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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४७२

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लक्ष्यतत्य 3 लक्ष्यनत्व- पुं० [10] १रान गेमिका 7 tarijimit HOTT-11!",)? उत्पन हो। ३. वह ज्ञान जाग 3.17 हो। लक्ष्यता-रामागी. [ सं० ] लक्ष्य का भार मा 71 लक्ष्यत्त - मा पुं० [सं० ] लक्ष्य का नाम या 157. लक्ष्यभेद-गज पुं० [सं० } प्रारमा माना निगम नी । नापरावनी:-... "मा चना या उडने हुए नाव नोदन। -प्रार।। फेंक ए पंगा या उससे पपड़ी पर निशाना ना । सध्यवधा लावलय--1 लक्ष्यवीथी-रायसी [ मं०] १ वह उपाय या गर्म जिवन जीना लग्यलखा- । ५. [10.1.1 का उद्देश्य गित होता । २ पहानी का नाम, जिरी FREET. चाग । देवयान पथ भी कहते है। T117 17'2-79*77,71 CI $7}" far 11 trif' tini ,MITT ';H. लक्ष्यवेध, लक्ष्यवेधन-सधा पु० [सं० } १६२ या गगन करना । IT 1:1 tri i pre 21:1 लक्ष्यभेद (को०] । लमहासार If fri] 07:11 लक्ष्यवेधी-सा पु० [सं० लक्ष्यवेचिन् ] मह जा लक्षारताती। 17 TITI. Til उठो या तेजी से चलते हुए पराया मा जागा पर ठार निशाना नगानेवाला व्यक्ति । तरतुद-[io if I MIRE I 1977 iti लक्ष्याय-पग पुं० [ 10 ] वह अर्थ जा रक्षणा में मिलते। शद की लखाद-avi io [FOTitle लक्षणा शकि द्वारा व्यक्त अर्प। 471.711 लग्यघर-मक्षा पुं० [सं० लाक्षागृह ] HIT 7 वरपर जो नाता नपाउ:-11 . [ is TIK Part I fini को जनाने के लिये दुर्योधन ने बनवाया था।क्षा । 30-- 70--17) 187"Tió'TI/510STITC जैसे जारत लगघर माहग कोन्हा नोउ । जसल, 15 -- 17: (Ti) (0) 7*, til 151 पुरपारथ जोउ -जायमी (ब्द०) : - tii:7171m?:) (tan) is लसन- [सं० लक्ष्मण ] श्रीरामपानी Tinit 1711. in सदगण का नाम । उ०-जयन लरपा पाप गान् । tamiinide of it -तुलसी (शब्द०)। लखन-रक्षा मी० [fro RTI मोना याना।। लापर- [.० ३... ... ... . लखनवा-वि० [हि सतनऊ-६ (प्रत्य॰)] १. " ठाट यार और शान गौतम राना (4) ।-- में अपने एक सनी स्पिनी ? • I लगाना -10 -०, पृ० १५४। apargimitto [ +n) & 71747m ? ** सामान या जाना। ना। Rū3 917 91711 9771 Tie okolade गुगली (पान्द०) । (ग) । यो 1-11 (२०)। २.देना। ३०-६) 177 44 774 lip 1,4 T LT)11) Istils

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