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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४४९

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मैदान । रेतीला ४२०८ रेवछा जी मे इस साल रेती पड जाने से दो धाराएं हो गई हैं। रेल सञ्चा सी० [अ०] १ मटक की वह लोहे की पटरी जिपपर क्रि० प्र०-पडना। रेलगाड़ी के पहिए चलने हैं। २ भाप के जोर से चलनेवाली रेतीला-वि॰ [हिं० रेत + ईला (प्रत्य॰)] [ वि० सी० रेतीली ] बालू- गाटी। रेलगाडी। वाला। वालुकामय । वलुआ । जैसे,—रेतीला किनाग या विशेष- भाप के इजन मे चलनेवाली गाडी का प्राविष्कार पहले पहल सन १८०२ ई० मे इगनेड मे हुआ । तव से इसका रेत्य-मज्ञा पुं० [ स०] पीतन । प्रचार बहुत बढता गया, यहाँ तक कि अब पृथ्वी पर बहुत रेत्र-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ रेतस् । शुक्र । २ पीयूप। अमृत । ३ कम मे मन्त्र देश है जिनमे रेलगाडी न हो। सुगधित बृकनी। पटवाम । ४ पारद । पाग (को॰) । यो० लजिन= लगाडी चलाने का यत्र या मशीन । रेलगाटी= दे० 'रेल'। रेलमन्त्री = रेल महकमा का सर्वोच्च रेना --क्रि० स० [ देश० ] किसी वस्तु मे डालकर या टिकाकर मयी। रेलवे। लटकाना। रेनी-सज्ञा स्त्री० [ स० रखनी ] वह वस्तु जिससे रग निकलता हो। रेल-सज्ञा स्त्री० [हिं० रेलना] १ बहाव । धारा। उ०-भूषण भनत जाके एक एक शिखर ने केते धौ नदी नद की रेल उतरति रेनी-सचा सी० [हिं० रेना (= लटकाना)] वह अलगनी जिसपर है।-भूपण (शब्द०)। २ प्राधिक्य । भरमार । उ०—सघन रंगरेज लोग कपटा रंगकर सूखने को डालते हैं। कुज मे प्रमित केलि लखि तनु सुगध को रेल । —सूर (शब्द॰) । रेनु -सज्ञा पु० [ स० रेगु ] दे० 'रेणु'। यौ०-रेन ठेल । रेल पेल । रेनुका -सज्ञा स्त्री॰ [सं० रेणुका ] दे० 'रेणुका' । रेल ठल-सज्ञा स्त्री० [हिं०] २० 'रेलपेल'। उ०-कहै पदमाकर रेप-वि० [ स०] १ निदित । २ क्रूर । ३ कृपण । हमेगा दिव्य वीथिन मो बानन की रेलठेल ठेलन ठिलति है।- रेप-सज्ञा पुं० [सं० रेपस ] क्लक । धब्बा । दोप। खराबी। पदमाकर (शब्द॰) । उ०-मेरी यही अर्ज है हुजूर कि मेरी पेंशन पर रेप न रेलना'-क्रि० स० [देश॰] १ श्रागे की ओर झोकना । ढकेलना । आए।-काया०, पृ० १६६ । धक्का देना। उ०—(क) एक द्विज छुधित घुस्यो तह पेली । मुहा०-रेप लगाना= कलक लगाना। दियो सिपाही ता कहं रेली।--रघुराज (शब्द॰) । २ अपराध । पाप (को०)। क्रि० प्र०-देना। रेफ-सशा पुं० [स०] १ रकार का वह रूप जो अन्य अक्षर के २ अधिक भोजन करना। ठूम ठुसकर खाना। उ०-फूले घर पहले जाने पर उसके मस्तक पर रहता है। जमे, सर्प, दर्प, वसत वन वन से कहुं मालती नवेली । तापै मदमाते से मधुकर हर्प, आदि मे । २ रकार र अक्षर । ३ राग । ४ शन्द । गूंजत मधुरम रेली।-हरिश्चद्र ( शब्द०)। रेफ' -सञ्ज्ञा पुं० [ स० रेफम् ] कलक । दोप । ऐव । रेप। रेलना-फ्रि० प्र० ठसाठस भरा होना । अधिक होना। उ०- मुहा०-रेफ लगाना = दे० 'रेप लगाना'। फूली माघवी मालती रेलि । फूले ही मधुप करत है केलि ।- रेफ-वि० [ ] कुत्सित । अधम । सूर (शब्द०)। रेफरी-सज्ञा पुं० [अ० ] वह जिससे कोई झगडा निपटाने को कहा रेल पेल - सच्चा स्त्री० [हिं० रेलना+ पेलना ] १ भीड जिसमे लाग जाय | पच । जैसे,—इस बार फुटबाल मैच में कप्तान स्वीडन एक दूसरे को धन देते हैं। २ भरमार | अधिकता । ज्यादती । रेफरी थे। रेलवे-सशा सी० [ अं० रेल (= लाइन की पटरी)+वे (रास्ता)] रेभ-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ एक वैदिक ऋपि जिन्हें असुरो ने एक कुंए १ रेलगाडी की सडक । २ रेल का महकमा । जैसे,—वह मे डाल दिया था । दम रातें और नौ दिन बीतने पर अश्विनी- रेलवे मे काम करता है। कुमारो ने इन्हे निकाला था। (ऋग्वेद) । २ कश्यपवशीय एक रेला-सचा पुं० [ देश० ] १ तबले पर महीन और सुदर वोलो को दूमर ऋति। वजाने की रीति । २ जल का प्रवाह । बहाव । तोड । ३ रेफ्यूज-सज्ञा पु० [अ० रेफ़्यूज ] वह सस्था जिसमे अनाथा और समूह मे चढाई । धावा । दौड । ४ चकमका । ५ अधिकता । निराश्रयो को अस्थायी रूप से प्राश्रय मिलता है। जैसे,- बहुतायत । ६ पक्ति । ममूह । इडियन रेफ्यूज । रेलिंग-सशा स्त्री० [अ०] वरामदे आदि पर रोक के लिये लगाया रेफ्यूजी-सज्ञा पुं० [अ० ] जिसका सब कुछ छीन लिया गया हो । जानेवाला एक प्रकार का घेरा जो लोहा, कात मिट्टी वा ईट घर द्वार, सपति आदि लूटकर जिन्हे भगा दिया गया हो । पत्थरो से बनाया जाता है। अनाथ व्यक्ति । निराश्रित वा शरणार्थी । रेवेछा-सञ्ज्ञा पु० [दश०] एक द्विदल अन्न जिसकी दाल खाई जाती है। रेरिहान-सचा पुं० [स०] १ शिा । २ असुर । ३ चोर । विशेष-इमकी फ लयां गोल, पतली और लगभग एक बालिश्त रेरआ, रेल्वा-संज्ञा पुं॰ [ अनु० ] बडा उल्लू पक्षी। रुरुप्रा । लवी ह ती हैं । इसके दाने लवोतरे, गोल, उर्द से कुछ वडे और घुग्घू । रग मे बादामी होते हैं। इसकी लोग दाल खाते हैं। स०