पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४७५

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लगना ४२३६ लंगीत माना। भाग लगना, दीया लगना। उ०-औचक ही कर मांझ है। ४७ दाम प्राँका जाना। जमे,-बाजार मे घी का दाम साँझ ही अगिनि लगी वहो अनुरागी रहि गई सोऊ २०) लगा है। ४८ किसी चीज का, विशेषत साने की चीज तारिए ।—प्रियादास (शब्द०)। ३० काम मे पाने योग्य का, अन्यस्त होना । परचना । सधना । जैसे,-लडका रोटो पर होना । ठीक बैठना । उपयुक्त होना । जैसे,—यह ताली इस लग गया है। ४६ अपन नियत स्थान या कार्य श्रादि पर ताले मे लग जाती है। ३१ हिसाब होना । गणित होना । पहुंचना। जैसे,-पारमल लगना, र जन्टरी लगना । ५० जैसे,-पुरजा लगना, जोड लगना। ३२ पीछे पीछे चलना । फैलना । विचना। जमे, - निजीना तगना, जाल लगना। साध होना । शामिल होना । जैस,—(क) बाजार म पहुंचते ही ५१ सभोग करना। मैथुन करना। स्रोप्रसग करना। दलाल लगते है। (ख) तुम्हार साथ भी सदा एक न एक वाजारू)। ५२ होना। जैसे,—(क) अभी हम प्रादमी लगा रहता है। उ०-लगे वाके पाले काछे काछ की यहाँ दर लोगो । (ख) वहां से हट जाओ, नहीं तो तुम्हारा न सुधि कछू गई घर पाछे रहे द्वार तनु छोजिए।-प्रियादास ही नाम लगेगा। (ग) वह गाव वहा से चार कोस लगता है। (शब्द०)। (घ) अवकी अमावस को ग्रहण लगेगा। (च) यहो नो किताबो मुहा०-लग चतना = किसी के साथ या पीछे हो लेना । जैसे- का ढेर लगा है। ५३ जहाग का छिछने पानी मे अथवा जहाँ तुमने काई मालदार अमामी दखा, वहा तुम उसके किनारे की जर्गन पर चढ़ जाना । (लग०) । ५४ एक पीछे लग चले। जहाज का दूसरे जहाज के सामने या बरावर ३३ सबद्ध होना । चिमटना । जैसे,—रोग लगना। ३४ किसा (लश०) । ५५ पान का बीचवर चढाया जाना (नश०)। कार्य मे प्रवृत्त या तत्पर होना । जैसे,—(क) तुम्हे इन सब विशेप-(क) भिन्न भिन्न गन्दो के साथ यह क्रिया लगकर भिन्न झगडो से क्या मतलब, तुम अपने काम मे लगो। (ख) वह भिन्न अर्थ देती है। जैने,-नीद लगना, दांत लगना, वात सबेरे से लिखने मे लगा है । ३५ स्पर्श करना । छूना । उ०- लगना, समाधि लगना, नैवेद्य लगना, प्रादि। इस प्रकार के कृपा करी निज धाम पठायो अपना रूप दिखाय । वाके बहुत ने प्रर्यो मे से अधिकाश की गणना मुहावरो मे होनी प्राश्रम जोऊ बसत है माया लगत न ताय । - सूर (शब्द०)। चाहिए। (ख) इस क्रिया के अलग अलग अर्यों में जाना, पडना ३६ गो, भैम, वकरी या दे दूध देनेवाले पश्यो का दूहा आदि अलग अलग सयाजक क्रियाएं लगती है। जाना । जैसे,—यह भैस दिन में तीन बार लगती है। ३७ लगना' सज्ञा पुं० [२०] एक प्रकार का जगली मृग । उ०-हरिन गडना। चुभना । धसना । उ०-इह कांटे मा पाय लगि रोझ लगना बन बसे । चौतर गोइन झास यो ससे । लोन्ही मरति जिवाय । प्रीति जनावात भीति सो मौत जु -जायसी (शब्द०)। काढ्या प्राय ।-विहारी (शब्द०)। ३८ बदले में जाना । मुजरा होना । जसे,- उनके दोना मकान कर्ज मे लग गए। लगनि-सज्ञा स्त्री० [० लग्न, हिं० लगन ] दे० 'लगन' । ३६ समीप पहुचना । पास जाना। छूना । जैसे, - पैरो उ०-नैन लगे तिहि लानि सा छुटे न टूट प्रान । काम न लगना । उ०—(क) उठहिं तुरग लेहि नहिं वागा । जाना उलट प्रावत एकहू तेरे मो कि सयान । -वहारी (शब्द०)। गगन कहं लागा ।—जायसा (शब्द०)। ( ख ) वितचोरन लगनियाँ-तज्ञा पु० [सं० लन, हिं० लगन + इया (प्रत्य॰) ] १. चितचार मैं व्यौरो इतनो भाइ। इन्हें पाय के मारिए, उनके एक प्रकार का गात | लग्न या विवाह के अवसर पर गाया लागय पाय ।-- शब्द०)। ४० छेडखानी करना। छेडछाड जानेवाला गीत । उ०-दाम कवार यह गवल लगनियां हो । करना । जम,-ऐसे अादामयो से मत लगा करो। उ०-ौरन कबीर० श०, भा० ४, पृ० १६ । २ विवाह का लग्न लेकर सो कार रहे अचगरा मोसो लगत कन्हाई । —सूर (शब्द० जानेवाला व्यक्ति। ४१ वद हाना। मुंदना । जैसे, कवाड लगना। उ.-प्रर्जुन के मादर पगु धारा । देखे लगे कपाट दुपारा ।-सवल लगनी-शा स्त्री॰ [फा० लगन (= थाली) ] १ छोटी थाली । रिकावी। २ पानदान मे को वह तश्तरी जिसमे पान रखे (शब्द०)। ४२. जुए का वाजी पर रखा जाना। दाँव पर जाते हैं । ३ परात। रखा जाना । वदना । जैसे,—(क) पांच रुपए इस दॉव पर लगे है । (ख) अच्छा, इसी वात पर शर्त लगी। ४३ प्रति लगनीय-वि० [म० ] लगने याग्य । जो सनग्न या सयोजित हो होना । चिाह्नत होना । जसे,-तिलक लगना, निशान लगना, सके [को०] । मोहर लगना, ठप्पा लगना । ४४. धारदार चीज को पार का लगभग-क्रि० वि० [हिं० लग (= पास)+अनु० भग] प्राय तेज किया जाना । जैस,-उस्तरा लगना, कैची लगना । करीब करीब । जैसे,—(क) वहाँ लगभग सौ आदमी उपस्थित ४५ घात मे रहना । ताक मे रहना । जैसे,—(क) उस रास्ते थे। (ख) इस काम मे लगभग एक महीना लगेगा। मे सध्या के बाद डाकू लगते हैं। (ख) इस जगल मे शेर लगमात-सझा स्त्री॰ [हिं० लगना+स० माना ] स्वरो के वे चिह्न लगते हैं। ४६. किसा स्थान पर एकत्र हाना । जैसे,—(क) जो उच्चारण के लिये व्यजनो मे जोडे जाते हैं। स्वरो के इस घाट पर मलियाँ लगतो ह । (ख) बाग मे मच्छड़ लगते चिछ। जैसे,-ए का , मो का ।। उ०-ना लगमात न