पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५३७

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किया था। लिगदी ४२१६ क्षिपाना लिगदी- सशा स्त्री॰ [ दश० ] कमजोर छोटी घोडी । सयो० क्रि०-जाना। लिगु-सज्ञा पुं० [सं०] १ मन । २ मूर्स । ३ मृग। भूप्रदेश । २ इस प्रकार लग जाना कि जल्दी न हटे । विपा। ३ गरे लिचेन-सज्ञा पुं॰ [ देश० ] एक प्रकार की घाम जो पानी मे होती है । लगना । प्रानिंगन फररा । जंगे,-यह उगमें लिपटार रान लिच्छवि, लिच्छिवि-सज्ञा पुं० [सं०] एक इतिहासप्रसिद्ध राजवश लगा। ४ किमी याम में जी जान गंरग जाना । नाय तोवर जिसका राज्य किसी समय मे नेपाल, मगव और काशल म था । प्रवृत्त राना । जैसे,—जिम माग म लिपटता है, उगु पूरा परम घोटता है । ५. दगल देना । हस्तर मग्ना। विशेष-प्राचीन संस्कृत साहित्य मे क्षत्रियो की इस शाखा का नाम 'निच्छवि' या 'निच्छिवि' मिलता है। पाली रूप 'निन्छवि' लिपटाना-क्रि० ग० [हिं० निपटना गा स० रूा ] १. एर चानु यो है । मनुस्मृति के अनुसार लिच्छवि लोग प्रात्य क्षत्रिय थ । दूगरी यम्नु से पूर गटाना । मलान माना। चिमटाना। २ उसमे इनकी गणना झन्ल, मल्ल, नट, करण पश मोर द्रपिट विगी गाया मे धेरकर अपने पारीर में गृप मटाना । मालि. के साथ की गई है। ये 'लिच्छव' लोग वैदिक धर्म के विरोधी गन मारता । गले लगाना । उ०-कानद सासा प्रांग ना थे। इनकी कई शाखाएं दूर दूर तक फैनी थी। वंशालीगला रही लपटाइ नगलता गी।-पाकर (गद०)। ३. पर गाना। शाखा मे जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी हुए प्रौर काशल सी लिपडा' 'T पुं० [ "० ] नुगा। मपटा । (पलदर)। शाक्य शाखा मे गौतम बुद्ध प्रादुर्भूत हुए । किमी ममय मिथिला विशेष-दर भानू नकर जब उमग गा में कपमा मांगने से लेकर मगध और कोशल तक इस वश का राज्य था। जिन पा पहने, तब निपट', 'निTI पहने। प्रकार हिंदुनो के सस्तृत प्रथो मे यह वश हीन कहा गया है, लिपडा'-० [हिं० नेप] लेई मी तरह गोला पौर निचिता । उसी प्रकार बौद्धो और जना के पालि और प्राप्त ग्रथो में यह लिपड़ी-सहा मी० [हिं० निपा] लेई गी नर: गीना और पित वश उच्च कहा गया है । गौतम बुद्ध के सममामयिक मगध के विपा पदार्थ । जन,-ह तुग पानी प्रवित हो से लिपटो राजा बिबसार ने वैशाली के लिच्छ व लोगो के यहाँ मवध रो गया। किया था। पोछे गुप्त सम्राट ने भी लिच्छवि कन्या से विवाह लिपडी-सका गझी [ में० विपरी] २० लिबर्टी' । लिट्-वि० [सं०] लेहन करनेवाला । जैसे, मधुलिट् (समासात ने प्रयुक्त)। लिपना-फ्रि० म० [सं० लिप्] १ दिगो रंग या गीती वस्तु को पतली तर मे दर जाना। पाता जाना । जैसे,-मारा घर लिटरेचर-सझा पुं० [ म० ] साहित्य । वाहमय । जैसे,—इग्लिश गोपर में लिप गया। लिटरेचर। यो०-लिपा पुता - रवच्छ । माफ । भा। लिटरेरी-वि० [ अ.] साहित्य मवधी । साहित्यिक । जमे,—लिटररी २ रग या गौती वस्तु का फैन जाना । जैसे,-हाय पटने मे कानफरेंस । फागज पर स्याही निप गई। लिटाना-क्रि२ स० [हिं० लेटना ] लेटने की क्रिया कराना । दूसरे सयो० कि०-जाना। को लेटने मे प्रवृत्त कराना। यी-लिया पुता = जिसपर प'चे प्रादि हो । वदरग । लिटोरा-सज्ञा पुं० दश० ] दे० लिसोडा'। लिपवाना-क्रि० म० [हिं० नीना ] लीपन का नाम दूसरे मे लिट्ट-सचा पुं० [ दश० सी० अल्पा० लिट्टी ] मोटी रोटी जो बिना गगना । दारे को लीपने में प्रगृत करना। तवे के प्राग ही पर सेंकी जाय । अगाकहा। वाटी। लिपस्टिक--सभा सी० [ ] मोठ रेंगने की नाली । मोम इत्यादि लिठोर सज्ञा पुं० [ देश० ] एक प्रकार का नमकीन पकवान । मे रग मिलाकर बनी हुई एफ वतो जिसे पियो घोठों पर लिडार-सशक्षा पुं० [ देश० ] शृगाल । गीदडे । रगर पर उगे लाल करता है । ३० - उममे गे एक गुलाबी रग लिडार-वि॰ [ दश० ] डरपोक । कायर । बुादल । उ०—त्रिशुद्ध की सारी मे सुसज्जित, पोडर की पमक और लिपस्टिक की होह शुद्ध को विरुद्ध वात ना कहौ । न वाचिही घरं घुने लिड़ार रगीनो मे मुशोभित रमणी तथा चार पुरपो ने उतरकर भीतर हान ना चहौ । केशव (शब्द०)। प्रवेश किया।-सन्यासी, पृ० १३२ । लिडौरी - सज्ञा स्त्री॰ [ देश० ] अनाज के वे दाने जो पीटने के पीछे लिपाई-सशा पी० [हिं० लिपना ] १ किमी रग या घुनी हुई गोली वाल में लगे रह जाते हैं । मु डारी । दाबरी । पकूरो। चित्तो। वस्तु की तह फलाने की क्रिया या भाव। २ दीवार या जमीन विशेष—यह शब्द रवी का फपल के लिये बोला जाता है। पर घुली हुई मिट्टी या गोवर की तह फैलाना । लेरना । लिप-वधा पुं० [सं० । लेसन । लेप करना (को०) । पोताई । ३ लीपने की मजदूरी। लिपटना-क्रि० प्र० [सं० लिप्त १ एक वस्तु का दूसरो को घेरकर लिपाना-क्रि० स० [हिं० लीपना] १ रग या किमी गीली वस्तु उमसे खूब सट जाना । किसी वस्तु से दृढतापूवक जा लगना । को तह चढ़वाना । पुताना । २ दीवार या जमीन पर सफाई वेष्ठित करके सलग्न होना । चिमटना । जैसे,-सांत का पैर से क लिये घुली हुई मिट्टी या गोबर की तह चढ़वाना। मिट्टी, लिपटना, बच्चे का मां से लिपटना, लता का पेड से लिपटना । गोवर आदि का लेप कराना। ३०-जागी महरि पुत्र मुख HO