पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४९५

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लदनी ४२५६ लपकी स० से पूर्ण होना । बोझ से भर जाना या भरा जाना । जैसे, लद्धडपन-सञ्ज्ञा पु० [हिं० लद्धड + पन (प्रत्य॰)] काहिली। सुम्ती गाडी लद रही है। ४ किसी भारी या वजनी चीज का ढिलाई। दूसरी चीज के ऊपर होना या रखा जाना। किसी वस्तु लद्धना-क्रि० स० [सं० लब्ध, प्रा० लद्ध (=प्राप्त) ] प्राप्त के ऊपर बोझ के रूप मे पडना या रखा जाना। जमे,- करना। हासिल करना। मिलना। पाना । भेंटना । उ०- (क) तुम उसकी पीठ पर लद जायो। (ख) मेज पर कितावें चीठर जमिया चून का बैरी बिरहा खद्ध । वीछुरिया सो लदी हुई हैं। ५ सामान ढोनेवाली सवारी पर वस्तुप्रो का माजना वेद न काहू लद्ध ।-कबीर (शब्द॰) । रखा जाना। वोझ का डाला या रखा जाना। जैसे, - गाडी लनटक-मञ्चा पुं० [ ] एक प्रकार का पौग या घास जिसका पर उनका असबाब लद रहा है। ६ जेलखाने जाना। कैद माग बनाकर खाया जाता है । होना । जैसे,-वह सात वरस के लिये लद गया। ७ परलोक सिधारना । मर जाना। जैसे,—आज वे भी लद गए। ८ लना - सझा पुं॰ [देश॰] १ एक पेड जिससे पजाब मे सज्जी निकाली जाती है। इसका एक भेद 'गोरानला' है। २ शोग। समाप्त होना । खत्म होना। लदनो -सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० लदना ] १ व्यापार । कारबार । २ लदन। लनी-महा सी० [देश॰] पान की वारी मे की क्यारी । लदाव । जमे लदनी लादना। उ०—कर पाप पुन की लदनी लनी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [देश० ] पजाव मे होनेवाला एक पेड जिसमे सज्जी जग ख्याल हा जग ख्याल हा । -भीखा० श०, पृ० ८३ । निकाली जाती है। छोटी जाति का 'लना' नाम का पेड । लदलद-क्रि० वि० [अनु० ] किसी गोली और गाढी या जमी हुई लप-मज्ञा पुं॰ [देश०] एक प्रकार को घास, जिसे 'सुरारी' भी कहते हैं । वस्तु के गिरने के शब्द का अनुकरण । जैसे,—भीगी मिट्टी ऊपर लप-रज्ञा स्त्री० [अनु०] १ बॅत या लचीली छडी को पकडकर से लद लद गिर रही है। हिनाने से उत्पन्न शब्द या व्यापार । २ छुरी, तलवार आदि की चमक की गति। लदवाना-क्रि० स० [हिं० लादना का प्रे० रूप ] लादने का काम दूसरे स कराना । उ०-पांच सहस इक सौ रथ आए। सहम मुहा० - लप लप करना= (१) वेत या लचीली छडी आदि का निसान सोप लदवाए।-सवल (शब्द॰) । पकहकर जोर से हिलाए जाने से शब्द करना । (२) झलकना । लदाउ, लदाऊ@-वि० [हिं० लदना (= भरना) ] लदाव । भराव । चमाचम करना। लप से = लो या लपट की तरह तेजी मे । उ०-रेणुका की रासन में कीच कुस कासन मे निकट निवासन भट से। में प्रासन लदाऊ के |--पग्राफर (शब्द॰) । लप-सज्ञा पुं॰ [देश०] १ दोनों हथेलियो को मिलाकर बनाया हुआ लदान-सना स्त्री॰ [हिं॰] लादने की क्रिया। लदाव । लदन । सपुट जिसमें कोई वस्तु भरी जा सके। अंजली। नसे,-लप भर पाटा । २ अंजली भर वस्तु | जसे,-लप भर निकाल- लदाना-क्रि० स० [हिं० लादना का प्रेर० रूप ] लादने का काम कर देना। दूसरे से कराना । दे० 'लदवाना' । सयो० क्रि०-देना ।-लेना। लपक-सञ्ज्ञा स्त्री० [अनु० लप ] १ ज्वाला । लपट । लो। भग्नि शिखा । २ चमक । काति । लपलपाहट । जमे,-विजली को लदाफॅदा-वि० [हिं० लदना+फंदना ] भारपूर्ण । बोझ से भरा लपक से अखें चौंधिया गई। ३ लो या लपट की तरह लदा हुआ। निनलने या चलने की तेजी। वेग । ४ चलने का वेग । लदाव-सज्ञा पुं० [हिं० लादना ] १ लादने की क्रिया या भाव । झपट । फुरती। २ भार । वोझ। ३ छत भादि का पटाव । ४ ईटो की जोडाई जो बिना धरन या कही के अधर मे ठहरी हो। कडे लपकना-क्रि० प्र० [हिं० लपक ] १ चटपट या तेजी से चल पडना । तुरत दौड पडना। जमे,- उमने लपककर भागते की जोडाई। जैसे,- लदाव की छन। ५ वह छत या हुए चोर को पकड़ लिया। २. वेग में गमन करना। तेजी महराव जिसमे ईंटो की जोडाई विना घरन या कडी के से जाना या चलना। जसे,- वह उसी पीर लपका चला सहारे अधर मे ठहरी हो। जा रहा है। लदुवा-वि० [हिं० लादना उवा (प्रत्य॰)] बोझ ढोनेवाला। पीठ पर बोझ लेकर चलनेवाला । जैसे,-लदुवा घोडा, लदुमा बैल । मुहा०-लपक कर = (१) तुरत तेजी से जाकर । (२) तुरत । झट में। जैस,-लपककर तुम्ही चले जानो, लेते प्रायो। लदूपक-सज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का पक्षी (को० । उ०-ताही समय उठे धन घोर दामिनी सी धाय उर लागी लद्दू वि० [हिं० लादना ] वोझ ढोनेवाला। लदुवा । जैसे,- जाय स्याम घन सो लपकि के ।-केशव (गन्द०)। ३ आक्रमण के लिये दौड पडना । झपटना । जैसे,-शेर उसकी लद्धड-वि० [हिं० लदना (= भारी होना) ] जिसमे तेजी और फुरती ओर लपका। ४ कोई वरतु लेने के लिये झट से हाथ बढाना । न हो। मुस्त। काहिल । भालसी। ज से,-लद्धड पादमी, जैसे,-तुम सभी चीजे लेने के लिये लसकते हो। लद्धड घोडा। लपकी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हिं० लपकना ] एक प्रकार को सीधी सिलाई । लटू घोडा।