पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५२१

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जाती है। प्र० लात ४२८२ लाना भंगाई।-तुलसी (शब्द०)। २ पैर से किया हुआ पापात या अधिकार से रहित हो गया हो । जैसे,—उसने अपने लडके को वार | पदाघात । पादप्रहार। ला दावा कर दिया है । (कानून) । मुहा०-लात खाना = (१) पैरो को ठोकर या मार सहना (२) मुहा०-ला दावा लिखना = यह लिखना कि अमुक वस्तु पर भव मार पाना । लात चलानालात से मारना। लात से प्राघात हमारा कोई दावा या अधिकार नहीं रह गया। दस्तबरदारी करना । लात जाना-गौ भैम आदि का दूध देते समय दूहन- लिखना। वाले को लात मारकर दूर हट जाना । विसुकना । लात लादिया-मज्ञा पु० [हिं० लादना + इया (प्रत्य॰)] वह जो किसी मारना = तुच्छ समझकर छोड देना । त्याग देना । जैसे,—(क) चीज पर बोझ लादकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले म ऐसी दौलत को लात मारते हैं । (ख) तुमने जान बूझकर जाता हो। रोजी को लात मारी है। लात मारकर खडा होना = बहुत लादी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हिं० लादना] १ कपडो की वह गठरी जो घोवी अधिक तणावस्था से, विशेषत लियो का प्रसव के उपरात, गदहे पर लादता है । २ वह गठरी जो किसी पशु पर लादी नीरोग होकर चनने फिरने के योग्य होना। लात-वि० [सं०] गृहीत । प्राप्त [को०] | लाधना-क्रि० स० स० लव्य, प्रा० लद्ध + हि० ना (प्रन्य०) लातर-सहा सी० [हिं० लतरी ] पुराना जूना । प्राप्त करना । हासिल करना । पाना । उ०—(क) इन सम काहु लातर-बि. [परा०] लालची। (बच्चो के लिये प्रयुक्त) । न शिव अवराधे। काहु न इन समान फल लाधे । -तुलसी (शब्द॰) । (ख) छिन छिन परसत प्रग मिलावत प्रम प्रगट लातरी@-सज्ञा स्त्री॰ [हिं० लात+री ] लतरी । पुराना जूना । लाधा ।—सूर (शब्द०)। लातिमा सी॰ [ स० ] लेना । प्राप्त करना [को॰] । लानग-सञ्ज्ञा पुं० [ दश० ] एक प्रकार का अगूर । लातीनी-सज्ञा सी० [ ] रूमियो की प्राचीन भाषा। लेटिन विशेष—यह कुमाऊं और देहरादून मे अधिकता से होता है । भापा (को०] । इससे अर्क निकाला जाता है और एक प्रकार की शराब वनाई लाथा-नश पुं० [देश॰] व्याज । वहाना । जाती है। लाद-स्छा स्री० [हिं० लादना ] १ किसी को बैल या गाडी पर लान-सञ्ज्ञा पुं० [अ० लॉन ] हरी घास का वडा मैदान जिसपर रसकर एक स्थान से दूमरे स्थान को ले जाने का कार्य । लादने गेंद आदि खेलते हैं। उ०-कही चमन, तो कही लान । - की क्रिया। प्रेमघन०, भा॰ २, पृ० १७६ । यो०-जाद फांद = लादने की क्रिया । लान-सञ्चा स्त्री० [अ० ] चिक्कार । फटकार (को॰] । २ मिट्टी का वह ढोका जो पानी निकालने को ढेंकी के दूमरी लान टेनिस-सञ्ज्ञा १० [अ० ] गेंद का एक खेल जो छोटे से मैदान भोर लगा रहता है। ३ पेट । उदर (जिसमे अंतडी आदि मे खेला जाता है। भरी रहती है)। लानत-सज्ञा स्त्री० [अ० लानत, लानत ] धिक्कार । फटकार । मुहा०-लाद निकालना = पेट फूलफर आगे निकलना । तोद भर्त्सना । उ०-हजार लानत उस दिल पर जिसमें कि इश्के निकलना। दिलदार न हो।-भारतेंदु ग्र०, भा॰ २, पृ० ५६६ । ४ प्रांत । अतडी । जैसे,—उसने पेट मे ऐसी छुरी मारी कि लाद यौ०-लानत मलामत = धिक्कार और फटकार । जैसे-मामूली निकल पड़ी। वात पर इतनी लानत मलामत, ठीक नहीं। लादना-क्रि० म० [सं० लब्ध, प्रा० लद्ध (=प्राप्त) + हिं० ना मुहा०-लानत बरसना = लज्जित होना। तिरस्कृत होना । (प्रत्य॰)] १ किमी चीज पर बहुत सी वस्तुएं रखना । एक लानत की बौछार = अत्यधिक तिरस्कार । लानत भेजना = पर एक चीजें रखना । जैसे,—गाडी पर असबाव लादना । २ गाली या पशु को भार से युक्त करना। ढोने या ले जाने के ठुकरा देना । धिक्कारना। लिये वस्तुग्रो को भरना । जैसे,-वल लादना, गाड़ी लादना । लानती-सञ्ज्ञा पुं० [ हि० लानत + ई (प्रत्य॰)] वह जो सदा लानत यो०-लादना फांना लादना मोर रखना। मलामत सुनने का अभ्यस्त हो। सदा फिटकार मुननेवाला । वह जो तिरस्कार करने लायक हो । ३ सिसी के ऊपर किसी बात का मार रसना । जैम, तुम लाना-कि० अ० [हिं० लेना+पाना, ले पाना सब काम मुझ पर ही लादते चले जाते हो। उठाकर या अपने साथ लेकर आना। कोई चीज उप जगह सयो० कि०-देना। पर ले जाना, जहां उने ग्रहण करनेवाला हो, अथवा जहां ले ४ पुस्ती पडने गमय विपक्षी को अपनी पीठ या कमर पर उठा जानेवाला रहता हो । ले आना । जैसे,—(क) जरा वह किताव लेना । (परल०)। तो लाना । (स) श्राप जव जाते हैं, तब कुछ न कुछ लाते हैं । सयो० कि०-लेना। (ग) उनकी स्त्री मैके से बहुत सा धन लाई है । लादाचा -वि० [अ०] जिमफा कोई दावा न रह गया हो। जो सयो० कि०-देना। १ कोई चीज