पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/४९८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

-- लबार लफटंट गवर्नर ४२५४ लफटट गवर्नर-सज्ञा पु० [ अं० लेफ्टिनेंट गवर्नर ] किसी प्रात का और कहासुनी। बेईमानी को चाल । जैसे,—यहाँ तुम्हारी यह शासक । छोटे सूबे का हाकिम । लबडयोवो न चलेगी। क्रि० प्र०—करना। लफनाल+-क्रि० प्र० [ अनु० दे० 'लपना'। उ०—पिलक चिकनई चटक म्यो लफति मटक लौ प्राय । नारि सलोनी मुहा०-लवडयोधो चलना = बेईमानी की गल सफल होना । साँवरी नागिन लो डसि ज य ।-विहारी (शब्द॰) । लबडनापु -क्रि. अ०। स० लप - ववना ] १ झूठ बोलना । लफलफानाg1-क्रि० प्र० [अनु० ] लपलपाना । लवारी करना । २ गप हांकना। लफलफानि-सञ्ज्ञा पुं० [अनु०) दे० 'लपलपाना' या लपल पाहट' लबडा - वि० [ स० लपन ] दे० 'रावरा' । उ०-वामर तीर द्रम डारि गहि मूल फूले देखन सफ लबदा सज्ञा पुं० [ स० लगुड ] मोटा वेडौल डडा । लफलका न गति मति बोरी है। -प्रियादास (शब्द०)। लवदी-सज्ञा श्री० [हिं० लवदा छोटी छड़ी। पतली छड़ी। लफाना क्रि० स० [अनु० । दे० 'लपान'। हलको लाठी। लफ्ज-सज्ञा पु० । अ० लफ्ज । १ शब्द । २ वात । बोल । लवनी-मज्ञा स्त्री॰ [ देश० ] १ मिट्टी को लबी हॉडी या मटकी जो लफ्जो-वि० [अ० लपजो ] शब्द सवधी । शब्द का । शाब्दिक [को०] । ताड के पेडो मे बांध दी जाती है और जिसमे ताटी इकट्ठी यो०-लफ्जी माने = शब्दार्थ । शन्द का अर्थ । होती है। २ काठ की लबी डांडी लगा हुअा कटोरा जमसे पड़ाह म से शीरा निकालते हैं । डोई । डौवा । लफ्तरा-वि० [अ० लपतरह, ] नीव । अधम । कमीना (को०) । लवरा -वि॰ [ सं० लपन (= बोलना)] [वि॰ स्त्री० लबरी ] १ लफ्फा-सज्ञा स्त्रो॰ [ अ. लपफा ] लपेटन या तह करने की क्रिया । झूठ बोलनेवाला । उ०-मथवा मुडाय जोगी कपडा रंगोल मुहा- लफ्फा मारना = विना दांतो मे अच्छी तरह कूच हुए गाता बौर के होइ गैले लबरा ।-क० बचनावली, पृ० २४३ । खाद्य पदार्थ जल्दो जल्दा निगलना । २ गप हाक वाला । गप्पी । उ०-याप सभा मह मत्य जू लफ्फाज-वि० [अ० नपपाज] बातूनी। बहुत बात करनेवाला । साहत लाराची और लवरान को लबग ।-रघुराज (शब्द०)। वाचाल [को०] । ३ । बाया। बाईं ओर का । वाम । लफ्फाजी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [अ० लपफाजी ] वाचालता । बातूनीपन । लबरी-वि० खा. [हिं० लबरा ] झूठ बोलनेवाली । गप्पी । भूठा । मुखरता [को॰] । लपरी-सञ्ज्ञा स्त्री० दे० 'लबड़ी' । लब-सशा पु० [फा०] १ प्रोष्ठ । अोठ । होठ। २ तट । कूल । लबरेज-वि० [फा० लबरेज ] कार तक भरा हुआ। किनारे तक किनारा (को०)। भरा हुमा । मुहामुंह । लबालब (को०] । यो०-लगीर = तबाकू पीने की नली या पाइप । लबचरा । लबलबी-सज्ञा स्त्री॰ [फा० लव ) बदूक के घोडे की कमानी। लवजदा = (१) दे० 'लबबद' । (२) बातें करने या बोलने लबलहका-वि० [हिं० लपना + लहकना] [वि० सी० लवलहकी ] वाला । लब बद = (१) चुन । खामाश । (२) बहुत मीठी वस्तु । १ किसी वस्तु को देखते ही उसकी ओर लपकनेवाला । अधीर लवे सडक = पथ के किनारे । लबरेज । और लालची । २ विना प्रयोजन सब वस्तुप्रो को हाथ लगाने- लबगुरानया-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ देश० ] गहरे बैंगनी रंग के रतालू की लता वाला। चचल । चपल । जो भारतवर्ष मे कई जगह बोई जाती है। इसकी जड खाई लबाचा-सञ्ज्ञा पुं० [फा० लबाचह, ] कुर्ते आदि के ऊपर पहनने का जाती है। एक विशेष पहनावा । लबादा । विशेष दे० 'अबा' (को०) । लघचरा-सञ्ज्ञा पु० [फ ०] दोस्तो के बीच मे रखा मेवा, दाना, चना आदि जिसे बातें करते हुए लोग खाते रहते हैं [को०] । लबाद-सचा पु० [फा० ] वरसाती कोट (को०] । लबादा-सञ्ज्ञा पुं० [फा० लवादह, ] १ रूईदार चोगा। दगला । २ लबझनाg+-क्रि० अ० [ देश० ] उलझना । फंसना। उ०-लवझी वह लबा ढोला पहनावा जो अंगरखे प्रादि के ऊपर से पहन अग तरग बहु, सरिता रग अनूप । नव पकज अकुर जहां, धरत लिया जाता है और जिसका सामना प्राय. खुला होता है। प्रवाल स्वरूप । --गुमान (शब्द०) अवा। चोगा। लवड़ धोंधों-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हिं० अनुकरणात्मक] १ निरर्थक या झूठ लबान-सञ्ज्ञा पुं० [फा०] १ वक्ष । सीना । छातो। २ लोबान (को०] । मूठ का हल्ला । व्यथ का गुल गपाडा । लबाब' - वि० [अ० लुभाव ] चेप । लम । लुनाव । क्रि० प्र०—करना ।-मचना।-मचाना । लवाब-सञ्ज्ञा पु० [अ० लुवाव] १ साराश । खुलासा । सार तत्व । २ क्रम और व्यवस्था का प्रभाव । गडबड़ी । अधेर । वदइतजामी। २ गूदा । मग्ज । तत्व (को॰] । कुव्यवस्था । ३ अन्याय । अनीति । लबारी-वि०[स० लपन (= वकन+पार (प्रत्य॰)] १ झूठा । मिथ्या- क्रि० प्र०-मचना ।-मचाना । वादी । २. गप्पी । प्रपची। उ०—(क) बाजु गए औरहि काहू के ४. बातो का भुलावा । असल बात को टालने के लिये बकवाद रिस पावति कहि बडे लबार । —सूर (शब्द०)। (ख) तौलो -