पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५३८

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४१४७ लिवरल' 10 HO देख्यो पानंद तूर बजायो हो। कचन कलस होय द्विज पूजा लिप्तहस्त-वि० [म०] किसी वस्तु मे लिपटे या रंगे हुए हाथो- चदन भवन लिपायो हो।-(शब्द॰) । वाला (को०] । सयो० कि०-डालना । —देना ।-लेना । लिप्ता-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० ] ज्योतिष के अनुसार काल का एक मान जो लिपि-सज्ञा स्त्री॰ [ ] १ अक्षर या वर्ण के अकित चिह्न । लिखा एक मिनट के बराबर होता है। वट । २ अक्षर लिखने की प्रणाली । वर्ण अकित करने की लिप्ति-सज्ञा स्पी० [ स० ] लेप । लेग्न [को०) । पद्धति । जैसे,—ब्राह्मी लिपि, खरोष्ट्री लिपि, अरबी लिपि । लिप्तिका 1-सशा स्त्री॰ [ ] दे॰ 'लिप्ता' (को०] । ३ लिखे हुए अक्षर या बात । लेख | जैसे-भाग्यलिपि । लिप्सा-सशा बी० [सं० ] प्राप्ति की कामना | लालच । लोभ । २. उ०-जिनके भाल लिखी लिपि मेरी सुख की नही निसानी । चाह । इच्छा । आकाक्षा । -तुलसी (शब्द०)। ४. लेप । लेपन (को०) । ५. चित्रकारी । रेखाकन (को०)। ६ बाह्य प्राकृति । गढन (को०) । लिप्सित-वि० [सं० ] इच्छित । अभिलपित । प्राकाक्षित [को०) । लिपिक-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] लेखक । कर्णिक । क्लार्क (को०] । लिप्सितव्य-वि० [ 10 ] प्राप्त करने के योग्य । अभिलपणीय । जो लिपिकर-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ लेखक | लिखनेवाला । २. रंगाई प्राप्त करने योग्य हो [को॰] । पुताई का काम करनेवाला (को०)। ३ उत्कीर्ण । करनेवाला। लिप्सु-सज्ञा पुं० [सं०] लाभ की इच्छा रखनेवाला। लोलुप । नककाश (को०)। लोभी। लालची । जैसे,—यशोलिप्सु । लिपिकर्म-सञ्ज्ञा पुं० [ स० लिपिकर्मन् ] अकन । लिखाई। चित्र लिफाफ-सज्ञा पुं० [अ० लिफाफ] शव का आच्छादन । कफन (को०] । कारी [को॰] । लिफाफा-सज्ञा पुं० [अ० लिफाफ़ह.] १. कागज की बनी हुई चौकोर लिपिका-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० ] लिपि । लिखावट । दे० 'लिपि' । खोली या थैली जिसके अदर चिट्ठी या कागजपत्र रखकर भेजे लिपिकार- सज्ञा पुं० [सं०] लिखनेवाला । लेखक । दे० 'लिपिकर' । जाते है । जैसे,—लिफाफे मे वद करके चिट्ठी डाल देना। लिपिज्ञ-वि० [सं०] जो लिख सकता हो । लिपि का जानकार (को॰] । मुहा०-लिफाफा खुल जाना = भेद खुल जाना । छिपी हुई वात लिपिज्ञान-सज्ञा पुं॰ [ स० ] लिखने को कला (को०] । का प्रकट हो जाना। लिपिन्यास-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] लेखनकला अथवा लिखने की क्रिया [को०] । २ कारी पाच्छादन । सजावट की पोशाक । दिखावटो कपडे लिपिफलक-सञ्चा पुं० [सं०] पत्थर, तस्ती, धातुपत्र प्रादि जिनपर लत्ते । जैसे,—प्राज तो खूब लिफाफा बदलकर निकले हो । अक्षर खोदे जायं। मुहा०-लिफाफा बदलना = भडकदार कपडे पहनना। लिपिबद्ध-वि० [सं०] लिखा हुआ । लिखित । ३ कारी पाडवर । झूठी तडक भडक । मुलम्मा । कलई । लिपिशाला-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] वह शाला जहाँ लिखना सिखाया मुहा० -लिफाफा खुल जाना असली रूप प्रकट हो जाना। जाता हो। लेखन विद्यालय । लिफाफा बनाना = (१) ठाठ बाट बनाना। (२) आड बर लिपिशास्त्र-सज्ञा पुं० [सं०] विभिन्न लिपियो के लिखने की विद्या । करना । ढकोसला रचना। लिपिसनाह-सञ्ज्ञा पु० [सं० लिपिसन्नाह ] मरिणबव या कलाई पर ४ खाल । थैला (को०)। ५ शवाच्छादन वस्त्र। कफन (फो०)। पहनने का एक पट्टा (को०] । ६ जल्दी नष्ट हो जानेवाली वस्तु । दिखाऊ चीज । काजू लिपिसज्जा-सञ्चा स्त्री० [स० ] लिखने का उपकरण। लिखने का भोजू चाज। सामान [को०] । लिफाफिया-वि० [अ० लिफ़ाफा + इया (प्रत्य॰)] तडक भडक वाला। लिप्त-वि० [ स०] १ जिसपर किसी गीली वस्तु (जैसे,-घुली मिट्टी, दिखाक। कमजार | निस्तत्व । चंदन आदि) की तह चढा हो। जिसपर लेप किया गया हो। लिबड़ना'-क्र० प्र० [ देश० ] सन जाना। लथपथ होना। लिपा हुआ । पुता हुमा । चर्चित । २ जो लीपा गया हो। लिभडना। जिसको पतली तह चढी हो। ३. गाढ़ा लगा हुआ। खूब लिबडना-क्रि० स० दे० 'लिभडना' । सलग्न । ४ खूब तत्पर। लीन । अनुरक्त । फंसा हुआ। जमे,-विषय भोग मे लिप्त । ५ जहरीला किया हुप्रा । विषाक्त लिबड़ी - सशा स्त्री० [अ० लिवरी, तुल० हिं० लुगडी ] कपडा लत्ता। किया हुआ । जैसे,-वाण का फल (को०) । ६ खाया हुआ । यौ०-लिबडी बरताना या बारदाना= निर्वाह का सामान । भक्षित (को०)। असबाव । जैसे,—प्रपना लिवडो वरताना उठानो, और क्रि० प्र०—करना ।—होना । चल दो। लिप्तक-सञ्ज्ञा पुं० [अ.] विष में वुझाया हुअा तीर। जहरीला लिवरल'-वि० [अ० ] उदार नीतिवाला । लिवरल --सचा पुं० १ इग्लैंड का एक राजनीतिक दल जिसको नीति लिप्तवासित-वि० [सं० ] सिक्त और सुवासित (को०] । अधीनस्थ देशो की व्यवस्था के सर्वध मे तथा अन्य राज्यो के तीर (को०] ।