पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४४८

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BO स० रेडियम ४२०७ रेती रेडियम-मञ्ज्ञा पुं० [अं० ] एक मूलद्रव्य धातु जिसका पता वैज्ञानिको रेतकुंड 3-सञ्ज्ञा पुं० [सं० रेतकुण्ड ] १. रेत कुल्या नाम का नरक । को हाल मे ही लगा है। २ कुमाऊं मे हिमालय पहाड पर एक तीर्थस्थान । विशेष---यह धातु अत्यत विलक्षण और अतीव बहुमूल्य है। इसे रेतज-सजा पु० [ स० ] सतान । प्रौलाद [को॰] । शक्ति का सचित रूप ही समझना चाहिए। यह उज्वल प्रकाश- रेतजा-सज्ञा स्त्री॰ [ ] बालू (को०] । मय होती है । इसके मिलने से परमारणु मवधी सिद्धात मे बहुत रेतन-सज्ञा पु० [ ] शुक्र । वीर्य। परिवर्तन हुआ है। पहले वैज्ञानिक परमाणु को अयौगिक मूल- रेतना-क्रि० स० [हिं० रेत । १ रेती के द्वारा किसी वस्तु को रगड- द्रव्य मानते थे। पर अब यह पता लगा है कि परमाणु भो अत्यत कर उसमे से छोटे छोटे कण गिराना जिससे वह चिकनी या मूक्ष्म विद्युत्कणो की समष्टि हैं। यह 'कैन्सर' जैसे दु साध्य आकार में कम हो जाय । रोग तथा धातु रोग की चिकित्सा के काम मे भी पाती है। क्रि० प्र०-डालना ।-देना । रेडियो-सञ्ज्ञा पुं० [अ० ] ध्वनियो को सुनने और भेजने का वेतार २ किसी वस्तु को काटने के लिये प्रौजार को धार रगडना । का एक यन। रेणु---सशा स्त्री० [सं०] १. धूल । वालू । ३ पृथ्वी। (डिं०)। जैसे,—पारी से रेतना। ३ अौजार से रगडकर काटना। ४ सभालू के वीज। ५ विडग । ६ अत्यत लघु परिमाण । धीरे धीरे काटना । जैसे,—गला रेतना । उ०-(क) भूला सो कणिका । ७ फूल की धूल । पराग (को०) । भूला बहुरि के चेतु । शब्द छुरी सशय को रेतु ।—कबीर रेणुक-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] शस्त्रचालन में प्रयुक्त एक मत्र [को॰] । (शब्द॰) । (ख) लियो छुडाइ चले कर मीजत पीसत दाँत गए रेणुका-सञ्ज्ञा सी० [ म० ] १ बालू । रेत । २ 'रज । धूल । रिस रेते । —तुलसी (शब्द०। (ग) जाको नाम रेत सो रेतत ३ पृथ्वी। (डि.)। ४ सभालू के बीज । ५ सह्याद्रि रेतन के बन को।--देवस्वामी (शब्द०)। पर्वत का एक तीर्थ । ६ परशुराम की माता का नाम । रेतल-सज्ञा पुं० [देश॰] एक पक्षी जिसका रग भूरा और लवाई छह विशेप-रेणुका विदर्भराज की कन्या और जमदग्नि की पत्नी इच होती है। थी। एक बार ये गगास्नान करने गईं। वहा राजा चित्ररथ विशेष-यह युक्तप्रात ( वर्तमान उत्तरप्रदेश ) और नेपाल में को स्रियो के साथ जलक्रीडा करते हुए देख रेणुका के मन मे नदियो के किनारे रहता है । यह किसी झाडी या पत्थर के नीचे कुछ विकार पैदा हुआ। पर वह तुरत घर लौट आई। घास से प्याले के आकार का घोसला बनाता और भूरे रंग जमदग्नि को उनके मनोविकार का पता लग गया, इससे वे के २, ३ अडे देता है। बहुत ऋद्ध हुए और अपने पुत्रो से उनका वध करने को कहा। रेतला-वि० [हिं० रेतीला ] दे० 'रेतीला'। और कोई पुत्र तो मातृहत्या करने को राजी न हुआ, परशुराम रेतवा-सञ्चा पुं० [हिं० रेतना ] १. वह वस्तु जिससे कोई चीज रेती ने पिता की आज्ञा से माता का वध किया । जमदग्नि ने परशु जाय । २ रेतनेवाला व्यक्ति । वह जो किसी वस्तु को रेतता हो । राम पर अत्यत प्रमन्न होकर वर मांगने को कहा। परशुराम ने रेतस्-सञ्ज्ञा पुं० [ स० ] १ वीर्य । शुक्र । २ पारा। ३ पहला वर यही मांगा कि माता फिर से जीवित हो जायं। ४ दे० 'रेतस्'। रेणुकासुत - सञ्चा पुं० [म.] रेरालुका के तनय, परशुराम को०] । रेता-सज्ञा पुं० [हिं० रेत ] १ बालू । २ मिट्टी। धूल । ३ वालू रेणुरूपित-सज्ञा पुं० [सं०] गदहा । का मैदान। रेणुवास-सञ्ज्ञा पुं० [सं० भ्रमर । भारा। रेतिया-सज्ञा स्त्री० [हिं० रेत +इया (प्रत्य॰)] दे॰ 'रेता', 'रेती'। रेणुसार, रेणुसारक-सञ्ज्ञा पु० [ सं० ] कपूर । रेतिया-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० रेतना ] रेतनेवाला । रेतवा । रेत.मुल्या-सच्चा स्त्री० [सं० ] एक नरस का नाम । रेती-सज्ञा स्त्री० [हिं० रेतना ] रेतने का प्रौजार । रेत मागे-मज्ञा पुं॰ [ स० ] रेतोमार्ग । वह प्रणाली जिससे होकर विशेष-यह लोहे का एक मोटा फल होता है जिसपर खुरदरे वीर्य वाहर निकलता हो। दाने से उभरे रहते हैं और जिसे किमी वस्तु पर रगडने से रेत सेक-सज्ञा पुं० ] मैथुन । सभोग (को०] । उसके महीन कण छूटकर गिरते हैं। इससे सतह चिकनी और रेत-सचा पुं० [ स० रेतस् ] १ वीर्य । शुक्र । २ पारा । पारद । वरावर करते हैं। ३ जल । ४ प्रवाह । वहाव । धारा (को०)। ५ पाप (को०) । रेती-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० रेत + ई (प्रत्य॰)] १ नदी या समुद्र के रेत-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० रेतजा ] १ बालू । २. वलुमा मैदान । मरु किनारे पड़ी हुई बलुई जमीन । वालू का मैदान जो नदी या भूमि । उ०-जै जै जानकीस जै जै लपन कपीस कहि कूदै कपि समुद्र के किनारे हो । वलुग किनारा । उ०--खेलत रही सहेली पौतुकी नचत रेत रेत हैं । —तुलसी (शब्द॰) । सेंती। पाट जाइ लागा तेहि रेती।—जायसी (शब्द०)। २. रेत-सशा पु० [हिं० रेतना ] लोहार का वह अौजार जिससे वह नदी की धारा के बीचोबीच टापू को तरह की बलुई जमीन जो लाहे को रेतता है। रेती। पानी घटने पर निकल आती है। नदी का द्वीप । जैसे-गगा जल। स० ८-५५