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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४४२

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रूप्य' ४२०१ RO रुग्य-सक्षा पु० १ रूपा। चांदी । २ सोने या चौदो का मुहर लगा कहलाने लगा। यूरोप के दक्षिणपूर्व का भाग, एशिया का सिक्का । जैसे- रपया, गिन्नी प्रादि (को०)। ३ अजन । पश्चिमी भाग तथा उत्तरी अफोका और अनेक टापू इस सुरमा (को०) । ४ परिष्कृत स्वर्ण · तपाया हुआ सोना (को०) । साम्राज्य के अतर्भूत थे। तब से तुर्की को, जिसका प्रधान यो.. -रूप्यद = चांदो देनेवाला। रूप्यधौत = रजत | चांदी। नगर कुस्तु तुनिया है, रूम कहने लगे, और अब तक उसे रूप्यशतमान = साढे तीन पल की एक तौल । रुम ही कहते है । रूप्य-सज्ञा पुं० [ स० रुप्य ] रुपया। रूम ५'-सज्ञा पु० [ स० रोम ] दे० 'रोम'। उ०-रूम रूम मे रूपयकूला-संशा सी० [ म० ] जैनो के अनुसार हैण्यवत वर्ष की ठाकुर रम रहए कोइ बरले जन चिना ।-रामानद०, पृ० १६ । एक नदी का नाम। रूमना-क्रि० स० [हिं० झूमना का अनु० ] झूमना । झूलना । उ०-कहि आपनो तू भेद न तु चित्त उपजत खेद । कहि रूपयाचल-सझा पु० [ सं० ] कैलाश पर्वत [को०] । वेग वानर पाप । न तु तोहिं देहौं शाप । तब वृक्ष शाखा रूप्याध्यक्ष-सज्ञा पुं० [ ] टकसाल का प्रधान अधिकारी। नैष्ठिका रूमि । कपि उतरि आयो भूमि । - केशव (शब्द॰) । रूषकार-सञ्ज्ञा पुं० [फा०] १. सामने उपस्थित करने का भाव । रूमपाट'.-सञ्ज्ञा पुं० [सं० रोमपाट ] ऊनी वस्त्र । दे० 'रोमपाट' । पेशी । २ वह तजवीज या फैसला जो किसी काररवाई मे उ०-रूमपाट पाटवर अवर जरी वफ्त का वाना। तेरे हाकिम अदालत के सामने लिसा जाय । अदालत का हुक्म । काज गजी गज चारिक भरा रहै तोसाखाना-सतवारणी, ३ कुछ विशिष्ट अवस्थामो मे किमी को अदालत प्रादि मे भा०२, पृ०७॥ उपस्थित होने के लिये लिसा हुअा अाज्ञापत्र । ४ श्राज्ञापन। रूमानी-वि० [अ० रोमास ] प्रणयकथा युक्त । शारीरिक प्रेमव्यापार हुकुमनामा। से युक्त । मन जिससे सरस हो उठे। रूवारी-सज्ञा स्त्री० [फा०] १ मुकदमे की पेशी । २ मुकदमे की रूमारी -सा स्त्री० [सं० रोमावलो ] दे० 'रोमावली'। उ०- काररवाई। व सं माठ करी हडवारी। अनील असख करी रूमारी। रूवरू-क्रि० वि० [फा०] ममुख । सामने | समक्ष । उ०—(क) -प्रारण०, पृ० २० । हमारे रूबरू भाने की जरूरत नही।-राधाकृष्ण ( शब्द०)। रूमाल-सज्ञा पुं० [फा०] १ कपडे का वह चौकोर टुकडा जो हाथ, (ख ) महाराज को आज्ञा पावो तो रूबरू ले प्रावो । मुंह पोछने के काम मे प्राता है। उ०—पोछि रूमालन सो श्रम लल्लू (शब्द०)। सीकर भीर की भोर निवारत ही रहे । - हरिश्चन्द्र (शब्द०)। क्रि० प्र०-थाना |-करना।-जाना ।-लाना ।- होना। मुहा०-रूमाल पर रूमाल भिगोना = बहुत रोना। प्रांमुपो रूवल-सहा पुं० [ रूसी ] रूम का चांदी का सिक्का जो प्राय. की धारा बहाना। दो शिलिंग डेढ पेनी के बराबर मूल्य का होता है। एक २ चौकोना शाल या चिकन का टुकडा जिसके चारो ओर बेल शिलिंग = प्राय बारह पाने = ७५ पंते ( नए )। एक पेनी = और बीच मे काम बना रहता है और जो तिकोना दोहर प्राय तीन पसे-पांच नए पैसे। कर श्रोढने के काम में लाया जाता है। मुसलमानी समय मे इमे कमर मे भी बांधते । ३ पायजामे की काट मे वह रूघुक-राज्ञा पुं० [सं०] एरड वृक्ष । रेंड का पेड । चौकोर कपडा जो दोनो मोहरियो को सपि मे लगाया जाता रूम-सज्ञा पुं० [फा०] टर्की या तुर्को देश का एक नाम । उ०- है। मियानी। ४ ठगो का रूमाल जिसके एक कोन मे चाँदी चारि दिसा महिं दह रचो है रूम साम विच दिल्ली | ता कार का एक टुकडा बंधा रहता है। कुछ अजब तमाशा मारे है यम किल्ली । -- कबीर (शब्द॰) । विशेप-ठग प्रादि इसे प्रादमियो के गले में लपेटकर चांदी के विशेप-ईमा के जन्म से पहले पांचवी शताब्दी मे रोमक टुकडे को उसके गले पर घाँटी के पास अंगूठे से इस प्रकार जातियो की णाक्त बढ़ने लगी थी और यूनान का पतन होने दवाते थे कि वह मर जाता था। पर वह एक प्रभावशाली जाति हो गई थी। इस जाति की क्रि० प्र०-लगाना। राजधानी रोम नगर थी। यह जाति इतनी शक्तिशाली हो गई थी कि स्पेन से लेकर अरब, मिन आदि तक के देशो रूमाली-सज्ञा स्त्री० [हिं० ] दे० 'रुमाली' । पर इसका अधिकार हो गया था। तीसरी शताब्दी के प्रत रूमो-वि० [फा० } १ रूम देश सबंधो। रूम का । २ रूम देश मे यह वृहत् साम्राज्य शामको मे विभक्त होने लगा और मे उत्पन्न होनेवाला । जैसे,-रूमी मस्तगा। ३ रूम देश मे सन् ३३० मे कैसर कानिस्तताइन ने कुस्तुतु नया नगर मे रहनेवाला । रूप देश का निवासी। उ०-हबशा रूमी और अपनी राजधानी बनाई। ३६५ मे रोम राज्य, पूर्वीय और फिरगो। वड बड गुनी और तेहि सगो।—जायसी (शब्द॰) । पश्चिमीय राज्य, जिसको राजधानी रोम थी, धीरे धीरे रूर-वि० [ सं०] १. जो गरम हो गया हो। उत्तप्त । २ जला निर्वल होता गया और उसे गाथ, फ्रेंच श्रादि जातियो ने था। दव। ध्वस कर दिया, और पूर्वोय राज्य ही सन् ४७६ से रोम राज्य रूरनाल-कि० म० [ स० रोरवण (= चिल्लाना)] चिल्लाना ।