लगर ४२३७ लगाना भूकर। न माथे बिंदी अरुण पीत नहिं काला । ऐंडा बेंडा टेढा नाही ठहरा करती हैं । ५ वह स्थान जहाँ जगल मे रात को पशु ना वह प्रात जाता।-चरण० वानी, पृ० ३८४ । श्राते हैं । शिकारी लोगो के छिपकर बैठने का वह स्थान जहाँ से शिकार किया जाता है। ६ भूमि पर लगनेवाला वह कर लगर--सज्ञा पुं॰ [देश॰] चील की तरह का एक शिकारी पक्षी। जो खेतिहरो की ओर ले जमीदार या सरकार को मिलता है। लग्घड । उ०~~(क) नैन लगर धू'घुट खुलहि पवन खोल जव लेत । नेही मन किरमान कन झपट सतूना देत ।--रसनिधि गजस्व । भूकर । जमावदी। पोत । (शब्द०)। (ख) जुर्रा वाज वाँमे कुही बहरी लगर लोने 10-लगान मुकर्ररी = f यत भूवर । लगान वाकई = वास्तविक टोने जरकटी त्यो सचान सानबारे हैं ।-(शब्द०)। लगलग-वि० [अ० लकाक] बहुत दुवन्दा पतला। प्रति मुकुमार । लगाना-वि० स० [हिं० लगना का सक० रुप] १ एक पदार्थ के उ०-ग्रंखियाँ अधर चूमि, हाहा छाँडो कह भूमि, छतियाँ मो तत के साथ दूसरे पदार्थ का तल मिलाना। मतह पर सतह लगी लगलगी सी हलकि के -दव (शब्द०) रखना | मटाना। जैसे,-दीवार पर कागज लगाना, दफ्ती लगव-वि० [प्र. लगो ] १ मूठ । मिथ्या । अमत्य । २. पर तमवीर लगाना, कपडे मे अस्तर लगाना, लिफाफे पर टिकट व्यर्थ । बेकार । निष्प्रयोजन । लगाना। २ दो पदार्थों को परम्पर मलग्न करना। मिलाना। लगवाना-क्रि० स० [हिं० लगाना फा प्रेर० रूप ] लगाने का जोडना । जैमे, - दराज मे मुठिया लगाना, चाकू मे दस्ता काम दूसरे से कराना। दूसरे को लगाने मे प्रवृत्त करना। लगाना । ३ किसी पदार्थ के तल पर कोई चीज डालना, फैनना, उ०-प्रथम सबरि लगवाह के कूवर दीन्ह सुधारि ।-विश्राम रगडना, चिपकाना या गिराना । जैसे,-चेहरे पर गुलाल (शब्द०)। लगाना, सिर मे तेल लगाना। उ०-दीन्ह लगाय चून निज लगवावनाल -क्रि० स० [हिं० लगाना ] दे० 'लगवाना' । उ०- पानी । तेहि फल भई अवध की रानी ।-विश्राम (शब्द॰) । ४ एक चीज पर दूसरी चीज सीना, टांकना, चिकाना या तहाँ एक दिन नद कन्हाई। गए सरिक लगवावन गाई । जोडना । जैसे,- टोपी में कलगी लगाना, कोट मे बटन लगाना। -विश्राम (शब्द०)। ५ समिलित करना। शामिल करना। साथ मे मिलाना । लगवारी-सज्ञा पुं॰ [ हि० लगना (= प्रसग करना)+वार (प्रत्य॰)] स्त्री का उपपति । यार | प्राशना । उ०—साँझ सकार दिया जैसे,- किताब मे जिल्द लगाना, मिसिल में चिट्ठी लगाना, शब्द मे प्रत्यय लगाना । ६ वृक्ष प्रादि आरोपित करना। जमाना। ले वारे । खसम छोडि सुमिर लगवार ।-कबीर (शब्द०)। उगाना । जैसे,-बाग में पेड लगाना । ७. एक पोर या किसी लगवियत-सा सी० [अ० लगवियत ] १ बदमाशी। वेहूदगी । उपयुक्त स्थान पर पहुंचाना । जैसे,-बदरगाह मे जहाज लुच्चई । २. व्यर्थता । निरर्थकता (को०) । लगाना । ८ क्रम मे रखना या मजाना । कायदे या मिलसिले मे लगहरी-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० लाग+ हर (प्रत्य॰)] वह कांटा या तराजू रखना । मजाना । चुनाना । जैम,- दस्तरखान लगाना, कमरे में जिसमे पासँग हो। तसवोरें लगाना, गुच्छा लगाना, बाजार लगाना । ६ सर्च लगहरी - वि० [हिंलगना + हर (प्रत्य॰)] वि० लगनेवाली। दूध करना । व्यय करना । जैस,-उन्होने हजारो रुपए लगाए, तब आदि देनेवाली । २ सडा गला हुआ फल या सब्जी । जाकर मकान मिला। उ०-वन निज रघुपति हेतु लगावै । लगाई-सका सी० [हिं० लगाना] १. सवय । लगाव । सगाई । २ राम भक्ति हिय मे उपजावै । - रघुराज (शब्द०)। १ अनुभव तुगली । प्रारोप। कराना। मालूम काना । जैसे,—यह दवा तुम्हे बहुत भूस यौ० - लगाई वझाई = (१) भूठी सच्चो लगाना । इधर की बात लगावेगी। ११ स्थापित करना। कायम करना। जमे,- उवर करना । (२) किसी से लगने या अवैध संबंध करने- उन्होने अपने यहा बिजनी का इजन लगा रखा है । १२ प्राघात वाली स्त्री। करना । चोट पहुंचाना । जैमे, थप्पड लगाना, मुक्का लगाना । लगाऊ-वि० [हिं० लगाना+ ल (पत्य०) ] इवर को वात उपर १३ लेप करना। पोतना । मलना । जैसे,-जूने पर न्याही करनेवाला । चुगलखोर । लगाना । १४ पित्ती मे कोई नई प्रवृति आदि उत्पन्न करना। लगातार-क्रि० वि० [हिं० लगाना+तार (= सिलसिला)] एक के जैने,-यापने ही तो उन्हे मिग ट का चमका लगाया है। १५. वाद एक । मिलसिलेवार । बरावर । निरतर । सनत । जैने,- उपयोग में लाना। कार में लाना । जैगे,-झगडा लगाना, (क) प्राज चार दिन से लगातार पानी वरस रहा है। (स) नोपन लगाना । १६ मडाना । गलाना। जने,(क) तुमने वह लगातार दो घटे तक व्याख्यान देता रहा । लापरवाही न सब पान लगा दिए । (स) पानी जीन कमन लगान-सज्ञा पुं० [हिं० लगना या लगाना ] १. लगने या लगाने की ग्नते तुमने घोडे की पीठ लगा दी। १७ ऐसा कार्य क्रिया या भाव । २ किमी मकान के ऊपरी भाग मे मिला हुया करना जिनमे बहुत से लोग एकत्र या ममिलित हा। अंमे,- कोई ऐमा स्थान जहाँ से कोई वहाँ भा जा सकता हो। ताग। तुम तो जहाँ जाते हो, मेगा देन ह।। १८ दातव्य जैसे,—इरा मकान मे दोनो तरफ से लगान है। ३ वह स्थान निश्चित करना । यर तं परना किराना गप दिया जाय। जहाँ पर मजदूर प्रादि सुरताने के लिये अपने मिर या बोझ जने,-फर लगाना। १६ पारोपिन करना। पभियोग उतारकर रसते है। १. वह स्थान जहाँ पर नार्वे याकर लगाना । जने,-जुर्म लगाना।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४७६
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