चांदी)+ हला (प्रत्य॰)] [वि० पी० स्याह कर्नेता रूनी । नुकुरा और दुवाज वोरता है छवि दूनी।- रुपाली चांदी के रंग का। चांदी का मा। जने,-पहला सूदन (शब्द०)। गोटा, सरला पाम । रुनुक झुनुक-सा स्त्री॰ [ अनु० ] नपूर प्रादि वा रुनझुन मन्द । रुपहला रग-TI [हिं० रपहला+रग] भडभांट के वांगे से झनझनाहट । झनकार । उ०-'नुक अनुसनपुर वाजत पग बचो मत। (सार)। यह अति है मनहरनी।—सूर (शब्द॰) । रुपा।-० [हिं० रपय १० रपया' । २ २० 'पा'। रुनुमुनु-सशा पु० [अनु० ] नूपुर या निकिणी प्रादि का शब्द । मन- रूपिका-श पी० [सं०] का मार। कार । उ०- रुनुमुनु रुनुमुनु नूपुर मुनके कनकन के प्रभु पायन रुपैया-सज्ञा पुं० [freगया ] २० या' । मे ।—देवस्वामी (शब्द०)। रुपोला-वि० [हिं० पहा ] २० 'परला' । रुनुल- सहा पु० [ देश० ] शिकम और हिमालय मे होनेनामा एक प्रकार का बेत जो झाड के रूप मे होता है। रुप्पा-सया पुं० [हिं० रुपगा। दे० 'या' | 30-माया माय न चाल जर रखा धन मान-प्राररा०, पृ० २५५ । सन्नी - सज्ञा स्त्री॰ [ दश० ] अमन्द । (नेपाल तगई) विशेष २० अमरूद। सवाई-गका री० [ T० | १ उ या फारसी को एा प्रकार की रुपइया@f-सज्ञा पु० [हिं० रुपया ] दे० 'रुपया' । उ०-कोइ आवे कविता जिसमे चार मिसरे होते है। २ एक प्रकार का रगोन तो दौलत मांगे भेट स्पइया लोज जी।-कवीर श०, भा० १, पृ० १०३ । रुबाई एमन मा पु० [हिं० ग्बाइ + एमन ] एक शानफ राग रुपना-क्रि० प्र० [हिं० रोपना का अकर्मग] १ रोपा जाना। जमीन जिसके माथ गाली या ठेका बजाया जाता है। मे गाडा या लगाया जाना । जमना। जैसे,-धान रुपना।२ स्मच - सपा पु० [ मे० गेमाच ] दे० 'रोमांच'। टटना । अडना । उ०-(क) जो रन मे रुपि रुद्र रिझायो । दागी रुममाना-नि: य० [ रा. ] बल खाना। नचाना । झुक्ना । को सिर काट्रि चढ़ायो।-लाल (शब्द०)। (ख) परयो गोर भूमगा। उ०-जहर, जो गेसुओ को पर्त में सौ पेंच खाता हो। यापलता गाना।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४३३
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