रूपवती ४२०० रूप्य 1 गुरु वेटी । तेरी जग मृत्यु कहावति चेटी। केशव (शब्द०) । स्थिर न किया जा सके । कल्पना मे परे । उ०—मितिय ध्यान २ चपकमाला वृत्ति का एक नाम । रुक्मवती। स्पस्थ पुनि चतुर्थ रूपानीत ।-युदर० ग्र०, भा० १, पृ० ५३ । रूपवती-वि० सी० मुदरी । खूबसूरत । (स्त्री)। रूपात्मक-वि० [ म० रूप+श्रात्मक ] श्राकारवाला | रूपमय । रूपवान्-वि० [सं० रूपवत् ] [वि॰ स्त्री० रूपवती] | सुदर। रूपवाला । शकल सूरत का । उ०—हमे अपने मन का और अपनी सत्ता का बोध रूपात्मक खूबसूरत । होता है '-रस०, पृ० ३० । रूपवान-वि॰ [स० रूपवत् ] ० 'रूपवान्' । रूपाधिवोध-सज्ञा पु० [सं० ] दृश्य वस्तु का वह ज्ञान जो इद्रियो रूपशाली-वि० [स० रूपशालिन् ] [ वि० स्त्री० रूपशालिनी ] रूप- द्वारा होता है। वान् । सुदर । खूबसूरत । रूपाध्यक्ष-सज्ञा पुं० [सं० ] दे० 'रूप्याध्यक्ष' । रूपश्री-मञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं० ] सपूर्ण जाति की एक सकर रागिनी जिसमे रूपायन-मशा पुं० [ स० रूप+अयन ] बनाना। प्राकृति देना। ऋपभ कोमल और शेष सब स्वर शुद्ध लगते हैं। रूप देना । उ॰—साहित्य मे इसी रूपायन का महत्व है।- रूपसपद्, रूपसपत्ति-सज्ञा स्त्री॰ [ स० रूपसम्पद्, रूपसम्पत्ति इति०, पृ० २० । सौंदर्य । उत्तम रूप । सुदरता । रूपायित-वि० [ म० रूप ] रूपयुक्त । रूप और प्राकार से युक्त । रूपसी'—सझा स्त्री॰ [सं० रूपस्विनी ] रूपवती स्त्री। सुदरी स्त्री। श्रावृतिवाला। उ० - मानव मात्र के अचेतन मानसिक जीवन उ.-उपा उन्हें एक रूपसी की भाँति दिखाई पडती है जो को पापित करनेवाला प्राणो स्वीकार किया है। -हिंदी०, अवर पनघट पर तारो के घट को हुबो रही है -हिं० का० आ०, पृ०५। प्र०, पृ० १५६ । रूपावचर-मज्ञा पुं॰ [ मं० ] १ बौद्ध मत के अनुसार एक प्रकार के रूपसी-वि० स्त्री० सौंदर्ययुक्त । रूप से भरी हुई । रूपवाली। उ०- देवता । २ चित्त का एक भेद जिससे रूपलोक का ज्ञान प्राप्त बोलति क्यो न सुधा सी धारा । डोलति क्यो न रूपसी डारा। होता है । चिच की इस वृत्ति के कुशल, विपाक् क्रियादि भेद से -नद० ग्र०, पृ० १४८ । अनेक प्रकार माने जाते है। ३ योग मे ध्यान की एक भूमि का रूपसेन-सज्ञा दे० [सं० ] एक विद्याधर का नाम । नाम, जिसके प्रथमा आदि चार भेद हैं । रूपस्वी-वि॰ [ स० रूपस्विन् ] रूपवान् । सुंदर । रूपाश्रय-सज्ञा पुं० [सं० ] सुदर पुरुष । खूबसूरत प्रादमी । रूपहरा- वि० ] हिं० रूपहला ] दे० 'रुपहला'। रूपास्त्र-सबा पुं० [सं०] कामदेव । रूपाकक-सञ्ज्ञा पुं॰ [ सं० रूपाङ्कक ] वह व्यक्ति जो किसी निर्माणा- रूपिक-सञ्ज्ञा पुं० [ सं० ] सिक्का । रुपया [को०] । घीन वस्तु की रूपरेखा, बनावट भादि का रूप, आकार रूपिका–सज्ञा स्त्री० [सं० ] सफेद फूल का आक का पेड । श्वेत निश्चित करता हो। डिजाइनर । मदार । श्वेतार्क। रूपातर-सज्ञा पुं० [सं० रूप+अन्तर ] १ परिवर्तन । नए मे रूपित-सञ्ज्ञा पुं० [ स०] एक प्रकार का उपन्यास, जिसमे ज्ञान, स्थापन । उ०—विश्व सभ्यता का होना था नख शिख नव वैराग्यादि पात्र बनाए जाते हैं। रूपातर । -ग्राम्या, पृ० ५२ । २ अनुवाद। एक भाषा से रूपी-वि० [सं० रूपिन् ] [ वि० स्त्री० रुपिणी ] १ रूप। विशिष्ट दूसरी भाषा में किया गया परिवर्तित रूप । रूपवाला । रूपधारी। उ० - पढ़ पढ फिर जन्म लेते हैं, सो यौ०-रूपातरकर्ता, रूपातरकार = अनुवादक । भी विद्या रूपी सागर की थाह नहीं पाते ।- लल्लू (शब्द॰) । २ तुल्य । सदृश । जैसे-कमल रूपी च ण। उ०पारस रूपातरण-सज्ञा पुं॰ [ रूपातरण ] दे० रूपातर । रूपी जीव हैं लोह रूप ससार । पारस ते पारस भया परख रूपातरित-वि० [ स० रूपान्तरित ] १ परिवर्तित । अन्य रूप युक्त । भया टकसार । -कबीर (शब्द०)। ३ सु दर । खूबसूरत । २ अनूदित । अनुवाद किया हुआ । रूपेद्रिय [सं० रूपेन्द्रिय ] चक्षु । अाख । रूपा-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं० रूप्य] १ चांदी । उ०—(क) हरिमन मथिवे को मानो मनमथ्य लिखे रूपे के रुचिर अक पट्टिका कनक की।- रूपेश्वर-सशा पुं० [सं०] [ स्त्री० रूपेश्वरी ] एक शिवलिंग का नाम । केशव (शब्द॰) । (ख ) यह सुन नद जी ने कचन के शृग, रूपेश्वरी-सज्ञा स्त्री॰ [ स० ] एक देवी का नाम । रूपे के खुर, ताँवे की पीठ समेत दो लाख गऊ पाटवर उढ़ाय रूपोपजीविनी-मक्षा सी० [सं० ] वेश्या । रहा। सपम्प की । लल्लू (शब्द०)। २ घटिया चाँदी, जिसमे कुछ रूपोपजीवी-सज्ञा पुं० [सं० रूपोपजी वन् ] सी० रूपोपजी- मिलावट हो । ३ वह बैल जो बिलकुल सफेद रंग का हो । विनी ] बहुरूपिया। इस रंग के बैल मजबूत और सहिष्णु माने जाते हैं । ४ स्वच्छ रूपोश-वि० [फा०] [ सज्ञा रूपोशी ] १ छिपा हुया । गुप्त । सफेद रंग का घोडा । नुकरा । २ जो दड आदि से बचने के लिये भाग गया हो । फरार । रूपाजीवना, रूपाजीवा--सज्ञा स्त्री॰ [ सं० ] वेश्या । रडी । रूपोशी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [फा० ] मुंह छिपाने की क्रिया । गुप्ति । छिपना । रूपातीत-वि० [स० रूप+यतीत ] रूप से परे । जिसका कोई रूप रूप्य-वि० [सं०] १ सु दर । खूबसूरत । २ उपमेय । -सा स्त्री०
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४४१
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