पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५२७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

लालित्य ४२८६ लालसागर स० & 80 लालसागर-नज्ञा पुं० [हिं० लाल+सागर ] भारतीय महासागर का कोक । लोल लालि लोल लली लाला लीला लोल ।-केशव का वह अश जो अरव और अफ्रिका के मध्य मे पडता है, (शब्द०)। और जो बाद एन मदव से स्वेज तक फैला हुआ है। लाल लाला" सज्ञा पुं० [स० लाला या लालायित] १ दे० 'लाले'। २ समुद्र । रेड सी (अ)। सकट । श्राफत । विशेष—यह सागर प्राय १४०० मील लया है और इसकी कि लालाक्लिन्न वि० [स०] लार से भीगा हुआ (को०] । से अधिक चौडाई २३० मील है। इसके किनारो पर बहुत से लालाटिक'-वि० [ ] [ वि० स्त्री० लालाटिकी ] ललाट सवधी। छोटे छोटे टापू और प्रवालद्वीप हैं, जिनके कारण जहाजो को २ भाग्याधीन । ३ निम्न | नीच । निकम्मा । बेकार । ५ इसमे से होकर आने जाने में बहुत कठिनता होती है। पहले मावधान । दत्तचित्त [को०] । यह भूमध्यसागर से अलग था, पर स्वेज की नहर खुद जाने से लालाटिक-सज्ञा पु०१ स्वामी के कार्य मे दत्तचित्त मेवक । २ वेकार यह उससे मिल गया है। इसके पानी में कुछ ललाई झलकती या वेपरवाह व्यक्ति । ३ एक प्रकार का प्रालिंगन [को०] । है, इसी से इसे लाल सागर कहते हैं । लालाटी-सज्ञा स्त्री॰ [ ललाट [को०] । लाससिखा-सज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'लालशिखी' । लालाध- मचा पुं० [ ] गण । मूळ (को०] । लालशिखी-सद्धा पुं० [हिं० लाल+शिखा] अरुणच्ड। मुर्गा । उ०-प्रात उठी रतिमान भटू धुनि लालसिखी को हिये खटकी लालापान-सज्ञा पुं॰ [स०] (बच्चो द्वारा) अपना अंगूठा चूसना |को०] । है। -मन्नालाल (शब्द०)। लालाप्रमेह-सज्ञा पुं० [सं० ] एक प्रकार का प्रमेह जिसमें मुंह की लालसिरा-सज्ञा स्त्री० [हिं० लाल+मिरा (= सिर) ] एक प्रकार लार की तरह तार बंधकर पेशाव होता है। की बत्तख जिमका मिर लाल होता है। लालाभन-मज्ञा पुं० [सं० ] पुराणानुसार एक नरक का नाम । विशेष-कहते हैं, जो लोग विना देवतामो आदि को भोग लालसी-वि० [स० लालसा+ई (प्रत्य॰)] अभिलापा करने- लगाए अथवा विना अतिथियो को भोजन कराए ग्राफ भोजन के वाला । इच्छा करनेवाला । उत्सुक । उ० - सो हरि के कर लेते हैं, वे इसी नरक मे जाते हैं हम लालसी माया कि है न जहाँ प्रभुताई।-रघुराज (शब्द०)। लालसीक-सज्ञा पु० [स०] १ गिलगिला । पिच्छिन । २ रसयुक्त लालामेह-सज्ञा पुं॰ [ सं० ] दे० 'नालाप्रमेह' वस्तु । सूप । शोरवा (को०)। लालायित-वि० [सं०] १ जिसके मुंह मे बहुत अधिक लालच के कारण पानी भर पाया हो । ललचाया हुग्रा । २ जिसका बहुत लाला-सज्ञा पुं० [स० लालक ] १ एक प्रकार का सबोधन जिसका व्यवहार किसी का नाम लेते समय उसके प्रति आदर दिखलाने अधिक लालन किया गया हो । दुलारा। के लिये किया जाता है। महाशय । साहब | जैसे,—नाला लालालु-वि० [सं० ] दे॰ 'लानायित' । गुरदयाल आज यहाँ पानेवाले हैं। लालाविप-सज्ञा पुं॰ [सं० ] वह जतु जिसके मुंह की लार मे विष विशप-इस शब्द का व्यवहार प्राय पश्चिम मे खत्रियो, और हो। जैसे,-मकडी आदि वनियो आदि के लिये अधिकता से होता है। लाजासव-सहा स्त्री॰ [ स० लालास्रव ] मकही। (डि०) । मुहा०-लाला भझ्या करना = किमी को प्रादरपूर्वक सवोधन लालात्रव-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ गुह से लार बहना । २ मकही। करना । इज्जत के साय बातचात करना। लालास्राव-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ मुह से थूक या लार गिरना । २ २ कायस्थ जाति या कायस्थो का सूचक एक शब्द । मकडी का जाला । यो०-लाला भाई = कायस्थ । लालिक-सज्ञा पुं० [सं० ] भैसा । महिप । ३ छोटे प्रिय वच्चे के लिये सबोवन । प्रिय व्यक्ति, विशेषत लालिका-सशा स्त्री० [सं०] विनोदपूर्ण उत्तर (को०) । बालक 1 उ०—ानंद की निधि मुख लाला को, ताहि निरखि लालित-वि० [ स०] १ जिमका लालन किया गया हो। दुरा निसिवासर सो तो छवि क्योहूँ न जाति वखानी।-सूर हुआ । लडाया हुआ । प्रिय । प्यारा । २ जो पाला पोमा गया (शब्द० हो । उ०—मुझपे ही विद्रोह कर चले मेरे ये लालित इ द्रिय- लाला-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] मुंह से निकलनेवाली लार । थूक । गण ।-प्रपलक, पृ० ७७ । लाला'--सा पुं० [फा०] पोस्ते का लाल रंग का फूल जिममे प्राय लालित'-सञ्ज्ञा पुं० १ प्रसन्नता । आनद । २ प्रेम । प्रियता। काली खमसस पैदा होती है। गुले लाला। उ०-कोऊ कहै दुलार [को०)। गुल लाला गुलाल को कोक कहै रंग रोरी के प्राव की।-द्विज लालितक-सज्ञा पुं० [ ] प्रिय या दुलारा व्यक्ति [को०] । ( शन्द०)। लालित्य-मज्ञा पुं० [ स०] १ ललित होने का भाव । सौंदर्य । लाला-वि० [हिं० लाल लाल रग का । विशेप दे० 'लाल' । उ० सुदरता । सरसता । मनोहरता । जैम,-मापको भाषा मे बहुत (क) पारय भयो विलोचन लाला । लाखि अनर्थक धर्म भुवाला । अधिक लालित्य होता है। २ शृगारिक चेष्टा। हाव भाव । -सवल ( शब्द०)। (ख) केकी के काकी कका कोक कोक विभ्रम (को॰) । 1 1 N HO