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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४९६

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- ४२५७ लपान्ना लपचा लपचा - सज्ञा पुं॰ [देश॰] सिकिम के पहाडो की एक जंगली जाति । लपटौना-देश० पु०, वि० [हिं० लपटना] दे० 'लपटौआँ' । लपझप-वि० [अनु० लफ+ हिं० झपट ] १ चंचल । चपल । लपन-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] १ मुख । मुह । २ भाषण। कथन । ३. स्थिर न रहनेवाला । २ चुपचाप न बैठनेवाला। अधीर । बोलने वा कहने का भाव (को०) । जसे,-बाप चुपचुप, पूत लपझप । ३ तेज । फुरतीला । लपना-कि० अ० [सं० लपन ] कहना । बोलना। मुहा०-लपझप चाल = वेढगी चाल । चपलता की चाल । लपना-क्रि० प्र० [ अनु० लप लप ] १ बेंत या लचीली छडी का एक छोर पकडकर जोर से हिलाए जाने से इधर उधर लपझप-सज्ञा स्त्री० १ चचलता। चपलता । २ तेजी। तीव्रता । ३ सुकुमारता । कोमलता ४ एक प्रेम व्यजक चेष्टा । झुकना। झोक के साथ इधर उधर लचना । २ झुकना । लचना । ३ लपकना । ४ ललचना । उ०-साधन बिनु सिद्धि लपट'-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० लोक हिं० लौ+पट (= विस्तार )] १. सकल विकल लोग लपत । —तुलसी (शब्द०)। ५ हैरान आग के दहकने से उठा हुश्रा जलती वायु का स्तूप । अग्नि- होना । परेशान होना। शिखा । ज्वाला । भाग की लो। उ०- इद्रजाल कदर्प को कहै मुहा०-लपना झपना = हैरान हीना। उ०-साठि बरस जी कहा मतिराम । मागि लपट वर्षा कर ताप घरै घनस्याम ।- लपई झपई। छन एक गुपुन जाय जो जपई । —जायसी मतिराम ( शब्द. )। २ तपी हुई वायु । हवा म फली हुइ (शब्द०)। गरमी। पांच। लपलपाना-क्र० अ० [अनु० लप लप ] १. वेंत या लचीली छडी, क्रि० प्र०-पाना । लगना। टहनी श्रादि का एक छोर पकडकर जोर से हिलाए जाने से ३, किसी प्रकार की गध से भरा हुआ वायु का झोका । जैसे,- इवर उधर झुकना। झोक के साथ इधर उधर लचना या लपना। क्या अच्छी गुलाब की लपट पा रही है । ४ गव । महक । जसे, बेंत का लपलपाना । किसी लवी कोमल वस्तु का झझक । बू । उ०—सूरदास प्रभु को वानक देखे गोपा टारे न इधर उधर हिलना डोलना या किसी वस्तु के अदर से वार टरत निपट भाव सोधे की लपट ।—सूर ( शब्द०)। बार निकलना । जैसे,—साँप की जीभ लपलपाती है। लपटा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हिं० लिपटना ] दे० 'लिपट' । मुहा०-जीभ लपलपाना = चखने की इच्छा या लोभ करना । लपटना-क्रि० अ० [स० लिप्त + हिं० ना (प्रत्य॰)] १. अगो से जैसे,- मिठाई खाने के लिये उसकी जीभ लपलपाया करती है। घेरना। लिपटना। चिमटना। आलिंगन करना। २ किसी ३ छुरी, तलवार आदि का चमकना । झलकना । सूत की सी वस्तु का दूसरी वस्तु के चारो ओर कई फेरो मे लपलपाना- क्रि० स० १ बेंत या लचीली छडी, टहनी आदि का घेरना । ३ लग जाना । सलग्न होना । सटना । ४ उलझना । एक छोर पकडकर जोर से इधर उधर झुकाना या झोका देना। फंसना। लिप्त होना । उ०-आइ गयो काल मोहजाल मे झोक के साथ इधर उधर लचाना। फटकारना । लपाना । लपटि रह्यो महा विकराल यमदूत ही दिखाइए । —प्रियादाम जैसे, - मारने के लिये बेंत लपलपाना। २ किसी लवी नरम ( शब्द०)। ५. पारवेष्टित होना। घिर जाना। ६ लगा चीज को इधर उधर हिलाना डुलाना या किसी वस्तु के अदर रहना। रत रहना। से बार बार निकालना। जैसे,—सांप जीभ लपलपाता है। लषटा-सञ्चा पुं० [हिं० लपटा सा लपसी] १. गाढी गीली वस्तु । २ ३ छुरी, तलवार आदि को निकालकर चमकाना । चमचमाना । लपसी। लेई। ३ कढी । ४ एक प्रकार की घास । लपटौयाँ । लपलपाहट-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० लपलपाना +आहट (प्रत्य॰)] १ लपटाना-क्रि० स० [हिं० लपटना] १ अगो से घेरना । लिपटाना । लपलपाने की क्रिया या भाव । लचीली छडी या टहनी आदि चिमटाना। २. आलिंगन करना। गले लगाना। ३ किसी का झोक के साथ इधर उधर लचकना। एक छोर पकडकर सूत की सी वस्तु को कई फेरे करके टिकाना या बाँधना । जोर से हिलाए जाते हुए वेत प्रादि का झोका । २ चमक । लपेटना । उ०—दरसन पायो राना रूप चतुर्भुज जू के रहे प्रभु झलक । जैसे,-नलवारो का लपलपाहट । पौढ़ि हार सीस लपटायो है।-प्रियादास ४ लपसी-सञ्ज्ञा स्त्री० [ स० लप्सिका ] १ भुने हुए आटे मे चीनी का परिवेष्टित करना। घेरना। शरबत डालकर पकाई हुई बहुत गाढ़ा लेई जो खाई जाती है। लपटाना-क्रि० अ० १ सलग्न होना। सटना । उ०—यह नहिं थोडे घो का हलुवा । २ गोली गाढो वस्तु । जैम,-याज की भली तुम्हारी बानी। मैं गृहफाज रही लपटानी। -सूर तरकारी तो लपसी हो गई। ३ पानो मे प्रौटाया हुआ पाटा (शब्द०)। २ उलझना । फंसना । जिसमे नमक मिला होता है और जो जेल में कैदियो को लपटौओं-सज्ञा पुं० [हिं० लपटना] एक प्रकार का जगली तृगण दिया जाता है। लपटा । जिसकी बाल कपडे में लिपट या फंस जाती है, और कठिनता लमहा-सञ्ज्ञा पुं॰ [देश॰] पान का एक रोग । पान की गेरुई। से छूटती है। लपाना-क्रि० स० [अनु० लपला ] १ लचोली छडी आदि को झोक लपटौमों-वि० १ लिपटनेवाला । चिमटनेवाला । २ सटा या के साथ इधर उधर चलाना। फटकारना । २. नरम लबी चीज लिपटा हुमा। को डुलाना। ३, माग वढ़ाना । शब्द०