पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५२०

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। स० लाटर ४२८१ लात लाट'-सज्ञा पुं० [अं० लॉट] बहुत सी चीजो का वह विभाग या है। इसमे छोटे छोटे पद और छोटे छोटे समास हुआ करते हैं । समूह जो एक ही साथ रखा, बेचा या नीलाम किया जाय । २ एक प्राकृत बोली (को०) । यो०-लाटबदी। लाटी-सज्ञा स्त्री॰ [ अनु० लट लट (= गाढ़ा या चिपचिपा होना)] लाट-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० लट्ठा ?] लकडी, पत्थर या किसी धातु का १. वह अवस्था जिसमे मुंह का थूक और होठ सूख जाते हैं । बना हुआ मोटा और ऊंचा खभा । जैसे,—अशोक की लाट, उ-सूखहिं अवर लागि मुंह लाटी। जिउ न जाइ उर अवधि कुतुब साहब को लाट, तालाब के बीच मे की लाट, कोल्हू के कपाटी।-तुलसी (शब्द०)। वीच की लाट, आदि । क्रि० प्र०-लगना। लाट-सज्ञा पु० [ स०] १ एक प्राचीन देश जहाँ अब भहोच, अह- लाटी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ लाटिका रीति । २. एक प्राकृत मदाबाद आदि नगर है। गुजरात का एक भाग । २ इस देश बोली (को०)। के निवासी। ३ एक अनुप्रास जिसमे शब्द और अर्थ एक ही लाटीय-वि० [सं० ] दे० 'लाटक' [को॰] । होते हैं, पर अन्वय में हेरफेर होने से पाक्यार्थ में भेद हो जाता लाठ '-सञ्ज्ञा पुं० [अ० लाट ] दे० 'लाट'। है। ('शाब्दस्तु लाटानुप्रासो भेदे तात्पर्य मात्रत.'-मम्मट, लाठ-सझा स्त्री० [हिं० लट्ठा ] दे० 'लाट' । काव्यप्रकाश)। ४ वह लबा वाँध जो किसी मैदान के पानी के लाठी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० यष्ठी, प्रा० लट्ठी ] वह लवी और गोल बडी वहाव को रोकने लिये बनाया जाता है। ५ फटा पुराना लकही जिसका व्यवहार चलने मे सहारे के लिये अथवा मारपीट कपडा या गहना (को०)। ६ कपडा । वस्त्र (को०) । ७ बालको आदि के लिये होता है । डडा । लकडी । जैसी भाषा (को०) । ८ शिक्षित व्यक्ति (को०) । कि प्र०-वांचना ।-मारना ।-रखना ।—लगाना । लाटक-वि०॥ ] [ वि० स्त्री० लाटिका ] लाट देश सबंधी। मुहा० - लाठी चलना = लाठियो की मारपीट होना । लाठी लाटपत्र-सचा पुं० [ स० ] दारचीनी। चलाना = लाठी से मारना। लाठी से मारपीट करना। लाठी लाटपर्ण-सज्ञा पुं० [सं० ] दारचीनी । वाँधना-लाठी लिए रहना । दह धारण करना । लाटरी-सञ्ज्ञा स्त्री० [अ० लॉटरी ] एक प्रकार की योजना जिसका लाठी चाज-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० लाठी+अं० चार्ज ] भीड को हटाने प्रायोजन विशेषकर किसी सार्वजनिक कार्य के लिये धन एकत्र के लिले पुलिस द्वारा लाठी चलाना। करने के निमित्त किया जाता है और जिसमे लोगों को किस्मत लाड़-सज्ञा पुं० [ स० लालन ] बच्चो का लालन । प्यार । दुलार । आजमाने का मौका मिलता है। क्रि० प्र०—करना ।-लडाना । विशेप--इसमे एक निश्चित रकम के टिकट वेचे जाते हैं और यह यौ०-लाडचाव । घोषणा की जाती है कि एकत्र धन मे से इतना धन उन लोगो लाडलड़ा-सञ्चा पुं० [ देश० ] एक प्रकार का साँप जो प्राय वृक्षो पर को बाँटा जायगा जिनके नबर या नाम की चिट पहले रहा करता है। निकलेगी। टिकट लेनेवाला के नाम या नबर को चिट फिसो लाइल ता-वि० [हिं० लाड + लडाना + ऐता (प्रत्य॰)] जिसका सदूक आदि मे डाल दी जाती हैं और कुछ निर्वाचित विशिष्ट बहुत अधिक लाड हो । दुलारा। उ०-तुम रानी व्यक्तियो की उपस्थिति मे वे चिटें निकाली जाती हैं। जिनके वसुदेव गेहनी हौं गंवारि ब्रजवासी। पठे देव मेरो लाडलडतो नाम को चिट सबसे पहले निकलती है, उसे पहला पुरस्कार वारौं ऐसी हाँसी ।—सूर (शब्द॰) । अर्थात् मबसे वही रकम दी जाती है । इस प्रकार पहले निकलने- लाइला-वि० [हिं० लाड = ला (प्रत्य॰)1 [वि॰ स्त्री० लाडली] जिसका वालो मे निश्चित धन यथाक्रम बांट दिया जाता है। इसके लिये लाड किया जाय । प्यारा । दुलारा। सरकार से अनुमति लेनी पडती है । लाड़ा-सचा जी० [हिं० लाड ] [सी० लाडी, लाडो] वर । दूल्हा । लाटा-सञ्चा पुं० [ देश० ] १ भूने हुए महुप्रो और तिलो को कूटकर लाड़िक-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ भृत्य । दास । नौकर । २ लडका [को०] । बनाए हुए लड्डू। २ भुना हुमा महुआ । लाड़-सज्ञा पुं० [हिं० लड्डू ] १. लड्डू । मोदक । २ दक्षिणो लाटानुप्रास-सज्ञा पुं॰ [सं० ] वह शब्दालकार जिसमे शब्दो को पुन- नारगी। रुक्ति तो हाती है, परतु अन्वय मे हेरफेर करने से तात्पर्य भिन्न लाढ़िया-सञ्ज्ञा पुं॰ [देश॰] वह दलाल जो दूकानदार से मिला हो जाता है। जैसे,-पोय निकट जाके नहीं, धाम चाँदनो रहता है और ग्राहको को धोखा देकर उसका माल विक- ताहि । पीय निकट जाके, नहीं घाम चांदनो ताहि । दे० वाता है। 'लाट-३' लाढ़ियापन-सशा पुं० [हिं० लाढ़िया = पन (प्रत्य॰)] १ लाढ़िया लाटिका-सशा स्त्री॰ [स०] १ साहित्य मे चार प्रकार की रचनामो का काम । २ धूर्तता । चालाकी । धोखेबाजो । में से एक प्रकार की रचना या रीति जिसमे वैदर्भी और लात-श्री० सी० [ देशां लता, लोत्तमा ?] १ पैर । पांव । पद । पाचाली दोनो ही रीतियो का कुछ कुछ अनुसरण किया जाता उ०-तेहिं प्रगद कह लात उठाई। गहि पद पटक्यो भूमि