लहालह ४२७५ लांगलि क्रिया । नाच की एक गति । २ नायने मे तेजी और झपट । रंगरेज । उ०-तारकसौ अत्तार घनेरे। जोलहा पुनि कलवार उ०-गोपिन संग निस सरद को रमत रसिक रसराज। लहा लहेरे । -गोपाल (शब्द०)। छेह अति गतिन की सवन लखे सब पास |–बिहारी (शब्द०)। लहेरा-सञ्ज्ञा पुं॰ [देश॰] छोटे हील का एक सदाबहार पेड जो पजाव, ३ तीन वर्षा। जोरदार वर्षा | ४ झपट | कूद। धूम दक्खन, गुजरात और राजपूताने मे बहुत होता है। घडक्का । विशेष-इसके हीर की लकडी वहुत चिषनी, साफ और मजबूत लहालह-वि० [हिं० लहलह ] दे॰ 'लहलहा'। उ०—(क) होती है और कुरसी, मेज, आलमारी इत्यादि सजावट के मालति प्रो मुचकंद है केदलि के परकास । पुरइन जामे सामान बनाने के काम में आती है। लहालहि शोभा अधिक प्रकास । —कबीर (शब्द०)। (ख) नभ लहेसना-क्रि० स० [श०] १ साँचे के पल्लो को गाभे पर बैठाना । पुर मगल गान निसान गहागहे। देखि मनोरथ सुरतरु ललित ( बरतन बनानेवाले ) । २ किमी लेप आदि को चढाना। लहालहे । —तुलसी (शब्द॰) । पोतना। पलस्तर करना । लहालोट-वि० [हिं० लाभ, लाह + लोटना] १ हंसी से लोटता लह्व-सञ्ज्ञा पुं० [०] १ स्वर । अावाज २ गाने का मधुर हुआ। हमी मे मग्न । २ खुशी से भरा हुआ। प्रानद के मारे स्वर । धुन [को०] । उछलता हुआ। उल्लासमग्न । जैसे,—यह कविता सुनते ही लह्वा-सञ्ज्ञा स्त्री० [स० ] एक प्रकार की चिडिया । वह लहालोट हो गया। ३ प्रेममग्न । लुभाया हुआ । लुब्ध । लागल-सज्ञा पुं० [ स० लाड गल | १ खेत जोतने का हल । २. हल मोहित । लट्ट । जैसे,—वह उसका रूप देखते ही लहालोट के प्राकार का काष्ठ (को०) । ३ एक प्रकार की मजबूत लकडी हो गया। जो मकानो के बनाने मे काम पाती है (को०)। ४ फल तोडने क्रि० प्र०—करना ।—होना । का एक प्रकार का लग्गा जिसके सिरे पर एक जाली वधी लहास-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ तु. लाश ] मुर्दा। मृत शरीर । रहती है (को०)। ५. चद्रमा का अर्घान्नत शृग । ६ शिश्न । लिंग। ७ एक प्रकार का फूल । लहासन-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ दश० ] वह काली भेंड जिसकी कनपटी से माथे ८ एक प्रकार का चावल तक का भाग लाल होता है । (गडेरिए)। (को०) IE ताड का पेड। लहासी -सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० लभस, प्रा० लहस (= रस्सी)] १ वह लागलक-सज्ञा पुं० [सं० लाड गलक ] सुश्रु त के अनुसार हल के मोटी रस्सी जिससे नाव या जहाज बांधे जाते हैं। २ रस्सी। श्राकार का वह घाव जो भगदर रोग मे गुदा मे शस्त्र चिकित्सा डोरी । ३ रास्ते में निकली हुई जह। । पालकी के कहार)। करके किया जाता है। लहि-प्रव्य० [हिं० लहना (= प्राप्त होना, पहुंचना । ] पर्यंत । लागलकी-सज्ञा स्त्री० [सं० लाड गलकी ] कलियारी नाम का जहरीला पौधा। तक । ताईं। उ०-आवहु करहु कदरमस साजू । चढहिं बजाइ जहाँ लहि राजू । —जायसी (शब्द॰) । लागलग्रह-सञ्ज्ञा पु० [सं० लाङ लगह ] खेतिहर । किसान । लहिला-सञ्ज्ञा पुं० [ देश० ] दे० 'रहिला'। लागलेचक्र-सहा पु० स० लागलचक्र ] फलित ज्योतिप मे एक प्रकार का चक्र जिसकी सहायता से खेती के सवध मे लहुल- दे० 'ली'। -अव्य [हिं० लग शुभाशुभ फल जाने जाते हैं। इसका आकार इस प्रकार का होता नहु-वि० [स० लघु, प्रा० लहु] छोटा । अल्प। थोड़ा । उ०—वड कलेसु कारज अलप वही पास लहु लाहु । उदासीन सीतारमनु M समय सरिस निरवाह ।- तुलसी (शब्द०)। लहु-वि० [ स० लघुक, प्रा० लहुअ ] अत्यल्प । छोटा । हलका । लहुरा-वि० [ स० लघु, प्रा० लहु+रा (प्रत्य॰)] [ वि० सी० लागलदड-सज्ञा पुं० [सं० लाङ्गलदण्ड ] हरिस । हल का लट्ठा लहुरी ] छोटा । कनिष्ठ । जैसे,—लहुरा भाई। [को०। लहुरी -वि० सी० [ हिं० लहुरा ] छोटी । कनिष्ठा । लागलध्वज-मज्ञा पुं० [सं० लाड गलध्वज ] बलराम । लागलपद्धति-सज्ञा स्त्री॰ [ सं० लाड गलपद्धति ] कूड़। हल जोतने लहू-सज्ञा पु० [ स० लोह, हिं० लोहू ] रक्त । लोहू । रुविर । खून । से बनी रेखाएं (को०] । मुहा०-लहूलुहान होना = खून से भर जाना । अत्यत लहू लांगलफाल - सज्ञा पु० [सं० लाड गलफाल ] हल का फाल । हल वहना। विशेष रक्तस्राव होना । (अन्य मुहा० के लिये दे० के अग्रभाग मे लगी लोहे की नोक [को०] । 'खून' और 'रक्त' शब्द के मुहा० )। लागलमार्ग-सञ्ज्ञा पु० [सं० लाङ्गलमार्ग ] दे० 'लागलपद्धति' [को॰] । लहेर-सा पुं० [हिं० लहना (= पाना) ] ब्राह्मण । ( सुनार )। लागला-सचा स्त्री॰ [ सं० लाड गला ] नारियल का पेड (को०] । लहेरा-सपा पुं० [हिं० लाह (= लाख) + ऐरा ( प्रत्य० ) ] १. लागलाख्य-सञ्ज्ञा पुं० [ स० लाड गलाख्य ] कलियारी नाम का एक जाति जो रेशम रंगने का काम करती है। २ लाह का जहरीला पौधा। पक्का रंग चढानेवाला । ३ पक्का रेशम रंगनेवाला। लागलि-सञ्ज्ञा पुं० [सं० लाड गलि] १. कलियारी नाम का जहरीला
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